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गहलोत पर सचिन के आरोपों के बाद पायलट कैंप में सन्नाटा, जानिए किस विधायक ने क्या कहा

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के सीएम अशोक गहलोत पर आरोप लगाने के बाद पायलट कैंप में सन्नाटा सा पसरा है. कुछ का कहना है कि वे पायलट के बयान के साथ हैं, जबकि कुछ ने इस पर बात करने से किनारा कर लिया.

reaction of MLAs on Pilot allegations on CM Gehlot
गहलोत पर सचिन के आरोपों के बाद पायलट कैंप में सन्नाटा, जानिए किस विधायक ने क्या कहा
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Published : May 9, 2023, 9:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस के कुनबे की अंतर्कलह के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक-दूसरे के सामने हैं. इन हालात में सवाल उन विधायकों का है, जिन पर गहलोत ने पायलट के समर्थन के साथ बीजेपी से पैसा लेने का आरोप लगाया था. इन विधायकों में से कुछ आज सत्ता की भागीदारी में हैं, तो कुछ आज भी पायलट कैंप में खड़े नजर आते हैं. हालांकि सत्ता में शामिल नेताओं में से कई अपना रुख साफ कर चुके हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने कांग्रेस के उन नेताओं से बातचीत का प्रयास किया, जिन पर इस पूरे प्रकरण के दौरान सत्ता की खिलाफत और विपक्षी पार्टी से पैसों के दम पर गठजोड़ के आरोप लगे थे. ज्यादातर विधायकों ने खुद पर लगे आरोपों से साफ इनकार कर दिया, तो कुछ विधायकों ने सचिन पायलट के मत पर अपना रुख कायम रखने की बात कही.

गहलोत सरकार में मंत्री रहे चुके नेताओं ने यह कहाः साल 2020 में सचिन पायलट के साथ मानेसर में कैंप करने वाले 18 विधायकों में साल 2008 की गहलोत सरकार के वक्त विधानसभा अध्यक्ष रहे दीपेन्द्र सिंह शेखावत, मंत्री हेमाराम चौधरी, मंत्री बृजेन्द्र ओला और मुरारी लाल मीणा शामिल रहे. पैसों के लेन-देन के मसले पर ईटीवी भारत के सवालों पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शेखावत ने नो कमेंट्स कहते हुए जवाब नहीं दिया. वहीं मौजूदा पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी धोरीमन्ना के दौरे पर थे. उन्होंने कहा कि वे फिलहाल इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहते हैं. जबकि परिवहन राज्य मंत्री बृजेन्द्र ओला ने खुद के शोक सभा में आने की बात कहकर फोन काट दिया. वहीं पायलट के वक्तव्य से पहले कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि वे गहलोत सरकार में बतौर मंत्री मौजूद हैं. ऐसे में इस बारे में उन्हें और कुछ नहीं कहना है.

पढ़ेंः सचिन पायलट के सवाल पर सीएम अशोक गहलोत ने साधी चुप्पी, सड़क पर छात्रों की समस्या सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने की ये घोषणा

विधायकों की रही यह रायः सचिन पायलट गुट के विधायकों ने भी पूरे मामले को लेकर फिलहाल चुप्पी साध रखी है. आम तौर पर मुखर होकर बोलने वाले चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि वे बुधवार को मीडिया से बात करके अपना मत रखेंगे. लेकिन आज वे सचिन पायलट की बात का समर्थन करते हैं. वहीं विराट नगर से विधायक इंद्राज गुर्जर ने बताया कि सचिन पायलट के बोलने के बाद अब उन्हें कुछ और नहीं कहना है. वे पायलट के स्टेटमेंट के साथ हैं. वहीं दिवंगत कांग्रेस नेता और मानेसर के वक्त पायलट कैंप का हिस्सा रहे सरदारशहर से एमएलए स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा ने कहा कि यह सारी बातें ऊपर की हैं और इनका कोई मतलब नहीं है.

पढ़ेंः Rajasthan Politics: सीएम अशोक गहलोत पर गरजे सचिन पायलट, कहा- आरोपों में नहीं है दम, उल्टे लगाए ये गंभीर आरोप

रविवार को मुख्यमंत्री ने धौलपुर के राजाखेड़ा की सभा के दौरान दो और कांग्रेस विधायकों का नाम लेकर उनसे नाराज होने की बात कही थी. इनमें बाड़ी विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा और बसेड़ी से विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा शामिल हैं. दोनों नेताओं ने कहा था कि वे 2020 में भी कांग्रेस के खेमे में खड़े थे. 2022 की 25 सितंबर को भी उन्होंने कांग्रेस के कैंप में अपनी मौजूदगी दिखाई थी और आगे भी वे कांग्रेस के साथ ही खड़े नजर आएंगे. जहां तक पैसों के लेन-देन का सवाल है, तो वे इस बात से नाइत्तेफाकी रखते हैं.

पढ़ेंः Rajasthan Politics : पेपर लीक के मुद्दे पर सचिन पायलट का जन संघर्ष पैदल मार्च 11 मई से, बोले-कुछ लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं

गहलोत सरकार में भागीदार हैं मानेसर जाने वाले यह नेताः कांग्रेस की कलह के बीच गहलोत और पायलट में तल्खी और भ्रष्टाचार को लेकर जंग देखी जा रही है. गौरतलब है कि इन सब सूरत-ए-हाल के बावजूद पायलट के साथ पार्टी से बगावत करने का इल्जाम झेल चुके कुछ विधायक आज सरकार में मंत्री की भूमिका में हैं. 2020 के प्रकरण से पहले जहां सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा सरकार में मंत्री थे, तो इस मसले के बाद हुए विस्तार के दौरान गहलोत सरकार में पायलट कैंप से मानेसर जाने वाले विधायकों में हेमाराम चौधरी, बृजेन्द्र ओला, मुरारी लाल मीणा, रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह फिलहाल मंत्री पद पर कायम हैं. सियासी नजरिये से देखा जाये, तो बगावत के बाद पायलट कैंप के तीन और नेताओं को सत्ता में भागीदारी के लिए बतौर मंत्री मौका मिला है.

