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World Tourism Day 2023 : राजस्थान बना वाइल्ड लाइफ टूरिज्म का बेस्ट स्पॉट, यहां लेपर्ड के दीदार को आते हैं पर्यटक - Wild life tourism

आज विश्व पर्यटन दिवस है. आज हम आपको राजस्थान में बढ़ी जंगल सफारी और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के बेस्ट स्पॉट के बारे में बताएंगे, जहां हाल के दिनों में पर्यटकों के आने की संख्या तेजी से बढ़ी है.

Rajasthan leopard safari jhalana
Rajasthan leopard safari jhalana
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 27, 2023, 1:16 PM IST

राजस्थान बना वाइल्ड लाइफ टूरिज्म स्पॉट

जयपुर. विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितंबर को मनाया जाता है. साल 1980 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व पर्यटन संगठन के जरिए इस खास मौके की शुरुआत की थी. जिसका मकसद था कि दुनिया भर में पर्यटन के जरिए रोजगार को बढ़ावा देना और लोगों को जागरूक करना. साथ ही महत्वपूर्ण स्थलों से दुनिया भर के लोगों को अवगत कराना. राजस्थान और राजधानी जयपुर पर्यटन के मानचित्र में भारत में शुरुआत से ही अव्वल रहे हैं, लेकिन बीते एक दशक में जयपुर के ऐतिहासिक स्थल व पुरातत्व महत्व की जगह से जंगल सफारी ने अपना अलग मुकाम बनाया है. जंगल के साथ ही शहर के करीब घूमते लेपर्ड भी अब लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.

Rajasthan leopard safari jhalana
शहर में तीन लेपर्ड सफारी

तीन लेपर्ड सफारी वाला शहर - ऐसे तो जयपुर की पहचान जलसों और जवाहरात वाले शहर के रूप में है, लेकिन अब जयपुर शहर अपने आबादी वाले क्षेत्र में गुलजार हो रहे जंगलों के बीच चलकदमी करते पैंथर्स के कारण भी अपनी अलग पहचान बना रहा है. जयपुर एक मात्र ऐसा शहरी क्षेत्र है, जहां आसपास में विकसित किए गए वन्य क्षेत्र में तीन लेपर्ड सफारी है. झालाना, आमागढ़ के जंगल में गलता और नाहरगढ़ के इलाके के मायला बाग में घूमते लेपर्ड के अलावा दूसरे जंगली जानवरों का दीदार भी पर्यटक करीब से कर पाते हैं. इन जंगलों में कई तरह की वनस्पति, पक्षी और सरीसृप की विभिन्न प्रजातियां निवास करती हैं. जयपुर में पर्यटन की यह दिशा न सिर्फ नए क्षेत्र का रास्ता खोल चुकी है, बल्कि शहर में पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में भी मददगार साबित हो रही है. हालांकि, नाहरगढ़ में मायला पार्क को फिलहाल सैलानियों के लिए नहीं खोला गया है.

Rajasthan leopard safari jhalana
नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क

कहां कितने लेपर्ड

  1. झालाना - 40
  2. आमागढ़ - 17-20
  3. मायला बाग - 18-20

इसे भी पढ़ें - Special : श्री गंगा भैरव घाटी में लेपर्ड सफारी शुरू करने की योजना, यहां पर्यटक अजमेर के इतिहास से होंगे रूबरू

झालाना से हुई लेपर्ड सफारी की शुरुआत - जयपुर के झालाना औद्योगिक क्षेत्र के पीछे का वन क्षेत्र जहां कभी अतिक्रमण और अवैध खनन का खतरा था, आज वहां हरा भरा जंगल यहां आने वाले सैलानियों को अपनी ओर खींच रहा है. 50 के दशक में आजादी के ठीक बाद तक इस इलाके में बाघ निवास किया करते थे, लेकिन महारानी गायत्री देवी ने शहर में बढ़ते खतरे को देखकर उस आखिरी बाघ का शिकार किया था. उसके बाद से जंगल पर शहरी आबादी का असर बढ़ता चला गया. जिससे ऐतिहासिक शहर जयपुर के आसपास के जंगलों पर खतरा हुआ और पर्यावरण संतुलन गड़बड़ लगा. ऐसे में जंगल को बचाने के साथ-साथ यहां बसने वाले लेपर्ड्स के कुनबे को भी सहेजने के मकसद से वन विभाग ने इस क्षेत्र को लेपर्ड रिजर्व के रूप में घोषित कर दिया. उसके बाद अब इस क्षेत्र में निवास करने वाले लेपर्ड यानी बघेरों की आबादी 40 के पार जा पहुंची है. साल भर देसी विदेशी सैलानी यहां सुबह व शाम की पारी में जंगल की खूबसूरती के साथ-साथ लेपर्ड्स को करीब से देखने के लिए आते हैं. हालत यह है कि हमेशा यहां बुकिंग फुल रहती है.

