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मंत्री-ब्यूरोक्रेसी विवाद : सरकार का मुखिया कमजोर होता है तब 'यथा राजा तथा प्रजा' होती है - पूनिया

मंत्री और ब्यूरोक्रेसी के बीच चल रहे विवाद पर बीजेपी ने भी गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जिस प्रदेश में सरकार का मुखिया कमजोर होता है, तब 'यथा राजा तथा प्रजा' सी हालत होती है. वहीं, मंत्री रमेश मीणा ने भी अपनी सफाई दी है.

Minister Bureaucracy Dispute in Rajasthan
सतीश पूनिया और मंत्री रमेश मीणा
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Published : Nov 22, 2022, 6:21 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी और प्रदेश की गहलोत सरकार के मंत्रियों के बीच आपसी विवाद देखने को मिला है. खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का एससीआर को लेकर विवाद अभी पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ कि पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर जिला कलेक्टर को मीटिंग से बाहर भेजकर नए विवाद को जन्म दे दिया है. रमेश मीणा के इस व्यवहार के बाद में ब्यूरोक्रेसी ने पहली बार मुखर होकर अपनी आवाज उठाई तो वहीं गहलोत सरकार को घेरने के लिए बीजेपी भी मैदान में कूद पड़ी है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इन सब घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि जब सरकार में कमजोर मुख्य मुखिया होता है तो इसी तरह की घटनाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि 'यथा राजा तथा प्रजा' जैसे हालात राजस्थान में पिछले चार साल से हो रहे हैं. वहीं, विवाद बढ़ता देख (Minister Ramesh Meena Furious at Bikaner Collector) मंत्री रमेश मीणा ने भी बीकानेर की घटना पर अपनी सफाई दी है.

किसने क्या कहा, सुनिए...

यथा राजा तथा प्रजा : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि संविधान और लोकतंत्र इस देश की ताकत होती है. शासन चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सम्मिलित होती है. खासतौर से जब शासन की बात करते हैं तो विधायिक और कार्यपालिका इनका सद्भाव उनका संबंध है. यह जब आपस में मिलकर काम करते हैं तब उस प्रदेश की तरक्की होती है. दुर्भाग्य है कि राजस्थान में इस तरह की एक नहीं, बल्कि अनेकों ऐसे उदाहरण हैं. यह तब होता है जब प्रदेश का मुखिया कमजोर होता है. शासन तब ठीक चलता है जब मुखिया इन मामलों को संज्ञान में लें.

पूनिया ने कहा कि इस तरह के एक नहीं, बल्कि अनेकों मामले हुए हैं. ये तो फिर भी टकराव वाली घटना है, लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई घटनाएं हुईं जहां पर अधिकारियों के साथ में हिंसा की घटना हुई है. उसको लेकर भी सरकार की ओर से कोई समाधान नहीं हुआ. सरकार ने कभी किसी भी विवाद का समाधान नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना राजस्थान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. पूनिया ने कहा कि यहां के लोग याद करते हैं मोहनलाल सुखाड़िया, भैरोसिंह शेखावत के शासनकाल को. जब जमीनी नेता ब्यूरोक्रेसी के साथ में तालमेल बिठा के प्रदेश के विकास का काम करते थे.

अच्छे ब्यूरोक्रेट्स की मिसाल दी जाती थी, लेकिन अब वो राजस्थान नहीं रहा जो कि चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका में टकराव होता है तो उसका असर (Satish Poonia Targets Gehlot Government) प्रदेश की जनकल्याणकारी योजनाओं और प्रदेश की जनता के विकास पर दिखता है, लेकिन जब प्रदेश का मुखिया कमजोर होगा तो प्रदेश में कहां से विकास और कहां पर जनहित के काम होंगे.

मंत्री बर्खास्त किया जाएं : उधर रमेश मीणा के राजनीतिक घूर विरोधी रहे राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि दौसा में स्वास्थ्य मंत्री की ओर से सीनियर आरएएस को गेट आउट कहना और अब बीकानेर में पंचायती राज मंत्री ने कलेक्टर को गेट आउट कर ब्यूरोक्रेसी का घोर अपमान किया है. यह लोग भय का वातावरण बना रहे हैं. ऐसे दोनों मंत्रियों को बर्खास्त किया जाए.

