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International Women's Day : एनिमल लवर मरियम, जो लॉकडाउन में डॉग्स के साथ हुई क्रूरता के बाद राजस्थान की हो गईं - लॉकडाउन में डॉग्स के साथ हुई क्रूरता

एनिमल लवर मरियम, जो लॉकडाउन में डॉग्स के साथ हुई क्रूरता के बाद राजस्थान की हो गईं. वे नि:स्वार्थ भाव से जानवरों के लिए काम कर रही हैं. क्या है मरियम का राजस्थान में रुकने का विजन ? अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए यह खास रिपोर्ट...

Animal Activist Mariam Abuhaideri
जानवरों की मसीहा मरियम
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Published : Mar 8, 2023, 8:18 AM IST

एनिमल लवर मरियम, सुनिए राजस्थान में रुकने का विजन...

जयपुर. कहते हैं कि सबसे ज्यादा वफादार एनिमल डॉग्स यानी श्वान होते हैं. डॉग्स की वफादारी की मिसाल दुनिया भर में दी जाती है, लेकिन राजस्थान में देसी डॉग्स को न केवल हीन भावना के साथ देखा जाता है, बल्कि उनके ऊपर क्रूरता भी की जाती है. हालांकि, कुछ एनिमल लवर्स ऐसे भी होते हैं जो न केवल इनसे प्यार करते हैं बल्कि इनके अधिकारों के लिए शासन और प्रशासन से भी दो-दो हाथ करने को तैयार हो जाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको मिलाते हैं एक ऐसी एनिमल लवर से जो राजस्थान आईं तो घूमने थीं, लेकिन पशु क्रूरता की घटना के बाद अब वो राजस्थान में ही बस गई हैं. मरियम पिछले 3 साल से राजस्थान में निस्वार्थ भाव से पशु क्रूरता के खिलाफ काम कर रही हैं. मरियम के अथक प्रयासों के बीच राजस्थान में पशु कल्याण बोर्ड का गठन हुआ और अब वह पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ रही हैं.

Animal Lover Mariam
श्वान को पुचकारतीं मरियम

डॉग्स के साथ हुई क्रूरता ने बदला लक्ष्य : कंटेंट राइटर मरियम अबुहेदरी मूलरूप से पुणे की रहने वाली हैं, लेकिन दुनिया घूमने के सपने के साथ 28 से ज्यादा देशों का सफर कर चुकी हैं. कई विषय में शोध करने के बाद अपनी किताब के लिए कुछ और जानकारी जुटाने मरियम फरवरी 2020 में जयपुर आती हैं, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन लग जाता है. यहीं से मरियम के जीवन के नए सफर की शुरुआत होती है. पेशे से कंटेंट राइटर मरियम पिछले 3 साल से निस्वार्थ भाव से जानवरों को लेकर काम कर रही हैं. मरियम बताती हैं कि जयपुर घूमने आई तो लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गईं.

इन दिनों गलियों में घूमने वाले एनिमल्स को खाने के लिए ब्रेड और बिस्किट देती थीं. इस दौरान पांच डॉग्स से उनकी दोस्ती हो गई. मरियम ने उनका नाम भी रखा, लेकिन एक दिन एक गाड़ी आती है और उन पांच डॉग्स में दो को टक्कर मार देती और सीधी चली जाती है. इनमें से एक की मौके पर मौत हो जाती है और दूसरा घायल हो जाता, लेकिन उसे बचाने के लिए कोई नहीं आता है. तब लगा कि जो क्रूरता के नियम इंसानों के लिए हैं वो ही एनिमल्स को लेकर है, फिर इन डॉग्स पर इस तरह की क्रूरता क्यों. उसी दिन से उन्होंने जयपुर में रुकने की ठानी और आज तक वो इन स्ट्रीट डॉग्स को लेकर कानूनी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं.

