जयपुर. मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे सरपंचों ने अब सरकार से आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है. राष्ट्रीय सरपंच संघ के बैनर तले सरपंचों ने 24 अप्रैल से लगने वाले महंगाई राहत शिविर का बहिष्कार करने का एलान किया है. राष्ट्रीय सरपंच संघ की ओर से रविवार को जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी गई है. हालांकि, सरपंचों का एक धड़ा 20 अप्रैल से ग्राम पंचायतों की तालाबंदी कर रहा है. अब दूसरे धड़े ने भी सरकार के महत्वाकांक्षी महंगाई राहत शिविर का बहिष्कार करने की घोषणा की है.
राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदेश संयोजक भगीरथ यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर तीन साल से आंदोलन कर रहे हैं. एसएफसी की राशि लंबे समय से बकाया चल रही है. यह राशि जल्द से जल्द खातों में स्थानांतरित की जाए, ताकि ग्राम विकास के जो काम बाधित हो रहे हैं. वह सुचारू से करवाए जा सके. दूसरी प्रमुख मांग 73वें संविधान संशोधन को लागू करने की है. इस संविधान संशोधन में 29 विभाग ग्राम पंचायतों को देने की बात कही गई है. लेकिन वर्तमान में महज पांच विभाग ही दे रखे हैं. वह भी नाममात्र के ही हमारे अधीन हैं.
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इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पंचायत कल्याण कोष और हरियाणा की तर्ज पर सरपंचों को पेंशन देने की मांग भी की जा रही है. ई-टेंडरिंग की व्यवस्था को खत्म कर तीन कोटेशन के जरिए गांवों में विकास कार्य करवाने की भी मांग उठाई गई है. भगीरथ यादव का कहना है कि पीएम आवास योजना का पैसा सरकार दबाकर बैठी है. खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने के नाम पर मजाक किया जा रहा है. नए नाम जोड़े नहीं जा रहे हैं. इसलिए पीएम आवास योजना की राशि जारी करने और खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने की मांग भी प्रमुख है. उनका कहना है कि मनरेगा के तहत केंद्र सरकार से मिले 45 हजार करोड़ रुपए राज्य सरकार ने रोक रखे हैं. जबकि एसएफसी के 26 हजार करोड़ रुपए का भुगतान भी ग्राम पंचायतों को नहीं किया गया है.
मंत्री ने रोका भुगतान, जल्द हो जारी : राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदेशाध्यक्ष संजय नेहरा का कहना है कि चुनिंदा ग्राम पंचायतों को टारगेट कर पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने विभिन्न कार्यों की जांच और भौतिक सत्यापन करवाया. जांच रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ी नहीं मिली, लेकिन अभी भी पंचायतों को भुगतान नहीं किया गया है. इससे विकास कार्य और मूलभूत सुविधाओं से जुड़े काम अटक रहे हैं.