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रेनवाल में कोरोना के चलते करवाचौथ में करवा की मांग रही कम, कारीगरों पर पड़ा बुरा असर

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Published : Nov 4, 2020, 7:55 AM IST

रेनवाल में सुहागिन महिलाएं करवाचौथ की तैयारियां करने में जुटी हुई हैं. वहीं करवाचौथ के लिए करवा बनाने वाले कारीगरों की स्थिति कोरोना के चलते पस्त है. लॉकडाउन और कोरोना के कारण कारवा की मांग कम रही है.

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रेनवाल में कोरोना के चलते करवाचौथ में करवा की मांग रही कम

रेनवाल (जयपुर). एक तरफ जहां सुहागिन महिलाएं करवाचौथ की तैयारियां करने में जुटी हुई हैं. वहीं करवाचौथ पर खास महत्व रखने वाले करवा को बनाने के लिए जयपुर जिले के रेनवाल कस्बे सहित आसपास के कारीगर दिन रात जी तोड़ मेहनत करने में लगे हुए है. मान्यता है कि वगैर करवा के करवाचौथ का व्रत अधूरा रह जाता है. मिट्टी और चीनी की खांड़ से बनने वाले करवा से सुहागिन महिलाएं पूजा कर अपना व्रत पूरा करती है.

हांलाकि काेराेना महामारी के चलते करवा बनाने वाले कारीगराे के पास दुकानदाराे के आर्डर कम है, लेकिन जाे आर्डर दिए हैं, उनकाे पूरा करने के लिए करवा कारीगर दिन-रात जीतोड़ मेहनत कर भट्टियों पर सांचे की सहायता से कुम्हार मिट्टी के करवे बनाने में जुटे हुए हैं. जब एक करवा कारीगर से बात की गई, तो उसने बताया कि काेराेना के चलते दुकानदाराें के आर्डर कम है. पहले दुकानदार एक महिने पहले ही करवा बनाने के आर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस काेराेना की वजह से धंधे पर काफी असर पड़ा है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान के नए DGP बने एमएल लाठर, कार्मिक विभाग ने जारी किए आदेश

पहले हम लॉकडाउन की वजह से आठ महिने बैठे रहे. फिर भी अब जाे आर्डर मिला है उसकाे पुरा करने में लगे हैं. साथ ही करवा कारीगर ने बताया कि चीनी पर काफी मंहगाई है. वहीं लकड़ीयाें के दाम भी काफी बढ़ गए हैं, जिससे ज्यादा कुछ बचत नहीं हो पा रही है. चीनी के करवा बनाने के लिए भीवाणी हरियाणा से स्पेशल सांचे मंगाए जाते हैं. फिर भट्टी पर चीनी दुध के घाेल बनाकर उन सांचाे में डालकर करवा बनाए जाते हैं. करवा बनाने की तैयारी करवा चाैथ से एक महिने पहले शुरू हाे जाती है.

रेनवाल (जयपुर). एक तरफ जहां सुहागिन महिलाएं करवाचौथ की तैयारियां करने में जुटी हुई हैं. वहीं करवाचौथ पर खास महत्व रखने वाले करवा को बनाने के लिए जयपुर जिले के रेनवाल कस्बे सहित आसपास के कारीगर दिन रात जी तोड़ मेहनत करने में लगे हुए है. मान्यता है कि वगैर करवा के करवाचौथ का व्रत अधूरा रह जाता है. मिट्टी और चीनी की खांड़ से बनने वाले करवा से सुहागिन महिलाएं पूजा कर अपना व्रत पूरा करती है.

हांलाकि काेराेना महामारी के चलते करवा बनाने वाले कारीगराे के पास दुकानदाराे के आर्डर कम है, लेकिन जाे आर्डर दिए हैं, उनकाे पूरा करने के लिए करवा कारीगर दिन-रात जीतोड़ मेहनत कर भट्टियों पर सांचे की सहायता से कुम्हार मिट्टी के करवे बनाने में जुटे हुए हैं. जब एक करवा कारीगर से बात की गई, तो उसने बताया कि काेराेना के चलते दुकानदाराें के आर्डर कम है. पहले दुकानदार एक महिने पहले ही करवा बनाने के आर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस काेराेना की वजह से धंधे पर काफी असर पड़ा है.

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पहले हम लॉकडाउन की वजह से आठ महिने बैठे रहे. फिर भी अब जाे आर्डर मिला है उसकाे पुरा करने में लगे हैं. साथ ही करवा कारीगर ने बताया कि चीनी पर काफी मंहगाई है. वहीं लकड़ीयाें के दाम भी काफी बढ़ गए हैं, जिससे ज्यादा कुछ बचत नहीं हो पा रही है. चीनी के करवा बनाने के लिए भीवाणी हरियाणा से स्पेशल सांचे मंगाए जाते हैं. फिर भट्टी पर चीनी दुध के घाेल बनाकर उन सांचाे में डालकर करवा बनाए जाते हैं. करवा बनाने की तैयारी करवा चाैथ से एक महिने पहले शुरू हाे जाती है.

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