पढ़ें : मंत्री रमेश मीणा ने जिला कलेक्टर को संवाद कार्यक्रम से निकाला बाहर, जानिए क्यों...

वीडियो के हुई छेड़छाड़ : उधर पूरे मामले पर पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने भी (Ramesh Meena on Bureaucracy) अपनी सफाई दी है. रमेश मीणा ने कहा कि जो घटना हुई है, उसको तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. जहां पर चर्चा हो रही थी राजीविका की, वहां पर मैंने कलेक्टर को चार-पांच बार इशारा किया कि जो महिलाएं उनसे सवाल पूछ रही हैं उनका जवाब दें. अब अगर हम जो बात कर रहे हैं, जिन योजनाओं की बात कर रहे थे, उससे भी ज्यादा इंपोर्टेंट है जिसको लेकर कलेक्टर बात करें तो हमें उसको लेकर कोई एतराज नहीं है. उनके पास कई काम होते हैं, लेकिन उनसे चार-पांच बार सवाल पूछने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसलिए उन्हें कहा कि आप बाहर चले जाइए.

मीणा ने कहा कि इस तरह के व्यवहार से सरकार को लकेर गलत मैसेज जाता है. वहां की महिलाएं सोचने लगीं कि मंत्री पूछ रहे हैं और कलेक्टर सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं. इसी को लेकर बात थी और उसको काट-छांटकर पेश किया गया है. ऐसी कोई बात नहीं थी, जिसको लेकर आईएएस एसोसिएशन अपना विरोध दर्ज कराए. मीणा ने अपने विरोधियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग जीवनभर इसी तरह का काम किया है. मीणा ने कहा कि राजस्थान कोई चरागाह भूमि नहीं है जो यहां पर कोई भी अपनी मर्जी से आएगा और चारा काट लेगा. यहां पर सरकार जनता के काम करने के लिए आई है और जनता के लिए काम कर रही है. उसके लिए सबको काम करना पड़ेगा.

ये हुई थी घटना : दरअसल, सोमवार सुबह बीकानेर के रविंद्र रंगमंच पर चल रहे कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा सरकार की योजनाओं के बारे में बोल रहे थे. इस दौरान मीणा ने पीछे मुड़कर देखा तो कलेक्टर मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे. मीणा ने कहा कि हम सरकार की योजनाओं पर बात कर रहे हैं. आप हमारी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं. क्या इस सरकार पर ब्यूरोक्रेट्स इतने हावी हो गए हैं. इस पर कलेक्टर उठकर जाने लगे. मंत्री ने भी कह दिया, आप यहां से जाइए. इसके बाद कुछ अन्य लोगों ने कॉल किया और कलेक्टर को वापस बुलाया.

भरतपुर धर्म परिवर्तन की घटना पर भी गहलोत सरकार को घेरा : अजमेर, बारां और जयपुर के बाद अब भरतपुर में भी धर्म परिवर्तन की घटना सामने आई है. भरतपुर में धर्म परिवर्तन और देवी-देवताओं को ना मानने की शपथ की घटनाओं पर बीजेपी ने प्रदेश की गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं और यह तब होता है जब सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती है.

सरकार सख्ती नहीं करती, इसलिए बढ़ रही घटनाएं : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. वो कभी कभार सुनने में आती थीं, लेकिन अभी लगता है बहुत ही सुनियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन की घटनाएं हो रही हैं. पूनिया ने कहा कि धर्म परिवर्तन पर मुख्यमंत्री का नजरिया अलग हो सकता है, लेकिन राजस्थान में धर्मांतरण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.

ये हुई घटना : बता दें कि भरतपुर के कुम्हेर कस्बे में रविवार को संत रविदास सेवा समिति की तरफ से सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया था. समिति की ओर से यह पांचवां आयोजन था. सम्मेलन में 11 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया. इससे पहले सभी का धर्म परिवर्तन कराकर बौद्ध धर्म ग्रहण कराया गया. इसके बाद सभी विवाहित जोड़ों को 22 शपथ दिलाई गई.

