जयपुर. देश में किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के जरिए हाईटेक बनाने की तैयारी है. इसी कड़ी में राजस्थान में ड्रोन तकनीक को शामिल किया गया है. इससे किसान बड़े क्षेत्रफल में उर्वरक और दवा का समान रूप से छिड़काव कर सकेंगे. राजधानी जयपुर के कालवाड़ में बुधवार को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मंत्री लालचंद कटारिया की अध्यक्षता में किसानों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इसमें उन्हें ड्रोन से नैनो यूरिया के छिड़काव का तरीका सहित अन्य जानकारी दी गई.
मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि किसानों को ट्रैक्टर एवं अन्य संसाधनों की तरह यह ड्रोन भी किराए पर कस्टमर हायरिंग सेंटर पर मिलेंगे. अगले 2 साल में 1500 ड्रोन कस्टमर हायरिंग सेंटर पर उपलब्ध करवाए जाएंगे. अगर कोई किसान ड्रोन खरीदना चाहता है तो उसे ड्रोन की लागत का 40% या अधिकतम चार लाख अनुदान के तौर पर दिया जाएगा. किसान को सरकार की ओर से ड्रोन से छिड़काव करने पर जो लागत आएगी उसका 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान के तौर पर दिया जाएगा.
कटारिया ने बताया कि पारंपरिक तरीके के मुकाबले 10 किलोग्राम पेलोड वाले ड्रोन से छिड़काव में 80 से 90 फीसदी तक पानी की बचत होगी. इस ड्रोन के माध्यम से विशेष फसलों में भी उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकता है. प्रथम चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है. ड्रोन के माध्यम किसान सिंचाई की निगरानी भी कर सकता है. ड्रोन में मल्टीस्पेक्ट्रेल सेंसर हैं जो शुष्क क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं.
इसके साथ ही ड्रोन से फसलों में कीट बीमारी को शुरुआती दौर में ही ड्रोन मल्टीस्पेक्ट्रम सेंसर के जरिए पता लगाया जा सकता है. ड्रोन से मिट्टी की 3डी मैपिंग से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों से जिस तरह से टिड्डियों ने भारत के कई हिस्सों में नुकसान पहुंचाया है, इनपर भी ड्रोन से काबू पाया जा सकता है. ड्रोन 15 मिनट में करीब 2.5 एकड़ क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है. इस कार्यक्रम में कृषि प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार और कृषि आयुक्त कानाराम समेत जनप्रतिनिधि और किसान मौजूद रहे.