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RUHS में येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर शुरू, जानिए क्यों जरूरी है टीका लगवाना - येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) जयपुर और एम्स जोधपुर में येलो फीवर का टीका लगाने का काम शुरू हो गया है.

Yellow fever vaccination Jaipur center launched
RUHS में येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर शुरू, जानिए क्यों जरूरी है टीका लगवाना
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Published : Jun 8, 2023, 7:05 PM IST

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) जयपुर में गुरुवार को येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर का आगाज किया गया. अफ्रीकी देशों के साथ ही कुछ मध्य अमेरिकी देशों में भी येलो फीवर का प्रकोप है. ऐसे में इन देशों की यात्रा करने से पहले टीका लगाया जाना जरूरी होता है. भारत सरकार ने बीते दिनों इस बारे में निर्देश देते हुए राजस्थान में दो केंद्रों पर येलो फीवर के टीके लगाने की केंद्रों को स्वीकृति दी थी. इनमें से एक जयपुर में आरयूएचएस में था, जबकि दूसरा जोधपुर एम्स को मान्य बताया गया था. इसके अलावा अन्य किसी भी केंद्र से लगवाए गए टीके को अवैध माने जाने की भी बात कही गई थी.

गौरतलब है कि बीते दिनों येलो फीवर के टीके की किल्लत को लेकर भी खबरें भी सामने आई थीं. जिसके बाद लोग इस टीके के लिए दिल्ली का रुख कर रहे थे. आरयूएचएस जयपुर में यह टीका हर सोमवार को सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक लगवाया जा सकेगा. जबकि एम्स जोधपुर में हर हफ्ते सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक लगवाया जा सकेगा.

पढ़ेंः Breakbone Fever: तेज बुखार के साथ हड्डियों में दर्द के मामले बढ़े, चिकित्सकों ने दी चेतावनी

जानिए क्यों जरूरी है येलो फीवर का टीकाः येलो फीवर को संक्रामक बीमारी बताया जाता है. जिसमें बुखार के साथ-साथ इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के सिर में दर्द, मुंह, नाक, कान और पेट में रक्त स्त्राव होता है. साथ ही शरीर में पीलिया के लक्षण देखे जाते हैं. इस बीमारी के पीछे एक बैक्टीरया होता है. जो ईडीस ईजिप्टिआई प्रजाति के मच्छरों से फैलता है. यह रोग कर्क और मकर रेखाओं के बीच अफ्रीका के अलावा अमरीका के देशों में ज्यादा होता है.

पढ़ेंः रहस्यमयी बुखार की चपेट में लोग, लंबे समय तक जकड़ रहा मरीजों को, चिकित्सक भी हैरान

जयपुर में एक अनुमान के मुताबिक हर महीने करीब 400 लोग येलो फीवर से प्रभावित देशों के सफर पर यात्रा के लिए जाते हैं. अगर एक बार यह टीका लग जाता है, तो फिर 10 साल के लिए टीका लगाने की जरूरत नहीं होती है. दुनिया के 42 देशों में यात्रा के समय यह टीका अनिवार्य होता है. अफ्रीकी देशों की अगर बात की जाए, तो केन्या, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, इथोपिया, सूडान, लीबिया और युगांडा में यात्रा से पहले येलो फीवर का टीका लगाना जरूरी होता है. इसके बाद वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है, तब जाकर ही इन देशों में सफर के लिए वीजा मिल सकता है.

पढ़ेंः फीवर हाेते ही घबराएं नहीं... क्याेंकि हर फीवर काेराेना नहीं हाेता, पढ़ें पूरी खबर..

आरयूएचएस में येलो फीवर के टीके की शुरुआत के मौके पर राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, स्वास्थ्य यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ सुधीर भंडारी समेत प्रमुख चिकित्सक मौजूद रहे. इस मौके पर राजीव अरोड़ा ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के वक्त आरयूएचएस ने जिस प्रतिबद्धता के साथ प्रदेश में सेवा की है, वह अभूतपूर्व है. राज्य में जिस तरह से वैक्सीनेशन का काम हो सका, उसके बाद ही उद्योग धंधे पटरी पर लौट सके हैं.

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) जयपुर में गुरुवार को येलो फीवर वैक्सीनेशन सेंटर का आगाज किया गया. अफ्रीकी देशों के साथ ही कुछ मध्य अमेरिकी देशों में भी येलो फीवर का प्रकोप है. ऐसे में इन देशों की यात्रा करने से पहले टीका लगाया जाना जरूरी होता है. भारत सरकार ने बीते दिनों इस बारे में निर्देश देते हुए राजस्थान में दो केंद्रों पर येलो फीवर के टीके लगाने की केंद्रों को स्वीकृति दी थी. इनमें से एक जयपुर में आरयूएचएस में था, जबकि दूसरा जोधपुर एम्स को मान्य बताया गया था. इसके अलावा अन्य किसी भी केंद्र से लगवाए गए टीके को अवैध माने जाने की भी बात कही गई थी.

गौरतलब है कि बीते दिनों येलो फीवर के टीके की किल्लत को लेकर भी खबरें भी सामने आई थीं. जिसके बाद लोग इस टीके के लिए दिल्ली का रुख कर रहे थे. आरयूएचएस जयपुर में यह टीका हर सोमवार को सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक लगवाया जा सकेगा. जबकि एम्स जोधपुर में हर हफ्ते सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक लगवाया जा सकेगा.

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जानिए क्यों जरूरी है येलो फीवर का टीकाः येलो फीवर को संक्रामक बीमारी बताया जाता है. जिसमें बुखार के साथ-साथ इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के सिर में दर्द, मुंह, नाक, कान और पेट में रक्त स्त्राव होता है. साथ ही शरीर में पीलिया के लक्षण देखे जाते हैं. इस बीमारी के पीछे एक बैक्टीरया होता है. जो ईडीस ईजिप्टिआई प्रजाति के मच्छरों से फैलता है. यह रोग कर्क और मकर रेखाओं के बीच अफ्रीका के अलावा अमरीका के देशों में ज्यादा होता है.

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जयपुर में एक अनुमान के मुताबिक हर महीने करीब 400 लोग येलो फीवर से प्रभावित देशों के सफर पर यात्रा के लिए जाते हैं. अगर एक बार यह टीका लग जाता है, तो फिर 10 साल के लिए टीका लगाने की जरूरत नहीं होती है. दुनिया के 42 देशों में यात्रा के समय यह टीका अनिवार्य होता है. अफ्रीकी देशों की अगर बात की जाए, तो केन्या, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, इथोपिया, सूडान, लीबिया और युगांडा में यात्रा से पहले येलो फीवर का टीका लगाना जरूरी होता है. इसके बाद वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है, तब जाकर ही इन देशों में सफर के लिए वीजा मिल सकता है.

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आरयूएचएस में येलो फीवर के टीके की शुरुआत के मौके पर राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, स्वास्थ्य यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ सुधीर भंडारी समेत प्रमुख चिकित्सक मौजूद रहे. इस मौके पर राजीव अरोड़ा ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के वक्त आरयूएचएस ने जिस प्रतिबद्धता के साथ प्रदेश में सेवा की है, वह अभूतपूर्व है. राज्य में जिस तरह से वैक्सीनेशन का काम हो सका, उसके बाद ही उद्योग धंधे पटरी पर लौट सके हैं.

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