22 शपथ हिंदू धर्म का त्याग करके बौद्ध धर्म अपनाने की थी. इस दौरान वहां मौजूद सभी जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं नहीं मानने और उनकी पूजा नहीं करने की शपथ दिलवाई गई. सभी ने शपथ ली कि ईश्वर ने अवतार लिया है, इसलिए ईश्वर में मेरा विश्वास नहीं है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश किसी को नहीं मानेंगे. शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म की शपथ दिलाई. शपथ का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ है और इस वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठ रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी और प्रदेश की गहलोत सरकार के मंत्रियों के बीच आपसी विवाद देखने को मिला है. खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का एससीआर को लेकर विवाद अभी पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ कि पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर जिला कलेक्टर को मीटिंग से बाहर भेजकर नए विवाद को जन्म दे दिया है. रमेश मीणा के इस व्यवहार के बाद में ब्यूरोक्रेसी ने पहली बार मुखर होकर अपनी आवाज उठाई तो वहीं गहलोत सरकार को घेरने के लिए बीजेपी भी मैदान में कूद पड़ी है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इन सब घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि जब सरकार में कमजोर मुख्य मुखिया होता है तो इसी तरह की घटनाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि 'यथा राजा तथा प्रजा' जैसे हालात राजस्थान में पिछले चार साल से हो रहे हैं. वहीं, विवाद बढ़ता देख (Minister Ramesh Meena Furious at Bikaner Collector) मंत्री रमेश मीणा ने भी बीकानेर की घटना पर अपनी सफाई दी है.

किसने क्या कहा, सुनिए...

यथा राजा तथा प्रजा : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि संविधान और लोकतंत्र इस देश की ताकत होती है. शासन चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सम्मिलित होती है. खासतौर से जब शासन की बात करते हैं तो विधायिक और कार्यपालिका इनका सद्भाव उनका संबंध है. यह जब आपस में मिलकर काम करते हैं तब उस प्रदेश की तरक्की होती है. दुर्भाग्य है कि राजस्थान में इस तरह की एक नहीं, बल्कि अनेकों ऐसे उदाहरण हैं. यह तब होता है जब प्रदेश का मुखिया कमजोर होता है. शासन तब ठीक चलता है जब मुखिया इन मामलों को संज्ञान में लें.

पूनिया ने कहा कि इस तरह के एक नहीं, बल्कि अनेकों मामले हुए हैं. ये तो फिर भी टकराव वाली घटना है, लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई घटनाएं हुईं जहां पर अधिकारियों के साथ में हिंसा की घटना हुई है. उसको लेकर भी सरकार की ओर से कोई समाधान नहीं हुआ. सरकार ने कभी किसी भी विवाद का समाधान नहीं निकाला. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना राजस्थान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. पूनिया ने कहा कि यहां के लोग याद करते हैं मोहनलाल सुखाड़िया, भैरोसिंह शेखावत के शासनकाल को. जब जमीनी नेता ब्यूरोक्रेसी के साथ में तालमेल बिठा के प्रदेश के विकास का काम करते थे.

अच्छे ब्यूरोक्रेट्स की मिसाल दी जाती थी, लेकिन अब वो राजस्थान नहीं रहा जो कि चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका में टकराव होता है तो उसका असर (Satish Poonia Targets Gehlot Government) प्रदेश की जनकल्याणकारी योजनाओं और प्रदेश की जनता के विकास पर दिखता है, लेकिन जब प्रदेश का मुखिया कमजोर होगा तो प्रदेश में कहां से विकास और कहां पर जनहित के काम होंगे.

मंत्री बर्खास्त किया जाएं : उधर रमेश मीणा के राजनीतिक घूर विरोधी रहे राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि दौसा में स्वास्थ्य मंत्री की ओर से सीनियर आरएएस को गेट आउट कहना और अब बीकानेर में पंचायती राज मंत्री ने कलेक्टर को गेट आउट कर ब्यूरोक्रेसी का घोर अपमान किया है. यह लोग भय का वातावरण बना रहे हैं. ऐसे दोनों मंत्रियों को बर्खास्त किया जाए.

पढ़ें : मंत्री रमेश मीणा ने जिला कलेक्टर को संवाद कार्यक्रम से निकाला बाहर, जानिए क्यों...

