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सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव में दांव पर BJP के दो नेताओं की प्रतिष्ठा, एक की जन्मभूमि तो दूसरे की है कर्मभूमि

सरदारशहर विधानसभा सीट (Sardarshahr assembly seat) पर उपचुनाव होना है, लेकिन अबकी इस सीट पर बीजेपी के दो बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर (Reputation of two BJP leaders at stake) लगी है. एक ओर सरदारशहर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की जहां कर्मभूमि है तो वहीं, दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की यह जन्मभूमि है.

Sardarshahr assembly by election
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Published : Nov 11, 2022, 6:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट (Sardarshahr assembly seat of Churu) से कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद यहां उपचुनाव होने जा रहा है. इस उपचुनाव को सूबे में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के लिए सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस यहां सिम्पैथी के रथ पर सवार है तो बीजेपी ने एंटी इनकम्बेंसी के सहारे जीत की उम्मीद लगा रही है. चुनाव के परिणाम किसके पक्ष में आएंगे यह तो परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन इस उपचुनाव में बीजेपी के दो बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा जरूर दांव पर लगी है. एक ओर सरदारशहर जहां उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की कर्मभूमि (Opposition Rajendra Rathod Karmabhoomi) है तो वहीं, दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की यह जन्मभूमि है.

दांव पर प्रतिष्ठा: सरदारशहर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. यहां 5 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है. जिसे सूबे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के लिए सेमीफाइनल करार दिया जा रहा है. लेकिन इन सबके बीच यह सीट बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर बीजेपी यहां चुनाव नहीं जीत पाती है तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की सियासी साख पर आगे इसका असर देखने को मिलेगा. लेकिन अगर किसी भी तरह से बीजेपी इस सीट को निकालने में कामयाब हो जाती है तो फिर इन दोनों ही नेताओं का सूबे की सियासत में वर्चस्‍व बढ़ना तय है.

सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव

इसे भी पढे़ं - हरीश चौधरी का गहलोत पर सीधा हमला, कहा- मेरा सवाल मुख्यमंत्री से, इसमें नौकरशाही का रोल नहीं

अब तक हुए उपचुनाव के परिणाम: यह मौजूदा 15वीं विधानसभा की 8वीं सीट और चौथा उपचुनाव होगा. विधानसभा चुनाव 2023 से पहले एक सीट पर हो रहा यह उपचुनाव कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद काे लेकर चल रही लड़ाई और बीजेपी में चुनावी चेहरे पर जारी संघर्ष की दृष्टि से भी काफी अहम है. इससे पहले 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं. पंद्रहवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में मंडावा से बीजेपी के विधायक बने नरेंद्र कुमार और खींवसर से विधायक बने आरएलपी के हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बन गए. दोनों को विधानसभा की सीट छोड़नी पड़ी. इसके बाद अक्टूबर 2019 में उपचुनाव कराने पड़े. इनके अलावा सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाशचंद्र त्रिवेदी, सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक भंवरलाल मेघवाल और राजसमंद से बीजेपी की किरण माहेश्वरी के निधन के बाद सीटें खाली हो गई. इन तीन सीटों पर अप्रैल 2021 में उपचुनाव हुए, फिर उदयपुर के वल्लभनगर से कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और धरियावद से बीजेपी विधायक गौतम लाल निनामा का निधन हो गया, फिर तीसरी बार अक्टूबर 2021 में उपचुनाव कराने पड़े. अब 8वीं सीट पर चौथा उपचुनाव होने जा रहा है.

एक ओर सहाड़ा, सुजानगढ़, वल्लभनगर सीट पर जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो राजसमंद से बीजेपी विधायक रहीं किरण माहेश्वरी के निधन के बाद उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उपचुनाव में सफलता हाथ लगी. यानी अब तक 7 सीटों पर हुए उपचुनावों में बीजेपी केवल एक ही सीट पर जीत दर्ज कर सकी है. वहीं, कांग्रेस ने 5 सीटों पर और आरएलपी ने एक सीट पर जीत दर्ज की.

परफॉर्मेंस पर निर्भर परिणाम: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस बात को लेकर स्पष्ट कर दिया कि सरदारशहर का चुनाव परिणाम पूरी तरह से परफॉर्मेंस पर निर्भर करेगा, न कि सहानुभूति पर. उन्होंने कहा कि सहानुभूति फैक्टर एक हो सकता है, लेकिन वहां के लोग स्थानीय मुद्दों पर ही मतदान करेंगे. ऐसे में गहलोत सरकार के 4 साल नाकामी भरे रहे हैं. जिससे जनता त्रस्त है. यही कारण है कि आगे बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का लाभ मिल सकता है. अब तक किए हुए उपचुनाव के परिणाम पर पूनिया ने कहा कि ज्यादातर उपचुनाव विधायकों के दिवंगत होने के कारण ही हुए हैं. ऐसे में भले ही सिंपैथी के आधार पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की हो, लेकिन इस बार उनकी सिंपैथी वाला कार्ड भी काम नहीं आएगा.

वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के 4 साल में कोई काम नहीं हुआ है. ऐसे में सरदारशहर की जनता अबकी गहलोत सरकार पर विश्वास नहीं करेगी. आगे उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरदारशहर में कानून व्यवस्था बिगड़ी है, किसानों को जिस तरह से परेशान होना पड़ा है, युवा रोजगार को तरस रहे हैं. उन सब के आधार पर इस बार यहां के लोग किसी भी सूरत में कांग्रेस को वोट नहीं करेंगे.