ये है सफारी घूमने की किराया दर

  1. प्रति पर्यटक - 784 रुपए ( कैंपर में)
  2. प्रति जिप्सी - 4704 रुपए ( अधिकतम 6 लोग)

जयपुर में जंगल हो रहा आबाद - वाइल्ड लाइफ को पसंद करने वाले लोगों के लिए जयपुर एक बेस्ट टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में साकार हो रहा है. जहां तीन लेपर्ड सफारी के अलावा नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बड़े-बड़े क्षेत्र में खुलेआम घूमते जंगली जानवरों को देखना, नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क में लायन सफारी करना भी आसान हो चुका है. वीकेंड्स पर इन दोनों ही जगहों पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं और शहर में ही जंगल के दीदार का फील लेते हैं. जयपुर में जंगल के जीवन को सहेजने की इस कोशिश के बीच पर्यटन क्षेत्र को निश्चित तौर पर बड़ा लाभ पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें - Special : रामगढ़ विषधारी एक साल में हुआ आबाद, मुकुंदरा एक दशक बाद भी बराबरी पर नहीं

इन लेपर्ड सफारी के भी मुरीद हैं पर्यटक - जयपुर में लेपर्ड सफारी के अलावा पाली जिले के जवाई बांध के किनारे बघेरों की घनी आबादी को करीब से देखा जा सकता है. सुमेरपुर के चट्टानी और ग्रेनाइट की पहाड़ियों के किनारे ऊपर से जवाई में लेपर्ड के अलावा मगरमच्छ और पक्षियों की देसी विदेशी प्रजातियां भी निवास करती हैं. बॉलीवुड सेलिब्रिटी कैटरीना कैफ और विकी कौशल ने भी शादी के बाद यहां वक्त बताया था. इसके अलावा झुंझुनू जिले के खेतड़ी में बांसियाल रिजर्व कंजर्वेशन में लेपर्ड सफारी शुरू हो चुकी है. वर्तमान में दो दर्जन से ज्यादा लेपर्ड यहां साइट किए गए हैं. वहीं, चिंकारा, भेड़िया, सियार, नीलगाय समेत अन्य वन्यजीव और अनेक तरह के पक्षी यहां देखे जा सकते हैं. करीब 70 स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण को भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में पर्यटक खासा पसंद करेंगे.

यहां भी वाइल्ड लाइफ आकर्षण का केंद्र - राजस्थान का रणथंभौर और सरिस्का भी टाइगर रिजर्व के रूप में दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुकी है. इसके अलावा हाड़ौती में मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण भी अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. इन सब के बीच उदयपुर का सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और जोधपुर की माचिया सफारी को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

राजस्थान बना वाइल्ड लाइफ टूरिज्म स्पॉट

जयपुर. विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितंबर को मनाया जाता है. साल 1980 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व पर्यटन संगठन के जरिए इस खास मौके की शुरुआत की थी. जिसका मकसद था कि दुनिया भर में पर्यटन के जरिए रोजगार को बढ़ावा देना और लोगों को जागरूक करना. साथ ही महत्वपूर्ण स्थलों से दुनिया भर के लोगों को अवगत कराना. राजस्थान और राजधानी जयपुर पर्यटन के मानचित्र में भारत में शुरुआत से ही अव्वल रहे हैं, लेकिन बीते एक दशक में जयपुर के ऐतिहासिक स्थल व पुरातत्व महत्व की जगह से जंगल सफारी ने अपना अलग मुकाम बनाया है. जंगल के साथ ही शहर के करीब घूमते लेपर्ड भी अब लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.

Rajasthan leopard safari jhalana
शहर में तीन लेपर्ड सफारी

तीन लेपर्ड सफारी वाला शहर - ऐसे तो जयपुर की पहचान जलसों और जवाहरात वाले शहर के रूप में है, लेकिन अब जयपुर शहर अपने आबादी वाले क्षेत्र में गुलजार हो रहे जंगलों के बीच चलकदमी करते पैंथर्स के कारण भी अपनी अलग पहचान बना रहा है. जयपुर एक मात्र ऐसा शहरी क्षेत्र है, जहां आसपास में विकसित किए गए वन्य क्षेत्र में तीन लेपर्ड सफारी है. झालाना, आमागढ़ के जंगल में गलता और नाहरगढ़ के इलाके के मायला बाग में घूमते लेपर्ड के अलावा दूसरे जंगली जानवरों का दीदार भी पर्यटक करीब से कर पाते हैं. इन जंगलों में कई तरह की वनस्पति, पक्षी और सरीसृप की विभिन्न प्रजातियां निवास करती हैं. जयपुर में पर्यटन की यह दिशा न सिर्फ नए क्षेत्र का रास्ता खोल चुकी है, बल्कि शहर में पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में भी मददगार साबित हो रही है. हालांकि, नाहरगढ़ में मायला पार्क को फिलहाल सैलानियों के लिए नहीं खोला गया है.

