जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को भाजपा के लूणकरणसर से विधायक सुमित गोदारा ने ब्यूरोक्रेसी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने जैसे संगीन आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सबसे बड़े भ्रष्ट अधिकारियों में से एक अधिकारी को बीकानेर में लगाया गया है. इस दौरान उनकी सभापति राजेंद्र पारीक से बहस भी हुई.
विधायक सुमित गोदारा ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने की बात कही थी. राजस्थान में चीफ सेक्रेटरी भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की बात करतीं हैं, लेकिन टॉप 5 भ्रष्टाचार में पकड़े गए आईएएस ऑफिसर की सूची में एक बीकानेर में 1 साल से संभागीय आयुक्त बना हुआ है. उन्होंने कहा कि जो सबसे भ्रष्ट अधिकारी है वही आकर काम कर रहा है. ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो रंगे हाथ पकड़े गए, वो हमारे यहां बैठे हैं.
सभापति राजेंद्र पारीक के टोकने पर विधायक ने कहा कि आप भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दे रहे हैं. ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो गरीबों के मकान तोड़ रहे हैं, उन्हें संरक्षण मिल रहा है. फिर राजस्थान की जनता कहां जाएगी? अगर हम यहां अपनी बात नहीं रख पाएंगे तो फिर कहां रखेंगे? ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती है?
भाजपा विधायक सुमित गोदारा ने बिजली संकट को लेकर भी सरकार पर तंज कसे. गोदारा ने कहा कि राजस्थान में अधिकारी और नेता मिलकर फीडर के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. पंडित दीनदयाल योजना के तहत पिछले कार्यकाल में ढाणी-ढाणी में बिजली दी गई. अब 4 साल में नई ढाणियां बन गईं और परिवार भी अलग हो गए हैं. वह बिजली के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इस राज में खुश कौन है? किसान खुशहाल नहीं है. खुशहाल है इनवर्टर का व्यापारी. वही मिन्नत करता है कि कांग्रेस की सरकार आए, क्योंकि कांग्रेस सरकार में बिजली नहीं रहती है ऐसे में उसके इनवर्टर खूब बिकते हैं.
राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायक फूल सिंह मीणा ने भी सरकार पर जमकर प्रहार किए. उन्होंने प्रदेश की राजधानी जयपुर में हुई फायरिंग की घटना पर सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि राजस्थान में अपराध लगातार बढ़ रहा है. जयपुर में खुलेआम अपराधी फायरिंग कर रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री खुद गृहमंत्री हैं, अगर उनसे यह काम नहीं हो रहा तो फिर वह किसी और को कुर्सी सौंपे, ताकि कानून व्यवस्था पर ध्यान दिया जा सके.