रेनवाल (जयपुर). कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना के चलते राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन को देखते हुए रेनवाल में ढाई सौ साल के इतिहास में दूसरी बार सोमवार को रावण दहन और दशहरा मेले का आयाेजन नहीं हुआ है. प्रदेश में विजय दशमी के चार दिन पहले रेनवाल में ही रावण दहन की शुरुआत होती है.
रेनवाल में रावण दहन दशहरे से चार दिन पहले होता है. रेनवाल सहित आसपास के गांवों में अलग-अलग तिथियों में रावण दहन होता है. यहां तक की होली के बाद नांदरी गांव में दशहरा मेला और रावण दहन होता है. हांलाकि विजय दशमी के दिन पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रावण दहन किया जाता है. लेकिन रेनवाल सहित आसपास के कई गांवों और कस्बों में दीपावली के बाद यहां तक की होली के बाद भी दशहरा मनाकर रावण दहन किया जाता रहा है.
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यह प्रथा सैंकड़ों सालों से चलती आ रही है. रावण विजय दशमी को नहीं मरता बल्कि होली के बाद तक रावण जिंदा रहता है. रेनवाल कस्बे में दो दिन रावण दहन होता है. किशनगढ़ का नवरात्र की छठ को और रेनवाल खास में नवरात्री की अष्टमी को रावण दहन किया जाता रहा है. लगातार दूसरे वर्ष आयोजक मेला कमेटी सहित आमजन सैंकड़ों साल से चली आ रही परंपरा टूटने से निराश हैं.