जयपुर: आगामी 26 सितंबर से शक्ति आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) प्रारंभ होने जा रहा है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में बने मां भगवती के प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा-अर्चना को भक्तों की भीड़ उमड़ती है. वहीं, राजस्थान में भी ऐसे कई मंदिर हैं, जहां नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. जिसमें इन मंदिरों में दर्शन व पूजन का विशेष महत्व है.
अर्बुदा देवी मंदिर - अर्बुदा देवी मंदिर (Arbuda Devi Temple) को अधर देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. मंदिर राजस्थान के माउंट आबू से 3 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. माना जाता है कि यहां माता देवी पार्वती के होंठ गिरे थे इसलिए यहां शक्तिपीठ स्थापित है. यहां मां अर्बुदा देवी की पूजा देवी कात्यायनी के रूप में होती है, क्योंकि अर्बुदा देवी मां कात्यायनी का ही स्वरुप कहलाती हैं. यूं तो यहां सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है.
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नौसर माता का मंदिर - अजमेर के नौसर घाटी में स्थित इस मंदिर माता (Ajmer Nausar Mata Temple) के नौ स्वरूपों का एक साथ दर्शन होता है. इस मंदिर का उल्लेख पदम पुराण में भी मिलता है. पुष्कर में सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगत पिता ब्रह्मा ने नौदुर्गा का आह्वान किया था. दानवों से यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों में एक साथ नाग पहाड़ी के मुख्य द्वार पर प्रकट हुई थी, तभी से माता यहां अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी पर विराजमान है.
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त्रिपुर सुंदरी मंदिर - बांसवाड़ा से करीब 20 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतमालाओं के बीच माता त्रिपुरा सुंदरी का भव्य मंदिर (Tripura Sundari Temple of Banswara) मौजूद है. सिंहवाहिनी मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टदश भुजाओं वाली है. 5 फीट ऊंची मूर्ति में माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां अंकित है. माता के सिंह, मयूर और कमलासीनी होने के कारण यह दिन में तीन रूपों को धारण करती है. जिसमें प्रातः कालीन बेला में कुमारिका, मध्याह्न में यौवना और सायंकालीन बेला में प्रौढ़ रूप में मां के दर्शन होते हैं.
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मणिबंध शक्तिपीठ - मणिबंध शक्तिपीठ राज्य के पुष्कर में स्थित है. मणिबंध शक्ति पीठ को मणिवेदिका शक्तिपीठ (Manibandha Shaktipeeth of Pushkar) और गायत्री मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो पहाड़ की चोटी पर स्थित है. यहां माता सती की दोनों कलाई का निपात हुआ था. साथ ही यहां माता सती को मणिवेदिका और गायत्री, जबकि भगवान शिव को सर्वानंद के रूप में पूजा जाता है. गायत्री मंत्र की साधना के लिए इस मंदिर को पवित्र माना जाता है.
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अंबिका पीठ - राजधानी जयपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर विराटनगर में माता अंबिका का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि यहां मां सती के बाएं पैर की अंगुलियां गिरी थी. जिससे इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी. यहां माता सती अंबिका के रूप में और भगवान शिव अमृतेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं. साल में दो बार यानी अप्रैल (चैत्र मास) और सितंबर-अक्टूबर (अश्विन मास) में नवरात्रि के दौरान यहां देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है.
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