Animal Lover Mariam
एनिमल लवर मरियम

नियमों में बदलाव की जरूरत : मरियम बताती हैं कि उस घटना के बाद से वो जानवरों से जुड़ीं, कई संस्थाओं के साथ काम किया, तब उन्होंने देखा कि इन एनिमल्स को खाना खिलाना या इनको परेशानी के वक्त रेस्क्यू करने के लिए तो काफी एनिमल लवर्स हैं, लेकिन इनपर होने वाली क्रूरता पर कोई काम नहीं कर रहा. उन्होंने तय किया कि वो इनके अधिकारों के लिए काम करेंगी. मरियम कहती हैं कि पशु क्रूरता अधिनियम में कई कानून हैं, लेकिन वो नाकाफी हैं. कोई भी किसी श्वान को मार देता है और उसे केवल 50 रुपये का फाइन चुकाना पड़ता है और वो फ्री हो जाता है. इनमें संशोधन की जरूरत है. इस जुर्माना राशि को 50 रुपये से बड़ा कर 25 हजार रुपये करना चाहिए, ताकि डर की वजह से लोग पशु क्रूरता करने से पहले दस बार सोचें.

पढ़ें : Story of animal lover of Raipur : आवारा पशुओं के मसीहा रिटायर्ड इंजीनियर राजीव खन्ना, बेजुबानों पर खर्च करते हैं पेंशन

पशु क्रूरता थाना अलग से हो : मरियम बताती हैं कि पशु क्रूरता कानून है, उसमें पुलिस थाने में ही शिकायत दर्ज होती है. लेकिन थानों की स्थिति राजस्थान में इस तरह से है कि वह इंसानों के ही मुकदमें पूरी तरीके से नहीं सुलझा पा रहे हैं. जानवरों के लिए उनके पास वक्त ही नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार पशुओं पर हुई क्रूरता को लेकर जब थाने गई तो पुलिस को यह तक पता नहीं है कि जानवर पर होने वाले अत्याचार के बाद किन धाराओं में कार्रवाई की जाती है. इसलिए उन्होंने सरकार के सामने मांग रखी है कि राजस्थान के प्रत्येक जिले में एक पशु थाना खोला जाए, जिसमें कानून के जानकार के साथ-साथ विषय विशेषज्ञ भी शामिल हों, ताकि पशुओं के प्रति क्रूरता पर कानूनी कार्रवाई की जा सके. मरियम कहती हैं कि अगर राजस्थान में पशु क्रूरता के लिए थाना खुलता है तो वह देश का पहला राज्य होगा जहां अलग से पशुओं के लिए पुलिस स्टेशन होगा.

Fight for Animal Life
निस्वार्थ भाव से जानवरों के लिए काम कर रही हैं मरियम

एनिमल्स वोट नहीं देते, लेकिन लवर्स वोट देते हैं : मरियम कहती हैं कि अब वक्त आ गया है कि हमें मूक पशुओं की भी गंभीरता के साथ चिंता करनी होगी. सरकार को इन वन्यजीवों की रक्षा के लिए आगे आना होगा. यह सही है कि जानवर सरकार को वोट नहीं देते, लेकिन वह समझ ले कि जो एनिमल लवर्स हैं वह उनको वोट देते हैं. अगर आप उनके जानवरों का ख्याल रखेंगे तो वह आपका ख्याल रखेंगे. मरियम कहती हैं कि संविधान ने पशुओं को अपने अधिकार दिए हैं, लेकिन उन पर काम नहीं हो रहा है. राजस्थान रुकने का मकसद भी यही है कि कानून ढंग से इंप्लीमेंट हो. कुछ संसोधन की जरूरत है, उस पर वो अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं जो जल्द ही सरकार को सौंपेंगी. ईरानी मूल की मरियम के माता-पिता पुणे में रहते हैं. उनकी पैदाइश भी पुणे की ही है. हालांकि, उन्होंने पढ़ाई और रिसर्चर कर 28 से ज्यादा देश घूम चुकी हैं. पिछले साल ही एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन जयपुर ने मरियम को 'हीरो' अवार्ड से नवाजा है.

