जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस में मंगलवार को छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद एक-एक कर छात्रों को अस्पताल ले जाया गया. इलाज के बाद उन्हें घर भेजा गया है. सोमवार तक विवेकानंद पार्क में 13 छात्र नेता भूख हड़ताल पर बैठे थे, जो मंगलवार शाम तक महज 4 रह गए.
एक-एक कर छात्रों को ले जाया गया अस्पताल : राज्य सरकार की ओर से सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाए जाने से छात्र नेताओं में आक्रोश है. बीते 3 दिन से छात्र नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ विरोध दर्ज करा रहे हैं. रविवार देर रात एनएसयूआई और निर्दलीय के 13 छात्र नेता छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए. इनमें से छात्र नेता राहुल महला और रविंद्र महलावत की तबीयत खराब होने पर 14 अगस्त की देर रात ही अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद 15 अगस्त की सुबह से लेकर शाम तक एंबुलेंस के यूनिवर्सिटी कैंपस में आने-जाने का दौर जारी रहा.
SMS अस्पताल में भर्ती : भूख हड़ताल कर रहे छात्र नेता मेघराज गुर्जर, अभिषेक चौधरी, गजराज राठौड़, कोमल मोहनपुरिया, सोनू बैरवा और प्रियांशी खंडेलवाल को एक-एक कर एसएमएस अस्पताल ले जाया गया. इनमें से 4 का अभी भी उपचार चल रहा है, जबकि बाकी को ट्रीटमेंट के बाद घर भेजा गया है. यूनिवर्सिटी कैंपस में हरफूल चौधरी, महेश चौधरी, मोहित यादव और गोविंद मिलिंडा अभी भी भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं, हालांकि इनके स्वास्थ्य में भी लगातार गिरावट आ रही है. इन छात्र नेताओं का उत्साहवर्धन करने के लिए उनके समर्थकों की ओर से कविता पाठ का भी आयोजन किया गया.
टंकी पर चढ़े छात्र नेता : छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर आरएलपी छात्र नेता कमल चौधरी और विनोद कुमार यूनिवर्सिटी कैंपस में बनी पानी की टंकी पर चढ़ गए. सूचना मिलने पर पुलिस जाप्ता और आरएलपी के समर्थक छात्र भी मौके पर पहुंच गए. छात्र नेताओं से टंकी से नीचे उतरने के लिए समझाइश की जा रही है. वहीं, भूख हड़ताल कर रहे छात्र नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ कैंडल मार्च निकाला.
बता दें कि राज्य सरकार ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई है. वहीं, सभी राजकीय यूनिवर्सिटी में इस सत्र न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू होना है, ऐसे में विभिन्न यूनिवर्सिटी कुलपतियों ने सेमेस्टर सिस्टम लागू होने में हो रही असुविधा को लेकर सरकार के सामने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने की वकालत की थी.