आदित्य आत्रेय- जयपुर. राजस्थान भारत गणराज्य का सबसे बड़ा राज्य है. निस्संदेह, राजस्थान भारत में सबसे अच्छा घूमने वाली जगहों में से एक है. राजस्थान भारत गणराज्य का सबसे बड़ा राज्य है. निस्संदेह, राजस्थान भारत में सबसे अच्छा घूमने वाली जगहों में से एक है. राजाओं-महाराजाओं की धरती कहे जाने वाली राजस्थान की राजधानी गुलाबी शहर 'जयपुर' घूमने के लिए बेहद शानदार जगहों में से एक है. इसलिए जयपुर की पर्यटन इंडस्ट्री को जयपुर की लाइफ लाइन (Tourism is lifeline for Jaipur) भी कहा जाता है और माना जाता है कि आज पर्यटन इंडस्ट्री के कारण ही जयपुर की एक अलग साख पूरे विश्व भर में बन पाई है.
हर साल अकेले जयपुर में लाखों पर्यटक घूमने फिरने पहुंचते हैं और इन पर्यटकों की आवाजाही से शहर में बसने वाले विभिन्न व्यापारिक संगठनों और लोगों को रोजगार मिल पाता है. खुद जयपुर के कारोबारियों का मानना है कि यदि जयपुर से पर्यटन खत्म हो जाए तो पर्यटन से जुड़ी इंडस्ट्री भी दम तोड़ देगी. गुलाबी नगरी (Pink City Jaipur) की पर्यटन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी अलग-अलग कदम उठा रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके. जयपुर आने वाले पर्यटक सिर्फ ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों का ही लुत्फ नहीं उठाते बल्कि इन पर्यटकों की वजह से ही लाखों करोड़ों रुपए का कारोबार भी जयपुर में फल फूल रहा है. जिसमें जयपुर का रत्न कारोबार, सांगानेरी प्रिंट, जयपुरी रजाई, ब्लू पॉटरी, डेस्टिनेशन वेडिंग आदि प्रमुख है.
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जयपुर की विशेष पहचान- पिछले कुछ वर्षों में जयपुर आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. आमतौर पर लोग यहां जयपुर के पुराने बाजार जिसमें चार दिवारी शामिल है, हवा महल, आमेर महल, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, जंतर मंतर, सिटी पैलेस, अल्बर्ट हॉल, नाहरगढ़ किला, झालाना लेपर्ड सफारी आदि का आनंद लेने पहुंचते हैं. वैसे तो कई वर्षों से पर्यटक जयपुर घूमने पहुंचते हैं, लेकिन जयपुर ने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की थी. इसके साथ ही जयपुर के आधुनिकीकरण का दौर भी शुरू हो गया. चूंकि सवाई जयसिंह ने इसकी स्थापना की थी, इसलिए इसे जयपुर कहा गया.
यहां से पर्यटन की हुई शुरुआत- वर्ष 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट जयपुर आने वाले थे. उस समय जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह (Maharaja Sawai Ram Singh of Jaipur) इनकी तैयारियों में जुटे थे. इनके स्वागत के लिए पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था. शहर की सड़कें साफ कर उनके किनारे फूल-पत्तियां लगाई जा रही थीं. ऐसे में माना जाता है कि इसी दौर से जयपुर में पर्यटन की शुरुआत हुई और उसके बाद यह निरंतर जारी है. जयपुर में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक (Jaipur is famous for Tourism) पहुंचते हैं और खासकर सर्दियों के सीजन यानी अक्टूबर से जयपुर में पर्यटन सीजन की शुरुआत होती है. जयपुर में आयोजित होने वाले विभिन्न फेस्टिवल्स का मजा लेने भी पर्यटक बड़ी संख्या में जयपुर पहुंचते हैं, जिसमें मकर सक्रांति, होली, गणगौर की सवारी, तीज आदि शामिल है.
