जयपुर. गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के सीता माता को लेकर दिए बयान पर भाजपा हमलावर हो गई है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे लेकर ट्वीट किया, तो राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी कांग्रेस के नेताओं की मानसिकता पर सवाल खड़े किए. वहीं, इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के अध्यक्ष सीपी जोशी तो लोकसभा में मोदी को भगवान बता चुके हैं. गजेंद्र सिंह का कोई जनाधार तो बचा नहीं अब केवल उनका काम ट्वीट करना रह गया है.
रात 8 बजे बाद पार्टियां करते हैं : डोटासरा ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत अहंकार की भाषा बोलते हैं, जिसका जवाब राजस्थान की 13 जिलों की जनता विधानसभा चुनाव में उन्हें देगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आरोप लगाते हुए एक बार फिर दोहराया कि रात 8 बजे बाद नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता पार्टियां करते हैं. यह पार्टियां अक्सर चर्चा का विषय रहती हैं.
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उन्होंने कहा कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में यह बात कही थी और यह विधानसभा के रिकॉर्ड में भी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में कहा था कि राजेंद्र राठौड़ मेरे पड़ोस वाले बंगले में रहते थे और शाम को जब मैं घर में टहलता हूं तो गाने सुनाई देते हैं कि 'मेरी सामने वाली खिड़की में, एक चांद का टुकड़ा रहता है'.
विजय संकल्प का क्या फायदा : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा की सवाई माधोपुर में हुई विजय संकल्प बैठक पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि भाजपा की चुनाव में विजय तो हो नहीं रही तो भाजपा संकल्प किस बात का ले रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को आपस में लड़ने से फुर्सत नहीं है, वह तय नहीं कर पा रहे कि उन्हें किसके साथ जाना है. डोटासरा ने कहा कि भाजपा में 8-10 ग्रुप बने हुए हैं, जिनमें से कुछ वसुंधरा, कुछ राजेंद्र राठौड़, कुछ गजेंद्र सिंह की और आजकल कुछ लोग अर्जुन मेघवाल को भी लेकर चर्चा करते दिखाई देते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपनी सभा में अर्जुन मेघवाल को बोलने का मौका दिया और नितिन गडकरी के साथ ही वसुंधरा राजे को बोलने का मौका नहीं दिया, जो समझ के परे है. उन्होंने कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा कि अमित शाह तो वसुंधरा राजे को अपनी सभा मे बुलवाते हैं और प्रधानमंत्री उनको नकारते हैं. ऐसे में भाजपा में यह आपसी झगड़ा गहरा है और उनको विजय मिलेगी नहीं तो संकल्प का फायदा ही क्या?