जैसलमेर. इंदिरा गांधी नहर जो कि जैसलमेर सहित पश्चिमी राजस्थान के लिए वरदान साबित हुई है, उसी इंदिरा गांधी नहर में पंजाब से लेकर नहर के अंतिम छोर तक की मरम्मत के लिए हर साल होने वाली नहरबंदी इस बार 70 दिन की होगी. ये नहरबंदी 7 मार्च से शुरू हो गई है. इस दौरान भारत-पाक सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों को पर्याप्त पानी मुहैया हो सके, इसके लिए नहर विभाग की ओर से एक विशेष रणनीति बनाई गई है.
इंदिरा गांधी नहर जिसके आने के बाद पश्चिमी राजस्थान की काया ही पलट गई. एक-एक बूंद को तरसते रेगिस्तानी इलाके को पेयजल के साथ ही सिंचाई का पानी भी इसी नहर से उपलब्ध होता है. जिसके चलते इस इलाके में हरियाली छा गई है. इंदिरा गांधी नहर में हर वर्ष मरम्मत के लिए नहरबंदी की जाती है. इस दौरान पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर सहित बीकानेर, श्रीगंगानगर आदि जिलों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. इस बार होने वाली नहरबंदी अब तक की सबसे लंबी अवधि 70 दिनों की होगी.
पर्याप्त मात्रा में पानी का संधारण का BSF को कहा गया
आईजीएनपी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता हरितलाल मीणा ने बताया कि बीएसएफ को नहरबंदी के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी मिले, इसके लिए हाल ही में बीएसएफ अधिकारियों के साथ एक वार्ता की गई और निर्देश दिए गए हैं कि वो अपने पॉण्ड में पर्याप्त मात्रा में पानी का संधारण कर लें. जिससे पूर्ण नहर बंदी के दौरान बीएसएफ के पास पर्याप्त पानी उपलब्ध हो और सीमा क्षेत्र में तैनात प्रत्येक जवान तक पानी पहुंचाया जा सके.
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उन्होंने बताया कि बीएसएफ के पास वॉटर स्टोरेज के लिए 2 पॉण्ड है. जिसमें 25 दिन उपयोग में लिए जाने वाले पानी का संधारण किया जा सकता है. यदि वो पूरे भर लिए जाते हैं तो पूर्ण नहरबंदी जो कि 30 अप्रैल से 31 मई तक होगा, उस अवधि के लिए पर्याप्त पानी बीएसएफ के पास उपलब्ध होगा.
वहीं नहरबंदी को लेकर बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि यह हर साल होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है और नहरबंदी के दौरान जवानों को पर्याप्त पानी मिले, इसके लिए बीएसएफ पूरी तरह से सतर्क है और बीएसएफ की ओर से संधारित किये गए पानी से अंतिम छोर पर तैनात जवानों तक टैंकरों से पानी पहुंचा दिया जाएगा.