जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी के शिक्षक सीनियर स्केल में प्रमोशन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ धरने पर हैं. वहीं शिक्षकों के समर्थन में एनएसयूआई के छात्रों ने मांगे नहीं माने जाने की स्थिति में पहले गिरफ्तारी देने और फिर आत्महत्या करने की चेतावनी दी (Warning of self immolation by NSUI students) है. इससे पहले छात्रों ने कुलपति सचिवालय का पिछला गेट तोड़कर छत पर चढ़कर प्रदर्शन किया. जिन्हें समझाइश करते हुए 5 घंटे बाद उतारा गया.
26 दिसंबर को राजस्थान विश्वविद्यालय की सिंडिकेट मीटिंग में डीएलडब्लू सहित 6 असिस्टेंट प्रोफेसर को पदोन्नत करने का प्रस्ताव पास हुआ था. सिंडिकेट की मीटिंग में शिक्षकों को पदोन्नत करने के प्रस्ताव को पास करने के बावजूद अब तक प्रमोशन के आदेश नहीं निकाले गए हैं. जिसके विरोध में जहां शिक्षक धरने पर बैठे हैं. वहीं एबीवीपी के बाद बुधवार को एनएसयूआई संगठन ने भी शिक्षकों के समर्थन में उतर कर प्रदर्शन किया. छात्र कुलपति सचिवालय के पीछे का गेट तोड़कर छत पर जा चढ़े. यहां कुलपति और रजिस्ट्रार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि सिंडिकेट में प्रस्ताव पास होने के बावजूद प्रमोशन के आदेश निकालने के बजाए रजिस्ट्रार छुट्टियां मनाने चली गई और कुलपति पार्टियां करने में व्यस्त हैं. जबकि 6 शिक्षक पदोन्नति के इंतजार में कुलपति सचिवालय के बाहर धरने पर हैं. लेकिन कुलपति ने अब तक शिक्षकों की सुनवाई तक नहीं की है. ऐसे में छात्रों ने बुधवार को उग्र आंदोलन करते हुए पहले रजिस्ट्रार कार्यालय के बाहर धरना दिया. इसके बाद कॉन्वोकेशन सेंटर जाकर वहां काम बंद कराया. आखिर में कुलपति सचिवालय का गेट तोड़ने के बाद छत पर चढ़ गए. छात्रों ने कुलपति को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते शिक्षकों की मांगें नहीं मानी गई, तो छात्र गिरफ्तारियां देंगे और फिर भी बात नहीं मानी गई तो आत्महत्या करेंगे.
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आपको बता दें कि साल 2001 से अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे 6 असिस्टेंट प्रोफेसर 26 दिसंबर से धरने पर बैठे हैं. इस मामले पर सरकार ने भी बीते साल विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर प्रमोशन की मांग को जायज करार देते हुए, यूनिवर्सिटी प्रशासन को प्रमोशन देने के लिए कहा था. साल 2009 में रिसर्च एसोसिएट अशोक सिंह, सुरेंद्र सिंह, नरेश मलिक, रमेश चावला, महिपाल यादव और पीएल बत्रा को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रिडेजिग्नेट किया गया था. लेकिन रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक इस पर अभी भी सरकार से प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति चाह रही हैं. जबकि सिंडिकेट भी असिस्टेंट प्रोफेसर को 19 मई, 2001 से पदोन्नति का लाभ देने की अनुशंसा कर चुका है.