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आदेश पर आक्रोश ! RSCW के फैसले से गुस्से में महिला संगठन , रेहाना रियाज का मांगा इस्तीफा - rajasthan hindi news

राज्य महिला आयोग की ओर से दुष्कर्म के झूठे मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विवाद खड़ा हो गया है. प्रदेश के महिला सामाजिक संगठनों ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए आयोग के अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की है.

protest against RSCW Decision
आदेश पर आक्रोश !
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Published : Nov 2, 2022, 11:08 AM IST

Updated : Nov 2, 2022, 3:30 PM IST

जयपुर- राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष रेहाना रियाज के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है. प्रदेश की महिला सामाजिक संगठनों ने आयोग के उस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है जिसमें उन्होंने महिला प्रताड़ना के झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आयोग के इस फैसले के विरोध में महिला सामाजिक संगठनों ने सुबह 11:30 बजे महिला आयोग के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है.

दुर्भाग्यपूर्ण आदेश- महिला सुरक्षा पर काम करने वाली निशा सिद्धू का कहना है कि महिला आयोग के अध्यक्ष का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. आयोग इस तरह से किसी भी परिवादी महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश नहीं दे सकता. इस तरह के फैसले से महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं और बढ़ेंगी. राज्य महिला आयोग महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है न कि महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए. उन्होंने कहा आयोग की अध्यक्ष ने जिस तरह से 418 मामलों को झूठा करार देते हुए 60 मामलों में आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं , आयोग का यह निर्णय पितृसत्तात्मक सोच को दर्शाता है.

आदेश पर आक्रोश ....

महिला विरोधी आदेश- दलित महिलाओं पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवठिया ने कहा कि जिस तरह से राज्य महिला आयोग ने पीड़ित महिलाओं के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं , इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए. आयोग की अध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से अपने फैसले को वापस लेते हुए अपने पद से इस्तीफा भी देना चाहिए. सुमन देवठिया ने कहा कि पहले ही महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार पकड़ के सामने नहीं आती है अब इस तरह के आदेश से इन महिलाओं में और ज्यादा डर और भय बन जाएगा.

सरकार को बचाने के लिए दिया आदेश- सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने कहा कि आयोग का ये बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. इस फैसले के बाद पीड़ित महिलाएं जो पहले से ही अपने ऊपर हुए अत्याचार को पुलिस तक पहुंचाने की हिम्मत नहीं करती हैं उन्हें और ज्यादा पीछे धकेल दिया जाएगा. महिलाओं में एक डर बन जाएगा कि अगर उनके फैसले को झूठा करार दे दिया गया तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी. इससे जो वास्तविक पीड़ित महिलाएं हैं वो भी न्याय से दूर हो जाएंगी. महिला आयोग की अध्यक्ष का यह फैसला बहुत ही ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है और पीड़ित महिलाओं को न्याय से दूर करने वाला है. मनीषा सिंह ने कहा कि महिला आयोग एक ऐसा संवैधानिक पद है जो महिलाओं के न्याय के लिए काम करता है , लेकिन जिस तरह का बयान महिलाओं के देख कर दिया है. उससे ऐसा लगता है कि वह सरकार के बचाव के लिए काम कर रही हैं.

पढ़ें-NCW vs RSCW : राष्ट्रीय महिला आयोग को सिर्फ राजस्थान दिखता है, दूसरे राज्यों में क्यों नहीं जाती - रेहाना रियाज

ये था महिला आयोग का आदेश- बता दें कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने मंगलवार को कहा थ कि आयोग की जिम्मेदारी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना ही नहीं बल्कि उन पुरुषों को भी न्याय दिलाना है , जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है . आयोग ने ऐसे 418 मामलों को चिन्हित किया है जो झूठे पाए गए हैं . इनमें से 60 मामलों पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के लिए राज्य महिला आयोग ने संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं.

रियाना रियाज ने कहा कि जिन परिवादों पर परिवादिया ने झूंठे मामले दर्ज कराएं हैं उनमें उनके खिलाफ धारा 182 व 211 दंड भारतीय संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी , ताकि कोई भी महिला किसी भी देश या प्रतिशोध की भावना से किसी भी पुरुष के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं कराए. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना आयु की सर्वोच्च प्राथमिकता है , लेकिन आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखें जो अधिकार महिलाओं को मिले हैं उनका दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है.

