जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 5 जनवरी को तय की है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता वकील को नसीहत देते हुए कहा कि वह बतौर याचिकाकर्ता वकील की ड्रेस पहन कर पैरवी नहीं कर सकता. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अधिवक्ता ओपी सोलंकी ने बहस शुरु की.
इस दौरान अदालत ने पूछा कि याचिकाकर्ता कौन हैं, इस पर सोलंकी ने कहा कि वे स्वयं ही मामले में याचिकाकर्ता हैं. इस पर खंडपीठ ने मामले की सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि बतौर याचिकाकर्ता वकील अपनी ड्रेस में पैरवी नहीं कर सकता. इस पर याचिकाकर्ता ने ड्रेस उतार कर पैरवी करने के लिए मामले की सुनवाई एक मिनट के लिए टालने की गुहार की, लेकिन अदालत ने समय नहीं देते हुए प्रकरण की सुनवाई पांच जनवरी को तय कर दी.
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वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने केन्द्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका राजनीतिक व दुर्भावना से प्रेरित है. दोनों डिप्टी सीएम की शपथ में किसी संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना नहीं हुई है. इसलिए याचिका भारी हर्जाने के साथ खारिज की जानी चाहिए. जनहित याचिका में राज्यपाल, सीएम, केन्द्र सरकार के सचिव, राज्य के सीएस, डिप्टी सीएम दिया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा को पक्षकार बनाया है. पीआईएल में कहा है कि देश के संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं है और न इस पद पर नियुक्ति का कोई प्रावधान है. इसके बावजूद दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा ने खुद को डिप्टी सीएम बताते हुए शपथ ली है. संविधान के तहत केवल मंत्री पद की शपथ ही ली जा सकती है. ऐसे में दोनों डिप्टी सीएम की शपथ असंवैधानिक है. इसलिए दोनों डिप्टी सीएम की शपथ व नियुक्तियां रद्द की जाए.