जयपुर. राजस्थान में 29 मई को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से सचिन पायलट और अशोक गहलोत को बैठाकर समझौते का प्रयास किया गया, जिसके बाद लग रहा था कि कांग्रेस पार्टी में कोई फार्मूला तैयार हो चुका है. लेकिन उस बैठक के 8 दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक न तो कोई फार्मूला निकल कर सामने आया है और न ही सचिन पायलट अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार हैं. ऐसे में चाहे पायलट समर्थक हों या राजस्थान की राजनीति में इंटरेस्ट रखने वाले लोग, हर किसी में यही कौतूहल बना हुआ है कि क्या सचिन पायलट 11 जून को उनके पिता की पुण्यतिथि कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर नया रास्ता अपना लेंगे.
हालांकि, सचिन पायलट अभी दिल्ली में हैं और न तो उन्होंने इस विषय में किसी से बात की है और न ही वह कुछ बोल रहे हैं. लेकिन दौसा में हर साल की तरह इस बार भी होने वाले राजेश पायलट के पुण्यतिथि कार्यक्रम पर हर किसी की नजर है कि पायलट अपने पिता की पुण्यतिथि के दिन क्या कोई बड़ा निर्णय लेंगे.
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पायलट समर्थक मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कही बड़ी बात : मंगलवार सुबह से ही कथित सूत्रों के आधार पर चल रही सचिन पायलट के नई पार्टी बनाने की खबरों के बीच पायलट कैंप से मंत्री मुरारी लाल मीणा ने बिल्कुल साफ कर दिया कि सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बनाने की बात केवल अफवाह मात्र है. मुरारी ने कहा कि दौसा में 11 जून को किसान नेता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर हर साल श्रद्धांजलि सभा होती है. यह हर बार 11 जून को होती है जो इस बार भी है.
उन्होंने कहा कि 11 जून को गुर्जर छात्रावास दौसा में राजेश पायलट की मूर्ति का अनावरण भी होगा. उन्होंने नई पार्टी बनाने या भाजपा में जाने के सवाल पर कहा कि हम संभावनाओं पर भरोसा नहीं करते. हम कांग्रेसी हैं, कांग्रेस विचारधारा के हैं. भाजपा से हमारी विचारधारा ही नहीं मिलती है. ऐसी बातों में मुझे कोई दम नहीं लगता. माना कि 11 जून को होने वाले कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पायलट समर्थक पहुंचेंगे, जो हर बार होने वाले कार्यक्रम से कहीं ज्यादा हो सकते हैं.
सुलह का फार्मूला नहीं आने से पायलट खेमे में बैचेनी जरूर है : गहलोत-पायलट सुलह मामले में पायलट समर्थक विधायक हो या मंत्री, सभी कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन यह बात जरूर है कि पायलट समर्थक विधायकों और नेताओं में इस बात को लेकर बेचैनी है कि कांग्रेस आलाकमान ने बैठक के 8 दिन गुजर जाने के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में सुगबुगाहट पायलट कैंप के नेताओं में भी है कि कहीं पायलट नाराजगी जताते हुए 11 जून को कोई बड़ा फैसला न कर लें.
2020 की बगावत के समय भी थी पार्टी बनाने की चर्चा, इस बार राज जन संघर्ष मोर्चा का नाम : साल 2020 में जब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व को चुनौती देते हुए बगावत की थी, उस समय भी यही बात चली थी कि सचिन पायलट भाजपा में शामिल नहीं होंगे, बल्कि प्रगतिशील कांग्रेस नाम से अपनी नई पार्टी बनाएंगे. अब उस घटना के 3 साल गुजर जाने के बाद 2023 में फिर एक बार सचिन पायलट के साथ प्रगतिशील कांग्रेस के नाम से पार्टी बनाने की चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि, इस बार चर्चाओं में दूसरा नाम जन संघर्ष मोर्चा पार्टी का भी है. आपको बता दें कि प्रगतिशील कांग्रेस नाम पहले भी इसलिए आया था, क्योंकि यह कहा जाता है कि इस नाम से पार्टी करीब दो दशक पहले सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने बनाई थी, लेकिन वह पार्टी कभी अस्तित्व में आई या नहीं, यह भी कभी साफ नहीं हो सका. लेकिन उसी पार्टी का नाम हर बार सचिन पायलट के साथ जोड़ा जाता है.
राहुल गांधी के विदेश से लौटने का इंतजार, कमलनाथ भी पायलट के संपर्क में : 11 जून को सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर हर साल की तरह कार्यक्रम होगा और पायलट कांग्रेस में ही बने रहेंगे या वह अपनी पार्टी बनाकर कांग्रेस से अलग रास्ता चुनेंगे या फिर भाजपा की तरफ हाथ बढ़ाएंगे, यह आने वाला समय साफ कर देगा. लेकिन इन तमाम चर्चाओं के बीच इंतजार अब राहुल गांधी के विदेश दौरे से लौटने का हो रहा है, क्योंकि यह कहा जा रहा है कि 29 मई को जो फार्मूला बना था उस पर राहुल गांधी भारत लौटकर ही फैसला करेंगे. ऐसे में 8 जून तक राहुल गांधी के भारत लौटने की बातें चल रही हैं और कहा जा रहा है कि उसके बाद ही पायलट को राजस्थान चुनाव में क्या भूमिका देनी है, इस पर अंतिम निर्णय होगा. इसी बीच इस मामले में कमलनाथ की एंट्री भी हो गई है और वह भी पायलट के लगातार संपर्क में हैं जो किसी हाल में नहीं चाहते कि पायलट कांग्रेस से दूरी बनाएं.