व्यापार को मिलता है संबल- हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक जयपुर पहुंचते हैं और इसका फायदा जयपुर के विभिन्न कारोबार को भी मिलता है. आमतौर पर जयपुर में जेम्स एंड ज्वेलरी से रोजगार हासिल हो रहा है. जयपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुभाष गोयल का कहना है कि यदि जयपुर से पर्यटन को खत्म कर दिया जाए तो जयपुर के सभी व्यापार खत्म हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि इस बार 15 अगस्त को तिरंगा थीम पर जयपुर के बाजार सजाए गए थे और बड़ी संख्या में पर्यटक जयपुर के बाजारों को देखने पहुंचे थे. इसके अलावा जयपुर की चारदीवारी में हर साल दिवाली के सीजन पर होने वाली सजावट विश्व विख्यात है. इस रोशनी और बाजारों की सजावट को देखने के लिए ही पर्यटक जयपुर पहुंचते हैं. पर्यटन के कारण ही आज जयपुर के कई लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सका है.
हीरे, जेम्स और जवाहरात की बड़ी मंडी- जयपुर में हीरे, जेम्स और जवाहरात की बड़ी मंडी है, जो दुनिया की सबसे बड़ी मंडी (gems business of jaipur) मानी जाती है. यहां बनने वाले सोने और चांदी के गहने विदेशों तक निर्यात किए जाते हैं. आंकड़ों की माने तो हर साल प्रदेश के करीब 1400 करोड़ रुपए का कारोबार जेम्स और ज्वेलरी से जुड़ा हुआ है. जयपुर का जेमस्टोन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और करोड़ों रुपए का कारोबार हर साल अकेले जेम्स स्टोन से जयपुर को मिलता है.
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जयपुर की रजाई विश्व प्रसिद्ध- इसके अलावा जयपुर की रजाई विश्व भर में प्रसिद्ध है. जयपुर आने वाले पर्यटक जयपुरी रजाई की खरीद जरूर करता है. खास बात यह होती है कि इस रजाई का वजन 300 से 600 ग्राम के बीच होता है और सर्दियों में यह काफी गर्म भी रहती है. हर साल करोड़ों रुपए का कारोबार जयपुरी रजाई से जुड़ा होता है.
जयपुर का सांगानेरी प्रिंट भी काफी प्रसिद्ध- करीब 500 साल पुराना जयपुर का सांगानेरी प्रिंट भी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध (sanganeri print of jaipur) है. सांगानेरी प्रिंट राजस्थान की सबसे पुरानी कला है, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर सफाई की जाती है. सांगानेर के हैंड ब्लॉक एंटीक उद्योग ने लंबे समय तक जयपुर के उद्योग को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. आंकड़ों की बात करें तो हर साल तकरीबन 1800 करोड़ का कारोबार सांगानेरी प्रिंट से होता है और देश-विदेश से आने वाले पर्यटक सांगानेरी प्रिंट काफी पसंद करते हैं.
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डेस्टिनेशन वेडिंग का क्रेज- कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स राजस्थान चैप्टर (केट) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गोवर्धन दास का कहना है कि पिछले कुछ समय से राजधानी जयपुर में डेस्टिनेशन वेडिंग का क्रेज (destination wedding in jaipur) भी बढ़ गया है. जिससे जयपुर की होटल इंडस्ट्री को एक नया बूस्ट मिला है. डेस्टिनेशन वेडिंग के कारण लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला है.
पर्यटन को उद्योग का दर्जा- जयपुर समेत प्रदेश भर के पर्यटक स्थलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से पर्यटक उद्योग संबल योजना की शुरुआत भी की गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था कि राजस्थान दुनिया में अपनी खूबसूरत इतिहास और विरासत, किलों और जीवंत लोक संस्कृति के लिए जाना जाता है. ऐसे में राजस्थान आने वाले पर्यटकों के लिए सरकार काम कर रही है. इसके तहत 500 करोड़ रुपए के पर्यटन विकास कोष बनाने का फैसला सरकार ने किया है. इसके अलावा पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से ईको टूरिज्म में रणनीति भी तैयार की गई है.
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हाल ही में प्रदेश की गहलोत सरकार ने अपने बजट में राजस्थान के पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने की बात कही है. इसके बाद यहां के पर्यटन क्षेत्र को विकास के नए अवसर मिलेंगे. उद्योग का दर्जा मिलने के बाद पर्यटन से जुड़े हुए सभी सेक्टर में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो सकेंगे और राजस्थान में निवेश की बेहतरीन संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्पेशल टूरिज्म हब तैयार करेगी और इसके लिए तकरीबन 1000 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया है.