Rajasthan leopard safari jhalana
नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क

कहां कितने लेपर्ड

  1. झालाना - 40
  2. आमागढ़ - 17-20
  3. मायला बाग - 18-20

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झालाना से हुई लेपर्ड सफारी की शुरुआत - जयपुर के झालाना औद्योगिक क्षेत्र के पीछे का वन क्षेत्र जहां कभी अतिक्रमण और अवैध खनन का खतरा था, आज वहां हरा भरा जंगल यहां आने वाले सैलानियों को अपनी ओर खींच रहा है. 50 के दशक में आजादी के ठीक बाद तक इस इलाके में बाघ निवास किया करते थे, लेकिन महारानी गायत्री देवी ने शहर में बढ़ते खतरे को देखकर उस आखिरी बाघ का शिकार किया था. उसके बाद से जंगल पर शहरी आबादी का असर बढ़ता चला गया. जिससे ऐतिहासिक शहर जयपुर के आसपास के जंगलों पर खतरा हुआ और पर्यावरण संतुलन गड़बड़ लगा. ऐसे में जंगल को बचाने के साथ-साथ यहां बसने वाले लेपर्ड्स के कुनबे को भी सहेजने के मकसद से वन विभाग ने इस क्षेत्र को लेपर्ड रिजर्व के रूप में घोषित कर दिया. उसके बाद अब इस क्षेत्र में निवास करने वाले लेपर्ड यानी बघेरों की आबादी 40 के पार जा पहुंची है. साल भर देसी विदेशी सैलानी यहां सुबह व शाम की पारी में जंगल की खूबसूरती के साथ-साथ लेपर्ड्स को करीब से देखने के लिए आते हैं. हालत यह है कि हमेशा यहां बुकिंग फुल रहती है.

ये है सफारी घूमने की किराया दर

  1. प्रति पर्यटक - 784 रुपए ( कैंपर में)
  2. प्रति जिप्सी - 4704 रुपए ( अधिकतम 6 लोग)

जयपुर में जंगल हो रहा आबाद - वाइल्ड लाइफ को पसंद करने वाले लोगों के लिए जयपुर एक बेस्ट टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में साकार हो रहा है. जहां तीन लेपर्ड सफारी के अलावा नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बड़े-बड़े क्षेत्र में खुलेआम घूमते जंगली जानवरों को देखना, नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क में लायन सफारी करना भी आसान हो चुका है. वीकेंड्स पर इन दोनों ही जगहों पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं और शहर में ही जंगल के दीदार का फील लेते हैं. जयपुर में जंगल के जीवन को सहेजने की इस कोशिश के बीच पर्यटन क्षेत्र को निश्चित तौर पर बड़ा लाभ पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें - Special : रामगढ़ विषधारी एक साल में हुआ आबाद, मुकुंदरा एक दशक बाद भी बराबरी पर नहीं

इन लेपर्ड सफारी के भी मुरीद हैं पर्यटक - जयपुर में लेपर्ड सफारी के अलावा पाली जिले के जवाई बांध के किनारे बघेरों की घनी आबादी को करीब से देखा जा सकता है. सुमेरपुर के चट्टानी और ग्रेनाइट की पहाड़ियों के किनारे ऊपर से जवाई में लेपर्ड के अलावा मगरमच्छ और पक्षियों की देसी विदेशी प्रजातियां भी निवास करती हैं. बॉलीवुड सेलिब्रिटी कैटरीना कैफ और विकी कौशल ने भी शादी के बाद यहां वक्त बताया था. इसके अलावा झुंझुनू जिले के खेतड़ी में बांसियाल रिजर्व कंजर्वेशन में लेपर्ड सफारी शुरू हो चुकी है. वर्तमान में दो दर्जन से ज्यादा लेपर्ड यहां साइट किए गए हैं. वहीं, चिंकारा, भेड़िया, सियार, नीलगाय समेत अन्य वन्यजीव और अनेक तरह के पक्षी यहां देखे जा सकते हैं. करीब 70 स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण को भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में पर्यटक खासा पसंद करेंगे.

यहां भी वाइल्ड लाइफ आकर्षण का केंद्र - राजस्थान का रणथंभौर और सरिस्का भी टाइगर रिजर्व के रूप में दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुकी है. इसके अलावा हाड़ौती में मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण भी अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. इन सब के बीच उदयपुर का सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और जोधपुर की माचिया सफारी को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

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