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अनशन को पार्टी विरोधी बताने पर सचिन पायलट नाराज, शीर्ष नेताओं के समक्ष उठाए ये सवाल

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तकरार (Sachin Pilot wants power sharing before elections) खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. एक के बाद एक मुद्दे सामने आ रहे हैं, जिसे केंद्र कर दोनों ही नेता एक-दूसरे की खिंचाई कर रहे हैं. इस बीच सचिन पायलट की नाराजगी की वजह भी सामने आ गई है.

Sachin Pilot wants power sharing before elections
Sachin Pilot wants power sharing before elections
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Published : Apr 22, 2023, 10:22 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 10:40 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली हैं, जहां वो पार्टी आलाकमान व वरिष्ठ नेताओं से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. वहीं, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजधानी जयपुर में अपने समर्थकों से भेंट मुलाकात में व्यस्त रहे. साथ ही कई कार्यक्रमों में शामिल भी हुए. लेकिन इन सब के बीच पायलट के पार्टी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय फीडबैक कार्यक्रम में शामिल न होने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. भले ही इसके पीछे की वजह जो भी बताई जा रही हो, लेकिन पार्टी के करीबी सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट इस बात से नाराज हैं कि उनके अनशन को आलाकमान के सामने गलत तरीके से पेश किया गया. यही वजह है कि वो प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रमों से किनारा कर रहे हैं.

वहीं, अब करीब एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद सचिन पायलट और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के बीच हुई बातचीत भी सामने आने लगी है. जानकारों की मानें तो सचिन पायलट ने सीधे तौर पर इस बात पर नाराजगी जताई है कि उन्होंने भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के करप्शन के मुद्दे को उठाया था. ऐसे में भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना भला पार्टी विरोधी कैसे हो सकता है. इतना ही नहीं कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान को जो बातें कही गई है, उसमें कांग्रेस विधायक भरत सिंह के अपनी ही पार्टी के मंत्री प्रमोद जैन भाया के भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने के बारे में कहा गया है.

इसे भी पढ़ें - Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot Dispute: किस्सा, कांग्रेस और कमेटी का! जानिए क्या है आलाकमान की रणनीति

हालांकि, इन मुद्दों को विधानसभा के बाहर मुख्यमंत्री के सलाहकार भी उठा चुके हैं. ऐसे में उनका मुद्दा पार्टी विरोधी कैसे हुआ. बता दें कि सरकार के वर्तमान कार्यकाल में कई बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सार्वजनिक रूप से पत्र लिखकर मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. हालांकि, उन्हें लेकर किसी ने एंटी पार्टी जैसी बात नहीं कही.

सरकार में भी पावर शेयरिंग की उठाई बात - जानकारों की मानें तो पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के सामने यह भी कहा है कि जिन मुद्दों को उठाकर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी है, आज उन्हीं मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है. ऐसे में भला अगर वो उन मुद्दों को उठाते हैं तो वो पार्टी विरोधी कैसे हो गए? इसके साथ ही सबसे प्रमुख बात यह है कि पायलट ने सरकार में पावर शेयरिंग के मुद्दे पर भी अपनी बात आलाकमान के सामने रखी है. पार्टी के करीबी सूत्रों की मानें तो पायलट ने कहा है कि केवल एक ही व्यक्ति के हाथ में सारी ताकत कैसे हो सकती है? साथ ही पायलट ने अब ताकत बंटवारे का मुद्दा भी पार्टी शीर्ष नेतृत्व के समक्ष उठाया है. लेकिन ये सभी मुद्दे तब उठाए जा रहे हैं, जब राजस्थान में विधानसभा को बामुश्किल 6 माह शेष बचे हैं.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली हैं, जहां वो पार्टी आलाकमान व वरिष्ठ नेताओं से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. वहीं, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजधानी जयपुर में अपने समर्थकों से भेंट मुलाकात में व्यस्त रहे. साथ ही कई कार्यक्रमों में शामिल भी हुए. लेकिन इन सब के बीच पायलट के पार्टी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय फीडबैक कार्यक्रम में शामिल न होने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. भले ही इसके पीछे की वजह जो भी बताई जा रही हो, लेकिन पार्टी के करीबी सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट इस बात से नाराज हैं कि उनके अनशन को आलाकमान के सामने गलत तरीके से पेश किया गया. यही वजह है कि वो प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रमों से किनारा कर रहे हैं.

वहीं, अब करीब एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद सचिन पायलट और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के बीच हुई बातचीत भी सामने आने लगी है. जानकारों की मानें तो सचिन पायलट ने सीधे तौर पर इस बात पर नाराजगी जताई है कि उन्होंने भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के करप्शन के मुद्दे को उठाया था. ऐसे में भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना भला पार्टी विरोधी कैसे हो सकता है. इतना ही नहीं कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान को जो बातें कही गई है, उसमें कांग्रेस विधायक भरत सिंह के अपनी ही पार्टी के मंत्री प्रमोद जैन भाया के भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने के बारे में कहा गया है.

इसे भी पढ़ें - Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot Dispute: किस्सा, कांग्रेस और कमेटी का! जानिए क्या है आलाकमान की रणनीति

हालांकि, इन मुद्दों को विधानसभा के बाहर मुख्यमंत्री के सलाहकार भी उठा चुके हैं. ऐसे में उनका मुद्दा पार्टी विरोधी कैसे हुआ. बता दें कि सरकार के वर्तमान कार्यकाल में कई बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सार्वजनिक रूप से पत्र लिखकर मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. हालांकि, उन्हें लेकर किसी ने एंटी पार्टी जैसी बात नहीं कही.

सरकार में भी पावर शेयरिंग की उठाई बात - जानकारों की मानें तो पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के सामने यह भी कहा है कि जिन मुद्दों को उठाकर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी है, आज उन्हीं मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है. ऐसे में भला अगर वो उन मुद्दों को उठाते हैं तो वो पार्टी विरोधी कैसे हो गए? इसके साथ ही सबसे प्रमुख बात यह है कि पायलट ने सरकार में पावर शेयरिंग के मुद्दे पर भी अपनी बात आलाकमान के सामने रखी है. पार्टी के करीबी सूत्रों की मानें तो पायलट ने कहा है कि केवल एक ही व्यक्ति के हाथ में सारी ताकत कैसे हो सकती है? साथ ही पायलट ने अब ताकत बंटवारे का मुद्दा भी पार्टी शीर्ष नेतृत्व के समक्ष उठाया है. लेकिन ये सभी मुद्दे तब उठाए जा रहे हैं, जब राजस्थान में विधानसभा को बामुश्किल 6 माह शेष बचे हैं.

Last Updated : Apr 22, 2023, 10:40 PM IST
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