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गणेश जी की लंबी सूंड का जानिए आखिर क्या है रहस्य

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक प्रथम पूज्य देवता श्री गणेश बुद्धि, श्री यानी सुख-समृद्धि के दाता हैं. उनकी उपासना और स्वरूप मंगलकारी माने गए हैं. गणेश के इस नाम का मतलब 'भयानक' या 'भयंकर' होता है. गणेश की शारीरिक रचना में मुख हाथी का तो धड़ पुरुष का है. सांसारिक दृष्टि से यह विकट स्वरूप ही माना जाता है. आइए जानते हैं श्री गणेश से जुड़े ऐसे ही कुछ रहस्यों के बारे में.

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Published : Sep 11, 2019, 7:43 AM IST

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जयपुर. गणेश जी का दिन बुधवार को माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी अपने हाथी जैसै मुंह और मोटे पेट से परेशान रहते थे. उन्हें लगता था अगर मेरा विवाह नहीं होगा तो मैं किसी और की भी शादी नहीं होने दूंगा, जिसके बाद गणेश जी बाकी अन्य देवताओं की शादी में जाकर विघ्न डालने का काम करते थे.

गजानन की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके सचेत होने का संकेत है. इसके संचालन से दु:ख और गरीबी खत्म होती है. यह सूंड जहां बड़े-बड़े दिग्पालों को भयभीत करती है. वहीं देवताओं का मनोरजंन भी करती है. इस सूंड से श्री गणेश, ब्रह्मा पर पानी एवं फूल बरसाते है. सूंड के दायीं और बायीं ओर होने का अपना महत्व है.

पढ़ें- राजसमंद में कई घरों के बुझे चिराग, अलग-अलग घटनाओं में 5 बच्चों सहित कुल 6 जनों की मौत

गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है. इसी कारण उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है. लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं. किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं. वे संपूर्ण वेदों के ज्ञाता है. संगीत और नृत्य आदि विभिन्न कलाओं के भी जानकार हैं. आपको जानकर हैरनी होगी कि जापान देश में भगवान गणेश के 250 मंदिर हैं. जापान में 'kangiten' की लोग पूजा की जाती है. जो कि भगवान गणेश का ही एक रूप है.

पढ़ें- राजसमंद के नाथद्वारा में मनाया गया मोहर्रम, मांगी अमन-चैन की दुआ

गणेश जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

श्री गणेश को लाल और सिंदूरी रंग प्रिय है. बप्पा को दुर्गा के प्रति विशेष लगाव है. चूहा इनका वाहन है. हमेशा बैठे रहना इनकी आदत है. लिखने में इनको विशेषज्ञता है. पूर्व दिशा अच्छी लगती है. ये लाल रंग के पुष्प से शीघ्र खुश होते हैं. प्रथम स्मरण से कार्य को निर्विघ्न संपन्न करते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना पसंद नहीं है. चतुर्थी तिथि इनकी प्रिय तिथि है. स्वस्तिक इनका चिन्ह है.

जयपुर. गणेश जी का दिन बुधवार को माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी अपने हाथी जैसै मुंह और मोटे पेट से परेशान रहते थे. उन्हें लगता था अगर मेरा विवाह नहीं होगा तो मैं किसी और की भी शादी नहीं होने दूंगा, जिसके बाद गणेश जी बाकी अन्य देवताओं की शादी में जाकर विघ्न डालने का काम करते थे.

गजानन की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके सचेत होने का संकेत है. इसके संचालन से दु:ख और गरीबी खत्म होती है. यह सूंड जहां बड़े-बड़े दिग्पालों को भयभीत करती है. वहीं देवताओं का मनोरजंन भी करती है. इस सूंड से श्री गणेश, ब्रह्मा पर पानी एवं फूल बरसाते है. सूंड के दायीं और बायीं ओर होने का अपना महत्व है.

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गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है. इसी कारण उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है. लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं. किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं. वे संपूर्ण वेदों के ज्ञाता है. संगीत और नृत्य आदि विभिन्न कलाओं के भी जानकार हैं. आपको जानकर हैरनी होगी कि जापान देश में भगवान गणेश के 250 मंदिर हैं. जापान में 'kangiten' की लोग पूजा की जाती है. जो कि भगवान गणेश का ही एक रूप है.

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गणेश जी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

श्री गणेश को लाल और सिंदूरी रंग प्रिय है. बप्पा को दुर्गा के प्रति विशेष लगाव है. चूहा इनका वाहन है. हमेशा बैठे रहना इनकी आदत है. लिखने में इनको विशेषज्ञता है. पूर्व दिशा अच्छी लगती है. ये लाल रंग के पुष्प से शीघ्र खुश होते हैं. प्रथम स्मरण से कार्य को निर्विघ्न संपन्न करते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना पसंद नहीं है. चतुर्थी तिथि इनकी प्रिय तिथि है. स्वस्तिक इनका चिन्ह है.

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