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कांग्रेस की महंगाई राहत शिविर पर राजेंद्र राठौड़ का तंज, कहा- जनता से पहले सरकार अपनों से पा लेती राहत तो होता उचित

भाजपा विधायक व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने रविवार को राज्य सरकार के महंगाई राहत शिविर पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि जनता को राहत दिलाने से पहले सरकार अपनों से राहत पा लेती तो अधिक उचित (Rajendra Rathore attack on Gehlot govt) होता.

Rajendra Rathore attack on Gehlot govt
Rajendra Rathore attack on Gehlot govt
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Published : Apr 23, 2023, 8:12 PM IST

Updated : Apr 23, 2023, 11:01 PM IST

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

जयपुर. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राजस्थान की गहलोत सरकार की ओर से लगाए जाने वाले महंगाई राहत शिविरों पर तंज कसा. रविवार को प्रदेश पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राठौड़ कहा कि अब सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी साल में जब चुनाव को महज 6 माह शेष बचे हैं तो महंगाई राहत शिविर के जरिए जनता को साधने की कोशिश कर रही है. लेकिन राज्य की जनता इनकी मंशा को भलीभांति समझ चुकी है.

उन्होंने कहा कि अपने चुनावी घोषणापत्र को उन्होंने कैबिनेट की पहली बैठक में सरकार का अधिकृत दस्तावेज बताया था. उसी जन घोषणापत्र के पेज संख्या 38 पर उन्होंने प्रदेश के लोगों से यह वादा किया था कि वो प्रदेश के अंदर महंगाई नियंत्रण के लिए आवश्यक व प्रभावी कदम उठाएंगे. लेकिन सत्ता में आने के बाद 4 साल 4 महीने तक सरकार को इसकी याद नहीं आई. राठौड़ ने कहा कि इसी जन घोषणापत्र में उन्होंने कहा था कि वो रसोई गैस की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएंगे और पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएंगे. खैर, इस सरकार को अपनों से ही राहत नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ये भला जनता को कैसे राहत देंगे?

पेपर आउट मामले से कलंकित हुई RPSC - वरिष्ठ अध्यापक भर्ती पेपर लीक मामले को लेकर राज्य की गहलोत सरकार पर राठौड़ ने हमला बोला. उन्होंने कहा कि आरपीएससी कलंकित हुई है. आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा पेपर लीक मामले में पकड़े गए हैं. उन्होंने जिस तरह से गिरोह बनाकर आरपीएससी की नौकरियों में लूट की छूट दी है, वो अब जगजाहिर है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल कटारा आरपीएससी सदस्य के लिए नामित मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से ही हुए थे. क्या कारण है कि एक सांख्यिकी अधिकारी जो बीडीओ के पद पर रहते हुए भी विवादों में आए. अचानक उन्हें इस पद पर बैठाया गया. यह वही कारण है कि गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में आरपीएससी के चेयरमैन हबीब खान गौरान थे. उस समय RAS का पेपर लीक हुआ और हबीब खान के खिलाफ केस बना. उन्हें भी नामित अशोक गहलोत ने ही किया था.

इसे भी पढ़ें - बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी पर सचिन पायलट बोले- जांच हो, किसकी सिफारिश पर बने RPSC सदस्य

सर्वे रिपोर्ट में उजागर हुआ भ्रष्टाचार - प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि महंगाई राहत कैंप से पहले अच्छा होता कि सरकार अपने आप को सस्ता करती. आज राजस्थान में सुविधा शुल्क आम जनता से वसूल किया जा रहा है. सरकार की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार फल फूल रहा है. यह एक सर्वे रिपोर्ट बताती है. जिसमें यह कहा गया कि 67 प्रतिशत लोग जिनका सरकार से वास्ता पड़ा, उन्हें रिश्वत देनी पड़ी. दूसरा सर्वे रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स-2022 का था. इसमें यह माना गया कि 78 प्रतिशत लोगों को जिनका सरकार से काम पड़ा, उन्हें रिश्वत देनी पड़ी.