पर्यटन से करोड़ों रुपए की कमाई- पिछले 8 महीने में लाखों पर्यटक पहुंचे, जिससे पर्यटन विभाग को करोड़ों रुपए की कमाई हुई है. जबकि सितंबर महीने के बाद प्रदेश में एक बार फिर से पर्यटन सीजन शुरू हो जाएगा.
आंकड़ों की बात करें तो 30 फीसदी हिस्सा पर्यटन से जुड़ा- आमेर यूनियन गाइड संघ के अध्यक्ष महेश कुमार शर्मा का कहना है कि जयपुर की इकोनॉमी में करीबन 30 फीसदी हिस्सा पर्यटन से जुड़ा हुआ है और जयपुर आने वाले पर्यटक विशेष तौर पर रत्न कारोबार, सांगानेरी प्रिंट की ओर आकर्षित होते हैं. इसके अलावा जयपुर के चारदीवारी स्थित बाजारों से खरीदारी करते हैं, ऐसे में जयपुर का पर्यटन यहां के कारोबारियों के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करता है.
नाइट टूरिज्म की भी शुरुआत- धीरे-धीरे जयपुर शहर का विकास हो रहा है और पिछले कुछ सालों में पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. जयपुर के बाजारों को यूनेस्को की राष्ट्रीय धरोहर में भी शामिल किया गया है. ऐसे में चारदीवारी स्थित पर्यटन स्थलों को अब सहेजा जा रहा है. जिसके बाद हर साल जयपुर में पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. आमतौर पर आमेर महल, नाहरगढ़ किला, हवा महल, जंतर मंतर, सिटी पैलेस और जल महल जैसे संग्रहालय लोगों को काफी पसंद आते हैं. इसके अलावा नाइट टूरिज्म की भी शुरुआत स्थानीय प्रशासन की ओर से की गई है.
मेडिकल टूरिज्म- इसके अलावा राजधानी जयपुर में धीरे-धीरे मेडिकल टूरिज्म भी विकसित (Medical Tourism in Jaipur) हो रहा है. जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) जहां बड़ी संख्या में राजस्थान से ही नहीं बल्कि राजस्थान के बाहर और विदेश से भी लोग अपना इलाज करवाने पहुंच रहे हैं. हाल ही में विदेश से आए कुछ मरीजों का इलाज SMS अस्पताल में किया गया. इसके अलावा शहर के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी प्रदेश के बाहर से आने वाले मरीज अपना इलाज करवाने पहुंचते हैं. माना जाता है कि राजधानी जयपुर धीरे-धीरे मेडिकल टूरिज्म में अपना एक अलग स्थान बना रहा है और इसका प्रमुख कारण है सस्ता और बेहतर इलाज.
पर्यटन से जुड़ी चुनौतियां- आमतौर पर जयपुर को एक शांत शहर के रूप में जाना जाता है. जिसके कारण बड़ी संख्या में पर्यटक जयपुर घूमने पहुंचते हैं, लेकिन पर्यटन से जुड़ी कुछ चुनौतियां अभी भी सरकार के सामने खड़ी हुई है. पिछले कुछ समय से पर्यटकों के साथ अभद्रता और असुरक्षा से जुड़े कुछ मामले सामने आए हैं. हालांकि, स्थानीय प्रशासन और सरकार पर्यटकों को सुरक्षा देने का दावा करती है, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ इस तरह की घटनाएं होती हैं जो पर्यटन के लिए चुनौतियां बन रही है. इसके अलावा आवारा पशुओं के हम लोग से भी पिछले कुछ सालों में कई पर्यटक घायल हो चुके हैं. यहां तक कि एक विदेशी पर्यटक की मौत भी आवारा पशुओं के हमले के कारण हो चुकी है. जबकि पिछले कुछ समय से लपकों का आतंक भी काफी बढ़ गया है जिससे जयपुर आने वाले पर्यटक काफी असहज महसूस करते हैं.