वीडियो के हुई छेड़छाड़ : उधर पूरे मामले पर पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने भी (Ramesh Meena on Bureaucracy) अपनी सफाई दी है. रमेश मीणा ने कहा कि जो घटना हुई है, उसको तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. जहां पर चर्चा हो रही थी राजीविका की, वहां पर मैंने कलेक्टर को चार-पांच बार इशारा किया कि जो महिलाएं उनसे सवाल पूछ रही हैं उनका जवाब दें. अब अगर हम जो बात कर रहे हैं, जिन योजनाओं की बात कर रहे थे, उससे भी ज्यादा इंपोर्टेंट है जिसको लेकर कलेक्टर बात करें तो हमें उसको लेकर कोई एतराज नहीं है. उनके पास कई काम होते हैं, लेकिन उनसे चार-पांच बार सवाल पूछने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसलिए उन्हें कहा कि आप बाहर चले जाइए.

मीणा ने कहा कि इस तरह के व्यवहार से सरकार को लकेर गलत मैसेज जाता है. वहां की महिलाएं सोचने लगीं कि मंत्री पूछ रहे हैं और कलेक्टर सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं. इसी को लेकर बात थी और उसको काट-छांटकर पेश किया गया है. ऐसी कोई बात नहीं थी, जिसको लेकर आईएएस एसोसिएशन अपना विरोध दर्ज कराए. मीणा ने अपने विरोधियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग जीवनभर इसी तरह का काम किया है. मीणा ने कहा कि राजस्थान कोई चरागाह भूमि नहीं है जो यहां पर कोई भी अपनी मर्जी से आएगा और चारा काट लेगा. यहां पर सरकार जनता के काम करने के लिए आई है और जनता के लिए काम कर रही है. उसके लिए सबको काम करना पड़ेगा.

ये हुई थी घटना : दरअसल, सोमवार सुबह बीकानेर के रविंद्र रंगमंच पर चल रहे कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा सरकार की योजनाओं के बारे में बोल रहे थे. इस दौरान मीणा ने पीछे मुड़कर देखा तो कलेक्टर मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे. मीणा ने कहा कि हम सरकार की योजनाओं पर बात कर रहे हैं. आप हमारी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं. क्या इस सरकार पर ब्यूरोक्रेट्स इतने हावी हो गए हैं. इस पर कलेक्टर उठकर जाने लगे. मंत्री ने भी कह दिया, आप यहां से जाइए. इसके बाद कुछ अन्य लोगों ने कॉल किया और कलेक्टर को वापस बुलाया.

भरतपुर धर्म परिवर्तन की घटना पर भी गहलोत सरकार को घेरा : अजमेर, बारां और जयपुर के बाद अब भरतपुर में भी धर्म परिवर्तन की घटना सामने आई है. भरतपुर में धर्म परिवर्तन और देवी-देवताओं को ना मानने की शपथ की घटनाओं पर बीजेपी ने प्रदेश की गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं और यह तब होता है जब सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती है.

सरकार सख्ती नहीं करती, इसलिए बढ़ रही घटनाएं : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. वो कभी कभार सुनने में आती थीं, लेकिन अभी लगता है बहुत ही सुनियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन की घटनाएं हो रही हैं. पूनिया ने कहा कि धर्म परिवर्तन पर मुख्यमंत्री का नजरिया अलग हो सकता है, लेकिन राजस्थान में धर्मांतरण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.

ये हुई घटना : बता दें कि भरतपुर के कुम्हेर कस्बे में रविवार को संत रविदास सेवा समिति की तरफ से सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया था. समिति की ओर से यह पांचवां आयोजन था. सम्मेलन में 11 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया. इससे पहले सभी का धर्म परिवर्तन कराकर बौद्ध धर्म ग्रहण कराया गया. इसके बाद सभी विवाहित जोड़ों को 22 शपथ दिलाई गई.

22 शपथ हिंदू धर्म का त्याग करके बौद्ध धर्म अपनाने की थी. इस दौरान वहां मौजूद सभी जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं नहीं मानने और उनकी पूजा नहीं करने की शपथ दिलवाई गई. सभी ने शपथ ली कि ईश्वर ने अवतार लिया है, इसलिए ईश्वर में मेरा विश्वास नहीं है. ब्रह्मा, विष्णु और महेश किसी को नहीं मानेंगे. शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म की शपथ दिलाई. शपथ का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ है और इस वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठ रहे हैं.

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