जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मौजूदा सत्र में प्रदेश के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर 19 अगस्त को सुनवाई करने का निर्णय लिया है. याचिकाकर्ता शांतनु पारीक की ओर से जनहित याचिका पर जल्दी सुनवाई करने की गुहार की गई थी. ऐसे में अब 19 अगस्त को सीजे एजी मसीह की खंडपीठ मामले को सुनेगी. वहीं मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा भी कैविएट दायर कर चुके हैं. इसलिए खंडपीठ कोई भी अंतरिम आदेश देने से पहले राज्य सरकार का पक्ष भी सुनेगी.
पीआईएल में प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव को पक्षकार बनाते हुए कहा गया है कि छात्रसंघ चुनाव के जरिए छात्रों को उनका प्रतिनिधि चुनने का मौलिक अधिकार है. यह अधिकार उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) व अनुच्छेद 21 से मिला हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में इसे मौलिक अधिकार का दर्जा दिया था. राज्य सरकार की ओर से केवल एक परिपत्र से ही तर्कहीन व असंवैधानिक कारणों से छात्रसंघ चुनावों को नहीं कराने का निर्णय लिया है, जो गलत है.
इस परिपत्र में कहा है कि उच्च शिक्षा नीति की क्रियान्विति, कई विश्वविद्यालयों के परीक्षा परिणाम में देरी और मौजूदा शैक्षणिक सत्र में देरी से प्रवेश के कारण अध्यापन कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया है. ऐसे में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने का निर्णय लिया है. वहीं सरकार ने यह भी कहा है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की पालना भी नहीं हो पा रही है, जबकि इन सिफारिशों की पालना करवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार, विवि और कॉलेज प्रशासन की है. हर विवि ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर एक कोड ऑफ कंडक्ट के नियम बना रखे हैं और यदि इन नियमों की अवहेलना होती है तो नियमानुसार कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसे में प्रदेश के विवि और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाएं.