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छात्रसंघ चुनावों पर लगी रोक, राज्य सरकार के आदेश के बाद छात्र नेताओं में आक्रोश - शिक्षा सत्र 2023 24 में छात्रसंघ चुनाव बैन

राजस्थान सरकार ने वर्तमान शिक्षा सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला लिया है. उन्होंने तर्क दिया है कि चुनाव में धनबल और भुजबल का इस्तेमाल और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के उल्लंघन को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

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छात्रसंघ चुनावों पर लगी रोक
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Published : Aug 13, 2023, 6:41 AM IST

Updated : Aug 13, 2023, 8:05 AM IST

राज्य सरकार के आदेश के बाद छात्र नेताओं में आक्रोश

जयपुर. राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में जारी सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने का फैसला लिया है. छात्रों की ओर से छात्रसंघ चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर इस्तेमाल करने, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए ये फैसला लिया गया है. साथ ही आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि छात्रसंघ चुनाव कराए जाते हैं तो शिक्षण कार्य प्रभावित होगा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में भी असुविधा होगी. राज्य सरकार की ओर से जारी इन आदेशों के बाद देर रात छात्र नेताओं ने यूनिवर्सिटी गेट पर इकट्ठा होकर विरोध भी जताया.

उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने इस सत्र में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई है. राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं. आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने, विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने, चालू सत्र में प्रवेश, बजट घोषणाएं लागू करने, छात्रसंघ चुनाव और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की पालना के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्चतर शिक्षा परिषद के पदाधिकारियों की मीटिंग हुई. जिसमें कुलपतियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न घटकों को लागू करना चुनौतीपूर्ण कार्य बताया. साथ ही जानकारी दी कि इस दिशा में अभी व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं. एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में छात्रों का रजिस्ट्रेशन, सेमेस्टर सिस्टम लागू करने का इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान, नैक की ओर से एक्रीडिटेशन और शिक्षा की गुणवत्ता के कार्य प्रगति पर हैं.

पढ़ें Student Union election: छात्रसंघ चुनाव की घोषणा हो रही लंबित, छात्र हो रहे अधीर

कुलपतियों ने बताया कि विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणामों में देरी और नए महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया में देरी के कारण कम से कम 180 दिवस अध्यापन कार्य करवाना चुनौतीपूर्ण है. साथ ही हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार कम से कम 75 प्रतिशत अटेंडेंस भी अनिवार्य हैं. ऐसे में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2023-24 में छात्रसंघ के चुनाव नहीं करवाए जाने पर सहमति बनी. वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी छात्र संघ चुनाव से पहले ही छात्र नेताओं की ओर से खर्च किए जा रहे पैसे और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की धज्जियां उड़ाई जाने पर चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने का फैसला लिया गया है.

पढ़ें छात्र संघ चुनाव पर सीएम अशोक गहलोत के बयान से गहराया असमंजस, जताई इस बात पर नाराजगी

बता दें कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में 2004 से 2009 तक भी छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे. वर्ष 2010 से छात्रसंघ चुनाव करवाए जा रहे हैं. हालांकि कोविड की विषम परिस्थितियों के कारण 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे.

राज्य सरकार के आदेश के बाद छात्र नेताओं में आक्रोश

जयपुर. राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में जारी सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने का फैसला लिया है. छात्रों की ओर से छात्रसंघ चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर इस्तेमाल करने, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए ये फैसला लिया गया है. साथ ही आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि छात्रसंघ चुनाव कराए जाते हैं तो शिक्षण कार्य प्रभावित होगा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में भी असुविधा होगी. राज्य सरकार की ओर से जारी इन आदेशों के बाद देर रात छात्र नेताओं ने यूनिवर्सिटी गेट पर इकट्ठा होकर विरोध भी जताया.

उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने इस सत्र में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई है. राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव और कॉलेज शिक्षा आयुक्त को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं. आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने, विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने, चालू सत्र में प्रवेश, बजट घोषणाएं लागू करने, छात्रसंघ चुनाव और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की पालना के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्चतर शिक्षा परिषद के पदाधिकारियों की मीटिंग हुई. जिसमें कुलपतियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न घटकों को लागू करना चुनौतीपूर्ण कार्य बताया. साथ ही जानकारी दी कि इस दिशा में अभी व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं. एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में छात्रों का रजिस्ट्रेशन, सेमेस्टर सिस्टम लागू करने का इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान, नैक की ओर से एक्रीडिटेशन और शिक्षा की गुणवत्ता के कार्य प्रगति पर हैं.

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कुलपतियों ने बताया कि विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणामों में देरी और नए महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया में देरी के कारण कम से कम 180 दिवस अध्यापन कार्य करवाना चुनौतीपूर्ण है. साथ ही हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार कम से कम 75 प्रतिशत अटेंडेंस भी अनिवार्य हैं. ऐसे में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2023-24 में छात्रसंघ के चुनाव नहीं करवाए जाने पर सहमति बनी. वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी छात्र संघ चुनाव से पहले ही छात्र नेताओं की ओर से खर्च किए जा रहे पैसे और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की धज्जियां उड़ाई जाने पर चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में सत्र 2023-24 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने का फैसला लिया गया है.

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बता दें कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में 2004 से 2009 तक भी छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे. वर्ष 2010 से छात्रसंघ चुनाव करवाए जा रहे हैं. हालांकि कोविड की विषम परिस्थितियों के कारण 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे.

Last Updated : Aug 13, 2023, 8:05 AM IST

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