जयपुर. गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देने के लिए प्रदेश का सवाई मानसिंह अस्पताल तैयार है. मामले को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा है कि, हमने आईसीएमआर को पत्र लिखा है और प्लाज्मा थेरेपी से संक्रमित मरीजों के इलाज की बात कही है, अब आईसीएमआर से हरी झंडी का इंतजार है.
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज को लेकर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि, उनकी सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों से बात हुई है. उन्होंने बताया कि मामले को लेकर अस्पताल में एक टीम भी बनाई गई है. आईसीएमआर को पत्र भी लिखा गया है और जैसे ही आईसीएमआर की हरी झंडी मिलेगी राजस्थान में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों का इलाज शुरू कर किया जाएगा.
क्या है प्लाज्मा थेरेपी:
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा ने बताया कि, यह थेरेपी एंटीबॉडीज बेस थेरेपी है, जिस भी बीमारी से मरीज रिकवर हो चुका है उस मरीज से प्लाज्मा लिया जाता है. सबसे पहले रिकवर हो चुके मरीज की एक बार फिर से जांच की जाती है और सभी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसका ब्लड दिया जाता है. ब्लड से प्लाज्मा निकाला जाता है.
डॉ. शर्मा ने बताया कि जो गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति हैं या फिर वेंटिलेटर और आईसीयू में भर्ती है सिर्फ उन्हें ही प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है ताकि उनकी इम्यूनिटी पावर बढ़ाई जा सके. रिकवर हुआ मरीज दो गंभीर संक्रमित व्यक्तियों को अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.
कब शुरु हुई प्लाज्मा थेरेपी:
सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा ने बताया कि, प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत वर्ष 1890 में जर्मन फिजियोलॉजिस्ट द्वारा हुई थी. वर्ष 2014 में जब इबोला जैसी जानलेवा बीमारी फैली तो डब्ल्यूएचओ ने प्लाज्मा थेरेपी के लिए रिकमेंड किया था.