अभी नाम तय नहीं: बता दें कि कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण सरदारशहर विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं. शर्मा का कुछ दिनों पहले ही निधन हो गया था.भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, 10 नवंबर से अधिसूचना जारी हो गई. इसी के साथ नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई. हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अभी तक उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 नवंबर है और 18 नंवबर को नामांकन पत्रों की जांच होनी है. इसके अलावा 21 नवंबर को नाम वापस लेने की अंतिम तारीख है, जबकि 5 दिसंबर को मतदान और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

जयपुर. राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट (Sardarshahr assembly seat of Churu) से कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद यहां उपचुनाव होने जा रहा है. इस उपचुनाव को सूबे में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के लिए सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस यहां सिम्पैथी के रथ पर सवार है तो बीजेपी ने एंटी इनकम्बेंसी के सहारे जीत की उम्मीद लगा रही है. चुनाव के परिणाम किसके पक्ष में आएंगे यह तो परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन इस उपचुनाव में बीजेपी के दो बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा जरूर दांव पर लगी है. एक ओर सरदारशहर जहां उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की कर्मभूमि (Opposition Rajendra Rathod Karmabhoomi) है तो वहीं, दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की यह जन्मभूमि है.

दांव पर प्रतिष्ठा: सरदारशहर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. यहां 5 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है. जिसे सूबे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के लिए सेमीफाइनल करार दिया जा रहा है. लेकिन इन सबके बीच यह सीट बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर बीजेपी यहां चुनाव नहीं जीत पाती है तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की सियासी साख पर आगे इसका असर देखने को मिलेगा. लेकिन अगर किसी भी तरह से बीजेपी इस सीट को निकालने में कामयाब हो जाती है तो फिर इन दोनों ही नेताओं का सूबे की सियासत में वर्चस्‍व बढ़ना तय है.

सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव

इसे भी पढे़ं - हरीश चौधरी का गहलोत पर सीधा हमला, कहा- मेरा सवाल मुख्यमंत्री से, इसमें नौकरशाही का रोल नहीं

अब तक हुए उपचुनाव के परिणाम: यह मौजूदा 15वीं विधानसभा की 8वीं सीट और चौथा उपचुनाव होगा. विधानसभा चुनाव 2023 से पहले एक सीट पर हो रहा यह उपचुनाव कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद काे लेकर चल रही लड़ाई और बीजेपी में चुनावी चेहरे पर जारी संघर्ष की दृष्टि से भी काफी अहम है. इससे पहले 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं. पंद्रहवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में मंडावा से बीजेपी के विधायक बने नरेंद्र कुमार और खींवसर से विधायक बने आरएलपी के हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बन गए. दोनों को विधानसभा की सीट छोड़नी पड़ी. इसके बाद अक्टूबर 2019 में उपचुनाव कराने पड़े. इनके अलावा सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाशचंद्र त्रिवेदी, सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक भंवरलाल मेघवाल और राजसमंद से बीजेपी की किरण माहेश्वरी के निधन के बाद सीटें खाली हो गई. इन तीन सीटों पर अप्रैल 2021 में उपचुनाव हुए, फिर उदयपुर के वल्लभनगर से कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और धरियावद से बीजेपी विधायक गौतम लाल निनामा का निधन हो गया, फिर तीसरी बार अक्टूबर 2021 में उपचुनाव कराने पड़े. अब 8वीं सीट पर चौथा उपचुनाव होने जा रहा है.

एक ओर सहाड़ा, सुजानगढ़, वल्लभनगर सीट पर जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो राजसमंद से बीजेपी विधायक रहीं किरण माहेश्वरी के निधन के बाद उनकी बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उपचुनाव में सफलता हाथ लगी. यानी अब तक 7 सीटों पर हुए उपचुनावों में बीजेपी केवल एक ही सीट पर जीत दर्ज कर सकी है. वहीं, कांग्रेस ने 5 सीटों पर और आरएलपी ने एक सीट पर जीत दर्ज की.

परफॉर्मेंस पर निर्भर परिणाम: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस बात को लेकर स्पष्ट कर दिया कि सरदारशहर का चुनाव परिणाम पूरी तरह से परफॉर्मेंस पर निर्भर करेगा, न कि सहानुभूति पर. उन्होंने कहा कि सहानुभूति फैक्टर एक हो सकता है, लेकिन वहां के लोग स्थानीय मुद्दों पर ही मतदान करेंगे. ऐसे में गहलोत सरकार के 4 साल नाकामी भरे रहे हैं. जिससे जनता त्रस्त है. यही कारण है कि आगे बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का लाभ मिल सकता है. अब तक किए हुए उपचुनाव के परिणाम पर पूनिया ने कहा कि ज्यादातर उपचुनाव विधायकों के दिवंगत होने के कारण ही हुए हैं. ऐसे में भले ही सिंपैथी के आधार पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की हो, लेकिन इस बार उनकी सिंपैथी वाला कार्ड भी काम नहीं आएगा.

वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के 4 साल में कोई काम नहीं हुआ है. ऐसे में सरदारशहर की जनता अबकी गहलोत सरकार पर विश्वास नहीं करेगी. आगे उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरदारशहर में कानून व्यवस्था बिगड़ी है, किसानों को जिस तरह से परेशान होना पड़ा है, युवा रोजगार को तरस रहे हैं. उन सब के आधार पर इस बार यहां के लोग किसी भी सूरत में कांग्रेस को वोट नहीं करेंगे.

अभी नाम तय नहीं: बता दें कि कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण सरदारशहर विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं. शर्मा का कुछ दिनों पहले ही निधन हो गया था.भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, 10 नवंबर से अधिसूचना जारी हो गई. इसी के साथ नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई. हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अभी तक उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 नवंबर है और 18 नंवबर को नामांकन पत्रों की जांच होनी है. इसके अलावा 21 नवंबर को नाम वापस लेने की अंतिम तारीख है, जबकि 5 दिसंबर को मतदान और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

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