जयपुर. भले ही राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच फिलहाल सब कुछ ठीक दिख रहा हो, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि दोनों नेताओं के मधुरता के बीच व्यंग्यात्मक वाण चलने भी शुरू हो गए. इसे देखकर अब ऐसा लगता है कि प्रदेश में गहलोत-पायलट के बीच एक बार फिर से सियासी युद्ध शुरू होने जा रहा है. बीते कुछ दिनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस तरह से 2020 में पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत की बात व्यंग्यात्मक तरीके से उठा रहे हैं और दिल्ली में यहां तक कहते नजर आए कि सचिन पायलट समर्थक विधायक उस समय (साल 2020) में जहां भी गए थे, लेकिन सब विधायकों के टिकट करीब-करीब फाइनल हो गए हैं.
आगे उन्होंने कहा कि वो किसी के टिकट पर ऑब्जेक्शन नहीं किए. वहीं, अब सचिन पायलट ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भाषा में ही बीते साल 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक नहीं होने और विधायकों के इस्तीफे दिए जाने की बात को इशारों में उठाते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में जवाब दिया. पायलट ने कहा कि "क्या आपने सुना नहीं, मुख्यमंत्री ने कहा है कि हमारे अंदर जो प्यार मोहब्बत है, वो एक मिसाल बन चुकी है. उस प्यार मोहब्बत से विरोधी बहुत घबरा गए हैं और वैसे भी हमारे पास साथ काम करने का अनुभव भी है".
इसके आगे पायलट ने गहलोत को टिकट पर जवाब देते हुए कहा कि पिछले साल (25 सितंबर) जो घटनाक्रम हुआ, कुछ लोगों पर अनुशासन तोड़ने के भी आरोप लगे थे, लेकिन आज उनका भी खुले दिल से स्वागत किया गया है. आगे उन्होंने कहा कि अब उन पर कार्रवाई हुई या नहीं, ये अलग बात है, लेकिन जिन-जिन लोगों का टिकट प्रपोजल आया और अगर वो जीतने वाले उम्मीदवार थे उनके टिकट फाइनल किए गए हैं.
पायलट ने 25 सितंबर की घटना को इशारों में याद करवाते हुए कहा कि उस समय चाहे सोनिया गांधी की अवमानना भी किसी ने क्यों न कि हो, लेकिन फिर भी मैं अगर कोई प्रत्याशी जिताऊ है तो पार्टी के हित में मैंने उसका विरोध नहीं किया. इससे बड़ा प्रमाण आपसी मोहब्बत का भला और क्या हो सकता है.