जयपुर. एक बार स्वर्ग में रहने वाली अप्सरा 'अंजना' को एक ऋषि ने श्राप दिया था. जब वह किसी से प्रेम करेंगी. तो उसका चेहरा बंदर के समान हो जाएगा. इससे बचाव के लिए उन्होंने भगवान ब्रह्मा से मदद की गुहार लगाई. भगवान ब्रह्मा की कृपा से उन्होंने पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लिया. बाद में अंजना वानरों के राजा केसरी के साथ प्रेम करने लगी और दोनों ने शादी कर ली. अंजना भगवान शिव की परम भक्त थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया.
कुछ दिन बाद जब राजा दशरथ पुत्रोष्टि यज्ञ कर रहे थे. जिसके बाद ऋषि ने उन्हें अपनी सभी पत्नियों को खिलाने के लिए खीर दिया. रानी कौशल्या के हिस्से का कुछ खीर एक चील लेकर भाग गया था. वह चील जब खीर लेकर उड़ रहा था तो भगवान शिव के संकेत पर वायु देव ने उस खीर के कुछ हिस्से को ध्यान कर रही अंजना के हाथों पर गिरा दिया. अंजना ने इसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर खा लिया. जिसके परिणाम स्वरूप अंजना ने पवनपुत्र हनुमान को जन्म दिया. जो भगवान शिव के ही अवतार हैं.
क्या हनुमान जी वास्तव में बंदर थे?
इस जाति का नाम कपि था. हनुमानजी के संबंध में यह प्रश्न अक्सर उठता है कि 'क्या हनुमानजी बंदर थे?' इसके लिए कुछ लोग रामायणादि ग्रंथों में लिखे हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण पढ़कर उनके बंदर प्रजाति का होने का उदाहरण देते हैं. वे यह भी कहते हैं कि उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन का प्रत्यक्ष चमत्कार इसका प्रमाण है. यह भी कि उनकी सभी जगह सपुच्छ प्रतिमाएं देखकर बंदर जैसा होना सिद्ध होता है.
रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है. वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है. दरअसल आज से 9 लाख वर्ष पूर्व मानवों की एक ऐसी जाति थी. जो मुख और पूंछ से वानर समान नजर आती थी. लेकिन उस जाति की बुद्धिमत्ता और शक्ति मानवों से कहीं ज्यादा थी. अब वह जाति भारत में तो दुर्भाग्यवश विनष्ट हो गई. लेकिन बाली द्वीप में अब भी पुच्छधारी जंगली मनुष्यों का अस्तित्व विद्यमान है. जिनकी पूंछ 6 इंच के लगभग रह गई है. सभी पुरातत्ववेत्ता अनुसंधायक एकमत से स्वीकार करते हैं कि पुराकालीन बहुत से प्राणियों की नस्ल अब सर्वथा समाप्त हो चुकी है.
अगर आपको रात को डरावने सपने आते हैं. शनिदेव की पीड़ा के कारण समस्या हो या किसी के नजर लगने का डर हो. तो भगवान हनुमान जी की सच्चे हृदय से पूजा करना आपके लिए बहुत लाभदायक हो सकता है. हनुमान जी की पूजा करने से डर दूर भाग जाता है.