जयपुर. दुष्कर्म के मामले में एफआर लगवाने के लिए रिश्वत लेने की कोशिश का मामला अब तूल पकड़ रहा है. ट्रैप फेल होने पर एसीबी ने घूस मांगने वाले एडिशनल डीसीपी राजेंद्र त्यागी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. लेकिन अब पड़ताल में नया खुलासा हुआ है. जहां एडिशनल डीसीपी और परिवादी के बातचीत में और भी नाम सामने आए हैं.
शिकायत के साथ परिवादी ने एसीबी को रिकॉर्डिंग भी पेश की थी. जिसमें कई और अधिकारियों की सक्रिय भूमिका का भी जिक्र है. बड़े अधिकारी की भूमिका देख एसीबी ने परिवादी से ओरिजिनल रिकॉर्डिंग मांगा है. वहीं, यह रिकॉर्डिंग भी आला पुलिस अधिकारियों में वायरल हो रही है. परिवादी ने ओरिजनल रिकॉर्डिंग एसीबी को सौंप दी है. जिसके बाद एसीबी इसकी जांच पड़ताल में जुट गई है.
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परिवादी और एडिशनल डीसीपी त्यागी के बीच हुई बातचीत के अंश
एडि. डीसीपी- महिला थाने की परिवादी नाम भी बड़े-बड़े लेती है...चक्कर ये पड़ गया उसके, मैं करता हूं और क्या करूं.
परिवादी- आप ही साहब को समझा सकते हो.
एडि. डीसीपी- फैक्ट को कोई नहीं मान रहा, कहते हैं ये आदमी ऐसा है.
परिवादी- पर मैं तो कभी साहब से नहीं मिला...मैं तो बर्बाद हूं, मेरे पास अब क्या है.
एडि. डीसीपी- आप नहीं मिले लेकिन साहब फाइल देख कर ही पकड़ लेते हैं.
परिवादी- मैंने महिला थाने की परिवादी की मदद भी की...एमबीबीएस दाखिले के लिए मैं निजी मेडिकल कॉलेज के संचालक के पास गया था.
एडि. डीसीपी- उनकी भी फाइल है मेरे पास.. अब क्या निहाल करोगे, जो बताए साहब यह हो सकता है...
परिवादी- आप ही बताओ
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एडि. डीसीपी- अरे आपका टैग है, उसे कैसे क्लियर किया जाए. मैं खुद कुछ कह नहीं सकता...आप बता दो ससम्मान जो मैं उन्हें जाकर कह दूं...आप खुद ही मिल लो तो बेहतर है, इतने बड़े के पास छोटी बात करना हमारे लिए अच्छी बात नहीं.
परिवादी- अजमेर वाला कॉलेज आ जाएगा तो कुछ कर दूंगा.
एडि. डीसीपी- किसी से कहला नहीं सकते क्या...
परिवादी- कहलवा तो दूंगा, लेकिन उसमें भी पैसे खर्च होंगे. सरकार में पहुंच वाले 1 आरएएस अधिकारी से कहला दूं, लेकिन...छोटा मोटा करना तो पड़ेगा.
एडि. डीसीपी- वो नहीं कह पाएंगे इतने वो नहीं है...देखो मैं तो किसी की आत्मा नहीं दुखाना चाहता...आपको मिलवा दूंगा फिर आपकी मजबूरी बता देना.
परिवादी- 1 लाख रुपए दे दूंगा...
एडि. डीसीपी- नहीं मानेंगे... अच्छा नहीं लगेगा...मिनिमम 5 लाख रुपए.. पांच में भी साहब को कहेंगे कि इससे ज्यादा तो इनका है नहीं...नहीं होता है तो आप रहने दो, मैं कहूंगा मामला तो झूठा है.