डॉग्स बर्थ कंट्रोल जरूरी : मरियम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की जिसमें डॉग बर्थ कंट्रोल को लेकर सुझाव है. उन्होंने कहा कि डॉग्स की अधिक संख्या ही उनके ऊपर क्रूरता का एक बड़ा कारण है. सबसे पहले डॉग्स बर्थ कंट्रोल के लिए उनकी नसबंदी जरूरी है. अगर राजस्थान में डॉग्स की संख्या में कमी होगी तो उनकी केयर भी ज्यादा होगी. उन्होंने कहा कि हम विदेशी डॉग्स को घर में रखते हैं, लेकिन देसी डॉग्स से नफरत करते हैं. क्योंकि वो आसानी से गली-मोहल्लों में घूमते दिखाई देते हैं. डॉग्स कम होंगे तो उन पर क्रूरता भी कम होगी. मरियम कहती हैं कि स्कूली शिक्षा में भी पर्यावरण और एनिमल्स से जुड़ा हुआ अलग से सबजेक्ट जोड़ा जाए. बच्चों को स्कूल में एनिमल्स को लेकर पढ़ाया जाएगा तो उनमें बचपन से इनके प्रति दयाभाव होगा.

Special Conversation with Mariam Abuhaideri
ईटीवी भारत से बात करतीं मरियम...

पशु कल्याण बोर्ड का गठन : मरियम कहती हैं कि जिस कानून में सुधार के लिए वो राजस्थान में काम कर रही हैं, उसमें उन्हें सफलता भी मिलने लगी है. एक लंबी लड़ाई के बाद में पशु कल्याण बोर्ड का गठन हुआ है. इस पशु कल्याण बोर्ड गठन के लिए राजस्थान के जितने भी एनिमल्स लवर्स हैं, वह सभी एक मंच पर आए थे और उन्होंने सरकार के सामने भी डिमांड रखी थी कि पशु कल्याण बोर्ड होना चाहिए. अच्छी बात है कि सरकार ने इसको गंभीरता से लिया और हाल ही में पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया है. मरियम कहती हैं कि यह हमारी पहली लड़ाई है, लेकिन अभी जो 50-60 साल पुराने पशु क्रूरता के नियम बने हैंं, उनमें भी संशोधन कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी है. उन्होंने कहा कि हमें ये समझना होगा कि जो जीने के नियम इंसान के लिए बने हैं वही नियम एनिमल्स के भी हैं. जितना अधिकार इंसान का है, उतना ही जानवरों का भी है.

एनिमल लवर मरियम, सुनिए राजस्थान में रुकने का विजन...

जयपुर. कहते हैं कि सबसे ज्यादा वफादार एनिमल डॉग्स यानी श्वान होते हैं. डॉग्स की वफादारी की मिसाल दुनिया भर में दी जाती है, लेकिन राजस्थान में देसी डॉग्स को न केवल हीन भावना के साथ देखा जाता है, बल्कि उनके ऊपर क्रूरता भी की जाती है. हालांकि, कुछ एनिमल लवर्स ऐसे भी होते हैं जो न केवल इनसे प्यार करते हैं बल्कि इनके अधिकारों के लिए शासन और प्रशासन से भी दो-दो हाथ करने को तैयार हो जाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको मिलाते हैं एक ऐसी एनिमल लवर से जो राजस्थान आईं तो घूमने थीं, लेकिन पशु क्रूरता की घटना के बाद अब वो राजस्थान में ही बस गई हैं. मरियम पिछले 3 साल से राजस्थान में निस्वार्थ भाव से पशु क्रूरता के खिलाफ काम कर रही हैं. मरियम के अथक प्रयासों के बीच राजस्थान में पशु कल्याण बोर्ड का गठन हुआ और अब वह पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ रही हैं.

