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Rajasthan High Court asked: स्वीकृत पदों पर बार-बार संविदा के आधार पर भर्ती क्यों ?

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Published : Feb 15, 2023, 8:42 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने संविदा भर्ती को लेकर दायर एक (Court sought answer to Principal Finance Secretary) याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियो से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court asked,  recruited on contract basis
राजस्थान हाईकोर्ट.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा सचिव से पूछा है कि लेखा सहायक के स्वीकृत पद होने के बावजूद बार-बार इन पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती क्यों की जा रही है. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश नरेन्द्र सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम और अधिवक्ता जीएस गौतम ने अदालत को बताया कि लेखा सहायकों के 1 हजार 870 पद स्वीकृत किए गए हैं. इसके बावजूद इन पदों पर नियमित भर्ती के बजाए समय-समय पर इन्हें संविदा के आधार पर भरा जाता है. विभाग ने 15 फरवरी 2021 को एक बार फिर इन पदों को संविदा से भरने के लिए भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया.

पढ़ेंः Teacher recruitment: 1623 स्कूलों के 9712 पदों पर संविदा भर्ती के आवेदन शुरू, ये है अंतिम तिथि

याचिका में कहा गया कि वित्त विभाग ने संविदा के आधार पर नियुक्ति करने पर रोक लगा रखी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी संविदा पर भर्ती को गलत माना है. इसके बावजूद विभाग बार-बार इन पदों को संविदा के आधार पर भर रहा है. इसके अलावा जब संविदाकर्मी स्वीकृत पदों पर दस साल की सेवा पूरी कर लेता है तो वह नियमित करने की मांग करता है.

लेकिन राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर वर्ष 2006 तक दस साल की सेवा करने वालों को ही नियमित होने के लिए पात्र बताकर उन्हें नियमित करने से इनकार कर देती है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता भर्ती की सभी शर्ते पूरी करता है और लंबे समय से नियमित भर्ती का इंतजार कर रहा है. ऐसे में वित्त विभाग और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी की जा रही संविदा भर्ती को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख वित्त सचिव, प्रमुख ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा सचिव से पूछा है कि लेखा सहायक के स्वीकृत पद होने के बावजूद बार-बार इन पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती क्यों की जा रही है. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश नरेन्द्र सिंह की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम और अधिवक्ता जीएस गौतम ने अदालत को बताया कि लेखा सहायकों के 1 हजार 870 पद स्वीकृत किए गए हैं. इसके बावजूद इन पदों पर नियमित भर्ती के बजाए समय-समय पर इन्हें संविदा के आधार पर भरा जाता है. विभाग ने 15 फरवरी 2021 को एक बार फिर इन पदों को संविदा से भरने के लिए भर्ती विज्ञापन जारी कर दिया.

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याचिका में कहा गया कि वित्त विभाग ने संविदा के आधार पर नियुक्ति करने पर रोक लगा रखी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी संविदा पर भर्ती को गलत माना है. इसके बावजूद विभाग बार-बार इन पदों को संविदा के आधार पर भर रहा है. इसके अलावा जब संविदाकर्मी स्वीकृत पदों पर दस साल की सेवा पूरी कर लेता है तो वह नियमित करने की मांग करता है.

लेकिन राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर वर्ष 2006 तक दस साल की सेवा करने वालों को ही नियमित होने के लिए पात्र बताकर उन्हें नियमित करने से इनकार कर देती है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता भर्ती की सभी शर्ते पूरी करता है और लंबे समय से नियमित भर्ती का इंतजार कर रहा है. ऐसे में वित्त विभाग और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी की जा रही संविदा भर्ती को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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