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खोदा गड्ढा निकला तहखाना : जैसलमेर के बासनपीर गांव में मिला तहखाना..गांव वाले सुना रहे 200 साल पुरानी कहानी

जैसलमेर से 20 km दूर बासनपीर गांव में पंचायत के लोग पौधे लगाने के लिए गड्ढे खुदवा रहे थे. इस दौरान आज गड्ढा खोदते समय जमीन के नीचे एक रहस्यमयी तहखाना निकला. इसे देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी.

खोदा गड्ढा निकला तहखाना
खोदा गड्ढा निकला तहखाना
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Published : Sep 18, 2021, 10:15 PM IST

जैसलमेर. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित है बासनपीर गांव. यहां पंचायत की ओर से पौधारोपण कार्य के लिये गड्ढे खुदवाए जा रहे थे. इसी दौरान गड्ढा खोदने वाले मजदूर उस वक्त हैरान रह गये जब जमीन के नीचे से पूरा का पूरा तहखाना निकल आया.

इस रहस्यमयी तहखाने को देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. तहखाने का अधिकांश हिस्सा जमीन के काफी भीतर तक था. भीतर से तहखाना रेत से भरा हुआ था. जैसलमेर का इतिहास जानने वाले इस तहखाने के पीछे 200 साल पुरानी एक किंवदंती सुनाते हैं.

जैसलमेर के बासनपीर गांव में मिला तहखाना

लोगों का कहना है कि जैसलमेर में करीब 200 वर्ष पहले पालीवाल ब्राह्मण जिले के 84 गांवों में निवास करते थे. इस समुदाय ने एक ही रात में अपने सभी गांव तत्कालीन दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों से परेशान होकर खाली कर दिये थे. पालीवाल ब्राह्मणों के टोले यहां से चले गए थे.

पढ़ें- सीकर सड़क हादसाः NH-52 पर पुलिया से नीचे गिरी कार, 5 लोगों की दर्दनाक मौत

लोगों का मानना है कि बासनपीर दक्षिण भी 200 साल पहले पालीवालों का एक गांव हुआ करता था, जिसे वे छोड़कर चले गए थे. यह तहखाना उन्हीं पालीवालों के गांव का कोई भवन हो सकता है.

खोदा गड्ढा निकला तहखाना
बासनपीर गांव में निकला तहखाना

गांव की एएनएम प्रमिला जांगिड़ ने इस तहखाने को अंदर जाकर देखा. वे कहती हैं कि जमीन के नीचे शायद बहुत बड़ा मकान है, जिसकी सीढ़ियां भी हैं और अंदर एक कमरे जैसा निर्माण भी है, लेकिन अंधेरे के कारण अंदर जाने में डर लगता है.

जैसलमेर. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित है बासनपीर गांव. यहां पंचायत की ओर से पौधारोपण कार्य के लिये गड्ढे खुदवाए जा रहे थे. इसी दौरान गड्ढा खोदने वाले मजदूर उस वक्त हैरान रह गये जब जमीन के नीचे से पूरा का पूरा तहखाना निकल आया.

इस रहस्यमयी तहखाने को देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. तहखाने का अधिकांश हिस्सा जमीन के काफी भीतर तक था. भीतर से तहखाना रेत से भरा हुआ था. जैसलमेर का इतिहास जानने वाले इस तहखाने के पीछे 200 साल पुरानी एक किंवदंती सुनाते हैं.

जैसलमेर के बासनपीर गांव में मिला तहखाना

लोगों का कहना है कि जैसलमेर में करीब 200 वर्ष पहले पालीवाल ब्राह्मण जिले के 84 गांवों में निवास करते थे. इस समुदाय ने एक ही रात में अपने सभी गांव तत्कालीन दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों से परेशान होकर खाली कर दिये थे. पालीवाल ब्राह्मणों के टोले यहां से चले गए थे.

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लोगों का मानना है कि बासनपीर दक्षिण भी 200 साल पहले पालीवालों का एक गांव हुआ करता था, जिसे वे छोड़कर चले गए थे. यह तहखाना उन्हीं पालीवालों के गांव का कोई भवन हो सकता है.

खोदा गड्ढा निकला तहखाना
बासनपीर गांव में निकला तहखाना

गांव की एएनएम प्रमिला जांगिड़ ने इस तहखाने को अंदर जाकर देखा. वे कहती हैं कि जमीन के नीचे शायद बहुत बड़ा मकान है, जिसकी सीढ़ियां भी हैं और अंदर एक कमरे जैसा निर्माण भी है, लेकिन अंधेरे के कारण अंदर जाने में डर लगता है.

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