Animal Lover Mariam
श्वान को पुचकारतीं मरियम

डॉग्स के साथ हुई क्रूरता ने बदला लक्ष्य : कंटेंट राइटर मरियम अबुहेदरी मूलरूप से पुणे की रहने वाली हैं, लेकिन दुनिया घूमने के सपने के साथ 28 से ज्यादा देशों का सफर कर चुकी हैं. कई विषय में शोध करने के बाद अपनी किताब के लिए कुछ और जानकारी जुटाने मरियम फरवरी 2020 में जयपुर आती हैं, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन लग जाता है. यहीं से मरियम के जीवन के नए सफर की शुरुआत होती है. पेशे से कंटेंट राइटर मरियम पिछले 3 साल से निस्वार्थ भाव से जानवरों को लेकर काम कर रही हैं. मरियम बताती हैं कि जयपुर घूमने आई तो लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गईं.

इन दिनों गलियों में घूमने वाले एनिमल्स को खाने के लिए ब्रेड और बिस्किट देती थीं. इस दौरान पांच डॉग्स से उनकी दोस्ती हो गई. मरियम ने उनका नाम भी रखा, लेकिन एक दिन एक गाड़ी आती है और उन पांच डॉग्स में दो को टक्कर मार देती और सीधी चली जाती है. इनमें से एक की मौके पर मौत हो जाती है और दूसरा घायल हो जाता, लेकिन उसे बचाने के लिए कोई नहीं आता है. तब लगा कि जो क्रूरता के नियम इंसानों के लिए हैं वो ही एनिमल्स को लेकर है, फिर इन डॉग्स पर इस तरह की क्रूरता क्यों. उसी दिन से उन्होंने जयपुर में रुकने की ठानी और आज तक वो इन स्ट्रीट डॉग्स को लेकर कानूनी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं.

Animal Lover Mariam
एनिमल लवर मरियम

नियमों में बदलाव की जरूरत : मरियम बताती हैं कि उस घटना के बाद से वो जानवरों से जुड़ीं, कई संस्थाओं के साथ काम किया, तब उन्होंने देखा कि इन एनिमल्स को खाना खिलाना या इनको परेशानी के वक्त रेस्क्यू करने के लिए तो काफी एनिमल लवर्स हैं, लेकिन इनपर होने वाली क्रूरता पर कोई काम नहीं कर रहा. उन्होंने तय किया कि वो इनके अधिकारों के लिए काम करेंगी. मरियम कहती हैं कि पशु क्रूरता अधिनियम में कई कानून हैं, लेकिन वो नाकाफी हैं. कोई भी किसी श्वान को मार देता है और उसे केवल 50 रुपये का फाइन चुकाना पड़ता है और वो फ्री हो जाता है. इनमें संशोधन की जरूरत है. इस जुर्माना राशि को 50 रुपये से बड़ा कर 25 हजार रुपये करना चाहिए, ताकि डर की वजह से लोग पशु क्रूरता करने से पहले दस बार सोचें.

पढ़ें : Story of animal lover of Raipur : आवारा पशुओं के मसीहा रिटायर्ड इंजीनियर राजीव खन्ना, बेजुबानों पर खर्च करते हैं पेंशन

पशु क्रूरता थाना अलग से हो : मरियम बताती हैं कि पशु क्रूरता कानून है, उसमें पुलिस थाने में ही शिकायत दर्ज होती है. लेकिन थानों की स्थिति राजस्थान में इस तरह से है कि वह इंसानों के ही मुकदमें पूरी तरीके से नहीं सुलझा पा रहे हैं. जानवरों के लिए उनके पास वक्त ही नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार पशुओं पर हुई क्रूरता को लेकर जब थाने गई तो पुलिस को यह तक पता नहीं है कि जानवर पर होने वाले अत्याचार के बाद किन धाराओं में कार्रवाई की जाती है. इसलिए उन्होंने सरकार के सामने मांग रखी है कि राजस्थान के प्रत्येक जिले में एक पशु थाना खोला जाए, जिसमें कानून के जानकार के साथ-साथ विषय विशेषज्ञ भी शामिल हों, ताकि पशुओं के प्रति क्रूरता पर कानूनी कार्रवाई की जा सके. मरियम कहती हैं कि अगर राजस्थान में पशु क्रूरता के लिए थाना खुलता है तो वह देश का पहला राज्य होगा जहां अलग से पशुओं के लिए पुलिस स्टेशन होगा.

