जयपुर. राजस्थान चुनाव में 5 महीने से भी कम समय बचा है. इस बीच उम्र को लेकर चल रही अनिश्चितता पर भी पूर्ण विराम लग गया है. गत 6 जुलाई को दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पार्टी की एकजुटता का संदेश दिया. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के टिकट को लेकर भी स्पष्ट किया कि पार्टी केवल 'जिताऊ उम्मीदवार फार्मूला' को अपनाएगी. बैठक में यह साफ कर दिया गया कि जो नेता जिताऊ होगा, भले ही उसकी उम्र ज्यादा हो, लेकिन अगर सर्वे में वह चुनाव जीत रहा होगा तो टिकट उसी को दी जाएगी.
जिताऊ हैं और चुनाव लड़ेंगे : शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने पार्टी के 'जिताऊ को टिकट' के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि चुनावों में यही एकमात्र क्राइटेरिया होना चाहिए. पार्टी ने भी यही निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि वो चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, रोज 20 घंटे काम करते हैं, पार्टी के लिए समर्पित हैं. बीकानेर के साथ ही जैसलमेर, जोधपुर, फलौदी, पोकरण, नागौर, हनुमानगढ़ और गंगानगर जैसी सीटों पर चुनाव लड़ते हुए प्रचार भी करते हैं. इस तरह से मंत्री कल्ला ने ये कह दिया कि वह अपनी सीट पर जिताऊ हैं और चुनाव लड़ेंगे.
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जिताऊ के साथ ही टिकाऊ भी चाहिए : इस फैसले के बाद 70 पार के नेता अब अपनी टिकट को लेकर आश्वस्त हैं, बस उन्हें अपने जिताऊ होने को लेकर पार्टी को आश्वस्त करना है. मंत्री गोविंद मेघवाल ने कहा कि एक उम्र के बाद समस्याएं आती हैं, लेकिन चुनाव में टिकट देने के लिए सबसे पहले कैंडिडेट जिताऊ होना चाहिए. गोविंद मेघवाल ने जिताऊ के साथ ही प्रत्याशी के टिकाऊ यानी वफादार होने को भी जरूरी माना है. उन्होंने कहा कि अगर वफादारी नहीं है तो नेता किसी काम का नहीं. राजनीति में वफादारी सबसे पहली चीज है और उसके बाद आता है जिताऊ होना. अगर चुनाव नहीं जीतेंगे तो सरकार कैसे बनाएंगे. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कहा कि इस बार जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट दिया जाने का निर्णय हो चुका है.
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परिवार को मिलेगा मौका, शर्त जीत की गारंटी : फिलहाल कांग्रेस पार्टी का एक ही टारगेट है, किसी भी तरह राजस्थान में सरकार रिपीट करना. इसके लिए 70 पार के नेता हों या युवा नेता, जो जिताऊ होगा, पार्टी उस पर दांव लगाएगी. हालांकि जो नेता बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य के चलते चुनाव नहीं लड़कर, अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलवाना चाहेंगे, उसके लिए कांग्रेस पार्टी भी सहानुभूति रखेगी. बशर्ते नेताओं के परिजन चुनाव जीतने में सक्षम हों, ताकि नई पीढ़ी आगे आ सके.