विराटनगर (जयपुर). जीनोम इंडिया परियोजना के अंतर्गत एम्स हॉस्पिटल जोधपुर एवं एसजीएन हॉस्पिटल पावटा के तत्वाधान में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र से आए हुए लोगों के रक्त के नमूने परियोजना के लिए संग्रहित किए गए. यह भारत सरकार की एक महत्वकांक्षी जीन प्रति चित्रण परियोजना है. जिसे भारत की विशाल अनुवांशिक विविधता की ओर बढ़ता पहले कदम के रूप में बताया गया है.
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य अगली पीढ़ी की दवा, कृषि और जैव विविधता प्रबंधन के लिए भारत के अनुवांशिक परिदृश्य का प्रति चित्रण महत्वपूर्ण है. जीनोम इंडिया परियोजना के अंतर्गत भारतीय आबादी के पैमाने और विविधता के कारण मानव प्रजाति पर उपलब्ध जानकारी को जुटाने और उसके कारण को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे भारतीय संदर्भ जीनोम का ग्रीड तैयार किया जाएगा. जिससे बीमारी के लक्षण के प्रकार और प्रकृति को पूरी तरह से समझा जा सके.
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कार्यशाला में डॉ.दौलत सिंह ने बताया कि यह कार्यशाला शोध का अध्ययन मूल रूप में डीएनए के विश्लेषण पर केंद्रित है. हमें अध्ययन से आबादी में मौजूद अधिकांश अनुवांशिक विविधता को यहां एक दस्तावेज तैयार करने के लिए कर रहे हैं. डॉ.धर्मवीर यादव ने बताया कि इस अध्ययन में एकत्रित किए रक्त के नमूने के एक भाग से हम डीएनए को अलग करके दूसरे भाग से कुछ रासायनिक जांच करेंगे.
जैसे कुल रक्त कोशिकाओं की गिनती, ग्लूकोस, लिपिड प्रोफाइल, किडनी प्रोफाइल, विटामिन बी ट्वेल्व, प्लेटेड, हेमोस्टैसिस, विटामिन डी, इंसुलिन स्तर जांचें की उपयोग भविष्य में ए, बी, वी सेल लाइन प्रेरित प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल बनाने में काम लिया जाएगा.