जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें रेवेन्यू बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में फोन नंबर को सर्विलांस पर लेने लिए गृह सचिव की ओर से दिए आदेश को अवैध मानकर रद्द कर दिया था. इसके साथ ही एसीबी को निर्देश दिए थे कि वह रिकॉर्ड किए गए सभी मैसेज व रिकॉर्डिंग को नष्ट करे और इन्हें केस में पेंडिंग आपराधिक कार्रवाई में अमल में नहीं लिया जाए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पक्षकार शशिकांत जोशी को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश राज्य सरकार की एसएलपी पर दिया है.
राज्य सरकार की ओर से मामले में एएजी मनीष सिंघवी ने पक्ष रखा. राज्य सरकार ने एसएलपी में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि गृह सचिव को भ्रष्टाचार के मामलों में फोन सर्विलांस पर लेने का आदेश देने का अधिकार है. इसके लिए एसीएस के आदेश की जरूरत नहीं है. इसके अलावा टेलीग्राफ एक्ट के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के लिए संबंधित लोगों के फोन को सर्विलांस पर लिया जा सकता है. वहीं फोन सर्विलांस पर लेने की अनुमति के आदेश को रिव्यू के लिए सीएस की कमेटी को देरी से भेजा था.
ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश की क्रियांविति पर रोक लगाई जाए. मामले के अनुसार गृह सचिव ने अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक तीन अलग-अलग आदेश जारी कर एसीबी को शशिकांत के दो मोबाइल नंबर और सह आरोपी सुनील शर्मा के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने की अनुमति दी थी. जिसे चुनौती देते हुए हाइकोर्ट को बताया गया था कि किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने के संबंध में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में प्रावधान कर रखे हैं. इसके तहत लोक आपात और लोक सुरक्षा के हित के आधार पर ही फोन सर्विलांस पर लिया जा सकता है, लेकिन इस मामले में कानूनी प्रावधानों की पालना नहीं की गई.