योजनाओं की तिथि बदलने से कम हुई बजट की पवित्रता - राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह बजट की पवित्रता है कि जो घोषणा सरकार ने बजट में की है, वो स्वतः ही एक अप्रैल से लागू हो जाती है. सरकार ने उन बजट घोषणाओं को लागू करने की बजाय उनकी तिथियां बढ़ाई हैं. सरकार की बजट की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए राठौड़ ने कहा कि उन्होंने साल 2022-23 के बजट में घोषणा की थी कि वे प्रदेश की एक करोड़ 33 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन देंगे. अब इस बार बजट में उन्होंने फिर घोषणा की है. लेकिन इसका बजट में कहीं प्रावधान नहीं है. पिछली बार बजट में स्मार्टफोन के लिए ढाई हजार करोड़ का प्रावधान किया था. जबकि अगर एक स्मार्टफोन की कीमत 10000 रुपए भी माने तो भी 13,330 करोड रुपए की दरकार होती है. बिना बजट के अपने खोए हुए जनाधार को ढूंढने का सरकार काम कर रही है. जो योजनाएं 1 अप्रैल से ही प्रारंभ हो जानी चाहिए थी. उनको महंगाई राहत कैंप लगाकर और अपने नाम से मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड देकर मुख्यमंत्री लागू करवाना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें - गहलोत का ड्रीम इलेक्शन फॉर्मूला, महंगाई राहत के रास्ते से निकाला मोदी का तोड़

पंजीयन के लिए बुजुर्ग-विकलांग भी लगेंगे लाइन में - राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वृद्धजनों और विकलांगों की पेंशन में महज 250 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. लेकिन इस इसके लिए उन्हें तपती गर्मी के बीच कतारों में खड़े होकर दुबारा पंजीयन करवाना होगा. पीसीसी चीफ ने एक पत्र जारी किया है कि इन महंगाई राहत शिविरों में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे और प्रभारी के बराबर कुर्सी लगाकर बैठेंगे. यह इन शिविरों का कांग्रेसी करण करने की कोशिश है.

कर्मचारी, अधिकारी और सरपंच कर रहे बहिष्कार - उन्होंने कहा कि महंगाई राहत कैंप और प्रशासन शहरों के संग अभियान में सरकारी कर्मचारी ही सरकार के साथ नहीं है. 50000 मंत्रालय कर्मचारी, 700 तहसीलदार, 1100 नायब तहसीलदार, 4121 गिरदावर, 12000 पटवारी, 11,000 से ज्यादा ग्राम विकास अधिकारी, 6000 सूचना सहायक और 11 हजार से ज्यादा सरपंच इन दिनों सरकारी कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं.

जिन अडानी को कोसते हैं उन पर दरियादिली क्यों - बिजली के लिए कोयला खरीद की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए राजेंद्र राठौड़ बोले- सरकार ने इसी सप्ताह 338000 मेट्रिक टन कोयला 15000 रुपए प्रति मेट्रिक टन की दर से इंडोनेशिया से आयात किया है. सरकार के नियामक आयोग ने कहा कि इससे हर उपभोक्ता पर 40 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार पड़ेगा. बड़ा सवाल यह है कि जिस अडानी के बारे में मुख्यमंत्री आरोप लगाते है. उन्हीं अडानी को पिछले साल महंगी दरों पर कोयला खरीदने का आदेश दिया गया. इसके पीछे कौन सा संस्थागत भ्रष्टाचार है. इसके चलते राजस्थान के हर बिजली उपभोक्ता पर अतिरिक्त भार पड़ा है.

मैं सीएम पद की रेस में ही नहीं - भाजपा विधायक और हाल ही में नेता प्रतिपक्ष बने राजेंद्र राठौड़ ने 21 अप्रैल को अपना जन्मदिन मनाया. लेकिन उनके समर्थकों ने उनके जन्मदिन को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और 15 अप्रैल से 21 अप्रैल तक प्रदेशभर में 400 शिविर लगाकर 69,147 यूनिट रक्तदान किया. इसे सर्वाधिक रक्तदान के तौर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. इसके बाद सियासी गलियारों में एक बार फिर से भाजपा की अंदरूनी राजनीति और सीएम पद की दौड़ को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है. जानकारों का कहना है कि अपने जन्मदिन पर सात दिन तक अलग-अलग जगहों पर शिविर लगवाकर और रिकॉर्ड रक्तदान के जरिए राठौड़ सीएम पद की दौड़ में अपनी दावेदारी मजबूत करने का प्रयास किया है. हालांकि, यह रक्तदान शिविर राठौड़ के समर्थकों की ओर से आयोजित किए गए. जिसका सियासी संदेश यह माना जा रहा है कि वे प्रदेशभर के लोकप्रिय नेता बन गए हैं. वहीं, मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए राठौड़ ने कहा कि वो सीएम पद की रेस में नहीं है. वो तो जनता के सेवक हैं और जनता के लिए काम करते हैं.