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस के कुनबे की अंतर्कलह के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक-दूसरे के सामने हैं. इन हालात में सवाल उन विधायकों का है, जिन पर गहलोत ने पायलट के समर्थन के साथ बीजेपी से पैसा लेने का आरोप लगाया था. इन विधायकों में से कुछ आज सत्ता की भागीदारी में हैं, तो कुछ आज भी पायलट कैंप में खड़े नजर आते हैं. हालांकि सत्ता में शामिल नेताओं में से कई अपना रुख साफ कर चुके हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने कांग्रेस के उन नेताओं से बातचीत का प्रयास किया, जिन पर इस पूरे प्रकरण के दौरान सत्ता की खिलाफत और विपक्षी पार्टी से पैसों के दम पर गठजोड़ के आरोप लगे थे. ज्यादातर विधायकों ने खुद पर लगे आरोपों से साफ इनकार कर दिया, तो कुछ विधायकों ने सचिन पायलट के मत पर अपना रुख कायम रखने की बात कही.

गहलोत सरकार में मंत्री रहे चुके नेताओं ने यह कहाः साल 2020 में सचिन पायलट के साथ मानेसर में कैंप करने वाले 18 विधायकों में साल 2008 की गहलोत सरकार के वक्त विधानसभा अध्यक्ष रहे दीपेन्द्र सिंह शेखावत, मंत्री हेमाराम चौधरी, मंत्री बृजेन्द्र ओला और मुरारी लाल मीणा शामिल रहे. पैसों के लेन-देन के मसले पर ईटीवी भारत के सवालों पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शेखावत ने नो कमेंट्स कहते हुए जवाब नहीं दिया. वहीं मौजूदा पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी धोरीमन्ना के दौरे पर थे. उन्होंने कहा कि वे फिलहाल इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहते हैं. जबकि परिवहन राज्य मंत्री बृजेन्द्र ओला ने खुद के शोक सभा में आने की बात कहकर फोन काट दिया. वहीं पायलट के वक्तव्य से पहले कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि वे गहलोत सरकार में बतौर मंत्री मौजूद हैं. ऐसे में इस बारे में उन्हें और कुछ नहीं कहना है.

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विधायकों की रही यह रायः सचिन पायलट गुट के विधायकों ने भी पूरे मामले को लेकर फिलहाल चुप्पी साध रखी है. आम तौर पर मुखर होकर बोलने वाले चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि वे बुधवार को मीडिया से बात करके अपना मत रखेंगे. लेकिन आज वे सचिन पायलट की बात का समर्थन करते हैं. वहीं विराट नगर से विधायक इंद्राज गुर्जर ने बताया कि सचिन पायलट के बोलने के बाद अब उन्हें कुछ और नहीं कहना है. वे पायलट के स्टेटमेंट के साथ हैं. वहीं दिवंगत कांग्रेस नेता और मानेसर के वक्त पायलट कैंप का हिस्सा रहे सरदारशहर से एमएलए स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा ने कहा कि यह सारी बातें ऊपर की हैं और इनका कोई मतलब नहीं है.

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रविवार को मुख्यमंत्री ने धौलपुर के राजाखेड़ा की सभा के दौरान दो और कांग्रेस विधायकों का नाम लेकर उनसे नाराज होने की बात कही थी. इनमें बाड़ी विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा और बसेड़ी से विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा शामिल हैं. दोनों नेताओं ने कहा था कि वे 2020 में भी कांग्रेस के खेमे में खड़े थे. 2022 की 25 सितंबर को भी उन्होंने कांग्रेस के कैंप में अपनी मौजूदगी दिखाई थी और आगे भी वे कांग्रेस के साथ ही खड़े नजर आएंगे. जहां तक पैसों के लेन-देन का सवाल है, तो वे इस बात से नाइत्तेफाकी रखते हैं.

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गहलोत सरकार में भागीदार हैं मानेसर जाने वाले यह नेताः कांग्रेस की कलह के बीच गहलोत और पायलट में तल्खी और भ्रष्टाचार को लेकर जंग देखी जा रही है. गौरतलब है कि इन सब सूरत-ए-हाल के बावजूद पायलट के साथ पार्टी से बगावत करने का इल्जाम झेल चुके कुछ विधायक आज सरकार में मंत्री की भूमिका में हैं. 2020 के प्रकरण से पहले जहां सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा सरकार में मंत्री थे, तो इस मसले के बाद हुए विस्तार के दौरान गहलोत सरकार में पायलट कैंप से मानेसर जाने वाले विधायकों में हेमाराम चौधरी, बृजेन्द्र ओला, मुरारी लाल मीणा, रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह फिलहाल मंत्री पद पर कायम हैं. सियासी नजरिये से देखा जाये, तो बगावत के बाद पायलट कैंप के तीन और नेताओं को सत्ता में भागीदारी के लिए बतौर मंत्री मौका मिला है.

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