Fight for Animal Life
निस्वार्थ भाव से जानवरों के लिए काम कर रही हैं मरियम

एनिमल्स वोट नहीं देते, लेकिन लवर्स वोट देते हैं : मरियम कहती हैं कि अब वक्त आ गया है कि हमें मूक पशुओं की भी गंभीरता के साथ चिंता करनी होगी. सरकार को इन वन्यजीवों की रक्षा के लिए आगे आना होगा. यह सही है कि जानवर सरकार को वोट नहीं देते, लेकिन वह समझ ले कि जो एनिमल लवर्स हैं वह उनको वोट देते हैं. अगर आप उनके जानवरों का ख्याल रखेंगे तो वह आपका ख्याल रखेंगे. मरियम कहती हैं कि संविधान ने पशुओं को अपने अधिकार दिए हैं, लेकिन उन पर काम नहीं हो रहा है. राजस्थान रुकने का मकसद भी यही है कि कानून ढंग से इंप्लीमेंट हो. कुछ संसोधन की जरूरत है, उस पर वो अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं जो जल्द ही सरकार को सौंपेंगी. ईरानी मूल की मरियम के माता-पिता पुणे में रहते हैं. उनकी पैदाइश भी पुणे की ही है. हालांकि, उन्होंने पढ़ाई और रिसर्चर कर 28 से ज्यादा देश घूम चुकी हैं. पिछले साल ही एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन जयपुर ने मरियम को 'हीरो' अवार्ड से नवाजा है.

डॉग्स बर्थ कंट्रोल जरूरी : मरियम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की जिसमें डॉग बर्थ कंट्रोल को लेकर सुझाव है. उन्होंने कहा कि डॉग्स की अधिक संख्या ही उनके ऊपर क्रूरता का एक बड़ा कारण है. सबसे पहले डॉग्स बर्थ कंट्रोल के लिए उनकी नसबंदी जरूरी है. अगर राजस्थान में डॉग्स की संख्या में कमी होगी तो उनकी केयर भी ज्यादा होगी. उन्होंने कहा कि हम विदेशी डॉग्स को घर में रखते हैं, लेकिन देसी डॉग्स से नफरत करते हैं. क्योंकि वो आसानी से गली-मोहल्लों में घूमते दिखाई देते हैं. डॉग्स कम होंगे तो उन पर क्रूरता भी कम होगी. मरियम कहती हैं कि स्कूली शिक्षा में भी पर्यावरण और एनिमल्स से जुड़ा हुआ अलग से सबजेक्ट जोड़ा जाए. बच्चों को स्कूल में एनिमल्स को लेकर पढ़ाया जाएगा तो उनमें बचपन से इनके प्रति दयाभाव होगा.

Special Conversation with Mariam Abuhaideri
ईटीवी भारत से बात करतीं मरियम...

पशु कल्याण बोर्ड का गठन : मरियम कहती हैं कि जिस कानून में सुधार के लिए वो राजस्थान में काम कर रही हैं, उसमें उन्हें सफलता भी मिलने लगी है. एक लंबी लड़ाई के बाद में पशु कल्याण बोर्ड का गठन हुआ है. इस पशु कल्याण बोर्ड गठन के लिए राजस्थान के जितने भी एनिमल्स लवर्स हैं, वह सभी एक मंच पर आए थे और उन्होंने सरकार के सामने भी डिमांड रखी थी कि पशु कल्याण बोर्ड होना चाहिए. अच्छी बात है कि सरकार ने इसको गंभीरता से लिया और हाल ही में पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया है. मरियम कहती हैं कि यह हमारी पहली लड़ाई है, लेकिन अभी जो 50-60 साल पुराने पशु क्रूरता के नियम बने हैंं, उनमें भी संशोधन कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी है. उन्होंने कहा कि हमें ये समझना होगा कि जो जीने के नियम इंसान के लिए बने हैं वही नियम एनिमल्स के भी हैं. जितना अधिकार इंसान का है, उतना ही जानवरों का भी है.

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