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

जयपुर. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राजस्थान की गहलोत सरकार की ओर से लगाए जाने वाले महंगाई राहत शिविरों पर तंज कसा. रविवार को प्रदेश पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राठौड़ कहा कि अब सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी साल में जब चुनाव को महज 6 माह शेष बचे हैं तो महंगाई राहत शिविर के जरिए जनता को साधने की कोशिश कर रही है. लेकिन राज्य की जनता इनकी मंशा को भलीभांति समझ चुकी है.

उन्होंने कहा कि अपने चुनावी घोषणापत्र को उन्होंने कैबिनेट की पहली बैठक में सरकार का अधिकृत दस्तावेज बताया था. उसी जन घोषणापत्र के पेज संख्या 38 पर उन्होंने प्रदेश के लोगों से यह वादा किया था कि वो प्रदेश के अंदर महंगाई नियंत्रण के लिए आवश्यक व प्रभावी कदम उठाएंगे. लेकिन सत्ता में आने के बाद 4 साल 4 महीने तक सरकार को इसकी याद नहीं आई. राठौड़ ने कहा कि इसी जन घोषणापत्र में उन्होंने कहा था कि वो रसोई गैस की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएंगे और पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएंगे. खैर, इस सरकार को अपनों से ही राहत नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ये भला जनता को कैसे राहत देंगे?

पेपर आउट मामले से कलंकित हुई RPSC - वरिष्ठ अध्यापक भर्ती पेपर लीक मामले को लेकर राज्य की गहलोत सरकार पर राठौड़ ने हमला बोला. उन्होंने कहा कि आरपीएससी कलंकित हुई है. आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा पेपर लीक मामले में पकड़े गए हैं. उन्होंने जिस तरह से गिरोह बनाकर आरपीएससी की नौकरियों में लूट की छूट दी है, वो अब जगजाहिर है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल कटारा आरपीएससी सदस्य के लिए नामित मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से ही हुए थे. क्या कारण है कि एक सांख्यिकी अधिकारी जो बीडीओ के पद पर रहते हुए भी विवादों में आए. अचानक उन्हें इस पद पर बैठाया गया. यह वही कारण है कि गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में आरपीएससी के चेयरमैन हबीब खान गौरान थे. उस समय RAS का पेपर लीक हुआ और हबीब खान के खिलाफ केस बना. उन्हें भी नामित अशोक गहलोत ने ही किया था.

इसे भी पढ़ें - बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी पर सचिन पायलट बोले- जांच हो, किसकी सिफारिश पर बने RPSC सदस्य

सर्वे रिपोर्ट में उजागर हुआ भ्रष्टाचार - प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि महंगाई राहत कैंप से पहले अच्छा होता कि सरकार अपने आप को सस्ता करती. आज राजस्थान में सुविधा शुल्क आम जनता से वसूल किया जा रहा है. सरकार की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार फल फूल रहा है. यह एक सर्वे रिपोर्ट बताती है. जिसमें यह कहा गया कि 67 प्रतिशत लोग जिनका सरकार से वास्ता पड़ा, उन्हें रिश्वत देनी पड़ी. दूसरा सर्वे रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स-2022 का था. इसमें यह माना गया कि 78 प्रतिशत लोगों को जिनका सरकार से काम पड़ा, उन्हें रिश्वत देनी पड़ी.

