ETV Bharat / state

जयपुर में मनाया गया कजरी तीज, सुहागिनों ने चांद का दीदार कर खोला व्रत

author img

By

Published : Aug 7, 2020, 5:05 AM IST

जयपुर में गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने खास सातुड़ी तीज का त्योहार व्रत रखकर हर्षोल्लास के साथ मनाया. चांद का दीदार कर व्रत खोला गया. भादों महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है.

Kajri Teej festival, जयपुर न्यूज़
जयपुर में सुहागिन महिलाओं ने मनाया कजरी तीज का त्योहार

जयपुर. राजधानी में गुरुवार को भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन सुहागिन महिलाओं ने खास सातुड़ी तीज का त्योहार व्रत रखकर हर्षोल्लास के साथ मनाया. सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य और कुंवारी लड़कियों ने अच्छा पति पाने के लिए ये व्रत रखा. इसके बाद चांद का दीदार कर व्रत खोला गया.

पढ़ें: आगामी विधानसभा सत्र: जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर विधायक गंभीर नहीं!

महिलाओं ने गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए. सुबह नीमड़ी का पूजन किया और शाम को समूह में बैठकर तीज माता की कहानी सुनी. इस मौके पर सहेलियों ने कजली के गीत गाते हुए डांस किया. इस बीच दिन में बादल छाए रहने से महिलाओं में चंद्रोदय को लेकर संशय बना रहा. वहीं, चांद के दर्शन के बाद सत्तू, ऋतुफल और फेदड परोसकर व्रत खोला गया. इससे पहले सिंजारा भी मनाया गया था.

पढ़ें: राजस्थान में कोरोना के 1151 नए केस, 12 की मौत, आंकड़ा 48,996

बता दें कि खासतौर से साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है. हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज. भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है. वहीं, कजरी तीज को सातुड़ी तीज और बड़ी तीज भी कहते हैं.

कजरी तीज शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन को अच्छा रखने के लिए करती हैं. इसके साथ ही माना जाता है कि अगर किसी लड़की की शादी में देरी या किसी भी तरह की रुकावटें आ रही है तो इस व्रत को करना शुभ रहता है. मान्यता ये भी है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर मिलता है.

जयपुर. राजधानी में गुरुवार को भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन सुहागिन महिलाओं ने खास सातुड़ी तीज का त्योहार व्रत रखकर हर्षोल्लास के साथ मनाया. सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य और कुंवारी लड़कियों ने अच्छा पति पाने के लिए ये व्रत रखा. इसके बाद चांद का दीदार कर व्रत खोला गया.

पढ़ें: आगामी विधानसभा सत्र: जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर विधायक गंभीर नहीं!

महिलाओं ने गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए. सुबह नीमड़ी का पूजन किया और शाम को समूह में बैठकर तीज माता की कहानी सुनी. इस मौके पर सहेलियों ने कजली के गीत गाते हुए डांस किया. इस बीच दिन में बादल छाए रहने से महिलाओं में चंद्रोदय को लेकर संशय बना रहा. वहीं, चांद के दर्शन के बाद सत्तू, ऋतुफल और फेदड परोसकर व्रत खोला गया. इससे पहले सिंजारा भी मनाया गया था.

पढ़ें: राजस्थान में कोरोना के 1151 नए केस, 12 की मौत, आंकड़ा 48,996

बता दें कि खासतौर से साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है. हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज. भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है. वहीं, कजरी तीज को सातुड़ी तीज और बड़ी तीज भी कहते हैं.

कजरी तीज शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन को अच्छा रखने के लिए करती हैं. इसके साथ ही माना जाता है कि अगर किसी लड़की की शादी में देरी या किसी भी तरह की रुकावटें आ रही है तो इस व्रत को करना शुभ रहता है. मान्यता ये भी है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर मिलता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.