जयपुर- राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष रेहाना रियाज के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है. प्रदेश की महिला सामाजिक संगठनों ने आयोग के उस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है जिसमें उन्होंने महिला प्रताड़ना के झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. आयोग के इस फैसले के विरोध में महिला सामाजिक संगठनों ने सुबह 11:30 बजे महिला आयोग के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है.

दुर्भाग्यपूर्ण आदेश- महिला सुरक्षा पर काम करने वाली निशा सिद्धू का कहना है कि महिला आयोग के अध्यक्ष का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. आयोग इस तरह से किसी भी परिवादी महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश नहीं दे सकता. इस तरह के फैसले से महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं और बढ़ेंगी. राज्य महिला आयोग महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है न कि महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए. उन्होंने कहा आयोग की अध्यक्ष ने जिस तरह से 418 मामलों को झूठा करार देते हुए 60 मामलों में आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं , आयोग का यह निर्णय पितृसत्तात्मक सोच को दर्शाता है.

आदेश पर आक्रोश ....

महिला विरोधी आदेश- दलित महिलाओं पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवठिया ने कहा कि जिस तरह से राज्य महिला आयोग ने पीड़ित महिलाओं के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं , इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए. आयोग की अध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से अपने फैसले को वापस लेते हुए अपने पद से इस्तीफा भी देना चाहिए. सुमन देवठिया ने कहा कि पहले ही महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार पकड़ के सामने नहीं आती है अब इस तरह के आदेश से इन महिलाओं में और ज्यादा डर और भय बन जाएगा.

सरकार को बचाने के लिए दिया आदेश- सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने कहा कि आयोग का ये बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. इस फैसले के बाद पीड़ित महिलाएं जो पहले से ही अपने ऊपर हुए अत्याचार को पुलिस तक पहुंचाने की हिम्मत नहीं करती हैं उन्हें और ज्यादा पीछे धकेल दिया जाएगा. महिलाओं में एक डर बन जाएगा कि अगर उनके फैसले को झूठा करार दे दिया गया तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी. इससे जो वास्तविक पीड़ित महिलाएं हैं वो भी न्याय से दूर हो जाएंगी. महिला आयोग की अध्यक्ष का यह फैसला बहुत ही ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है और पीड़ित महिलाओं को न्याय से दूर करने वाला है. मनीषा सिंह ने कहा कि महिला आयोग एक ऐसा संवैधानिक पद है जो महिलाओं के न्याय के लिए काम करता है , लेकिन जिस तरह का बयान महिलाओं के देख कर दिया है. उससे ऐसा लगता है कि वह सरकार के बचाव के लिए काम कर रही हैं.

पढ़ें-NCW vs RSCW : राष्ट्रीय महिला आयोग को सिर्फ राजस्थान दिखता है, दूसरे राज्यों में क्यों नहीं जाती - रेहाना रियाज

ये था महिला आयोग का आदेश- बता दें कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने मंगलवार को कहा थ कि आयोग की जिम्मेदारी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना ही नहीं बल्कि उन पुरुषों को भी न्याय दिलाना है , जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है . आयोग ने ऐसे 418 मामलों को चिन्हित किया है जो झूठे पाए गए हैं . इनमें से 60 मामलों पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के लिए राज्य महिला आयोग ने संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं.

रियाना रियाज ने कहा कि जिन परिवादों पर परिवादिया ने झूंठे मामले दर्ज कराएं हैं उनमें उनके खिलाफ धारा 182 व 211 दंड भारतीय संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी , ताकि कोई भी महिला किसी भी देश या प्रतिशोध की भावना से किसी भी पुरुष के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं कराए. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना आयु की सर्वोच्च प्राथमिकता है , लेकिन आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखें जो अधिकार महिलाओं को मिले हैं उनका दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है.

Last Updated : Nov 2, 2022, 3:30 PM IST
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