योजनाओं की तिथि बदलने से कम हुई बजट की पवित्रता - राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह बजट की पवित्रता है कि जो घोषणा सरकार ने बजट में की है, वो स्वतः ही एक अप्रैल से लागू हो जाती है. सरकार ने उन बजट घोषणाओं को लागू करने की बजाय उनकी तिथियां बढ़ाई हैं. सरकार की बजट की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए राठौड़ ने कहा कि उन्होंने साल 2022-23 के बजट में घोषणा की थी कि वे प्रदेश की एक करोड़ 33 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन देंगे. अब इस बार बजट में उन्होंने फिर घोषणा की है. लेकिन इसका बजट में कहीं प्रावधान नहीं है. पिछली बार बजट में स्मार्टफोन के लिए ढाई हजार करोड़ का प्रावधान किया था. जबकि अगर एक स्मार्टफोन की कीमत 10000 रुपए भी माने तो भी 13,330 करोड रुपए की दरकार होती है. बिना बजट के अपने खोए हुए जनाधार को ढूंढने का सरकार काम कर रही है. जो योजनाएं 1 अप्रैल से ही प्रारंभ हो जानी चाहिए थी. उनको महंगाई राहत कैंप लगाकर और अपने नाम से मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड देकर मुख्यमंत्री लागू करवाना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें - गहलोत का ड्रीम इलेक्शन फॉर्मूला, महंगाई राहत के रास्ते से निकाला मोदी का तोड़

पंजीयन के लिए बुजुर्ग-विकलांग भी लगेंगे लाइन में - राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वृद्धजनों और विकलांगों की पेंशन में महज 250 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. लेकिन इस इसके लिए उन्हें तपती गर्मी के बीच कतारों में खड़े होकर दुबारा पंजीयन करवाना होगा. पीसीसी चीफ ने एक पत्र जारी किया है कि इन महंगाई राहत शिविरों में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे और प्रभारी के बराबर कुर्सी लगाकर बैठेंगे. यह इन शिविरों का कांग्रेसी करण करने की कोशिश है.

कर्मचारी, अधिकारी और सरपंच कर रहे बहिष्कार - उन्होंने कहा कि महंगाई राहत कैंप और प्रशासन शहरों के संग अभियान में सरकारी कर्मचारी ही सरकार के साथ नहीं है. 50000 मंत्रालय कर्मचारी, 700 तहसीलदार, 1100 नायब तहसीलदार, 4121 गिरदावर, 12000 पटवारी, 11,000 से ज्यादा ग्राम विकास अधिकारी, 6000 सूचना सहायक और 11 हजार से ज्यादा सरपंच इन दिनों सरकारी कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं.

जिन अडानी को कोसते हैं उन पर दरियादिली क्यों - बिजली के लिए कोयला खरीद की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए राजेंद्र राठौड़ बोले- सरकार ने इसी सप्ताह 338000 मेट्रिक टन कोयला 15000 रुपए प्रति मेट्रिक टन की दर से इंडोनेशिया से आयात किया है. सरकार के नियामक आयोग ने कहा कि इससे हर उपभोक्ता पर 40 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार पड़ेगा. बड़ा सवाल यह है कि जिस अडानी के बारे में मुख्यमंत्री आरोप लगाते है. उन्हीं अडानी को पिछले साल महंगी दरों पर कोयला खरीदने का आदेश दिया गया. इसके पीछे कौन सा संस्थागत भ्रष्टाचार है. इसके चलते राजस्थान के हर बिजली उपभोक्ता पर अतिरिक्त भार पड़ा है.

मैं सीएम पद की रेस में ही नहीं - भाजपा विधायक और हाल ही में नेता प्रतिपक्ष बने राजेंद्र राठौड़ ने 21 अप्रैल को अपना जन्मदिन मनाया. लेकिन उनके समर्थकों ने उनके जन्मदिन को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और 15 अप्रैल से 21 अप्रैल तक प्रदेशभर में 400 शिविर लगाकर 69,147 यूनिट रक्तदान किया. इसे सर्वाधिक रक्तदान के तौर पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. इसके बाद सियासी गलियारों में एक बार फिर से भाजपा की अंदरूनी राजनीति और सीएम पद की दौड़ को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है. जानकारों का कहना है कि अपने जन्मदिन पर सात दिन तक अलग-अलग जगहों पर शिविर लगवाकर और रिकॉर्ड रक्तदान के जरिए राठौड़ सीएम पद की दौड़ में अपनी दावेदारी मजबूत करने का प्रयास किया है. हालांकि, यह रक्तदान शिविर राठौड़ के समर्थकों की ओर से आयोजित किए गए. जिसका सियासी संदेश यह माना जा रहा है कि वे प्रदेशभर के लोकप्रिय नेता बन गए हैं. वहीं, मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए राठौड़ ने कहा कि वो सीएम पद की रेस में नहीं है. वो तो जनता के सेवक हैं और जनता के लिए काम करते हैं.

Last Updated : Apr 23, 2023, 11:01 PM IST
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