जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आईपीएल की तर्ज पर हो ही राजस्थान प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी टेंडर प्रक्रिया को लेकर आरसीए से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने टेंडर प्रक्रिया को याचिका में होने वाले फैसले के अधीन रखा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश मैसर्स आर्नील टेक्नोक्राफ्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता एसएस होरा और अधिवक्ता मोहित टाटिया ने अदालत को बताया कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से आईपीएल की तर्ज पर प्रीमियर लीग का आयोजन किया जा रहा है. इसके लिए 6 जिलों की फ्रेंचाइजी के देने के लिए टेंडर मांगे गए थे. इसमें याचिकाकर्ता फर्म ने भी आवेदन किया. याचिका में कहा गया कि टेंडर प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई. वहीं याचिकाकर्ता फर्म को टेक्नीकल बिड में ही बाहर कर दिया गया.
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टेक्निकल बिड निरस्त करने का नहीं बताया कारण : याचिका में बताया गया कि उसे टेक्निकल बिड से बाहर नहीं किया जाता तो वह फाइनेंशियल बिड में शामिल होता, जिसमें याचिकाकर्ता ने जो राशि तय की थी, उस राशि से कम कीमत पर जोधपुर, उदयपुर और भीलवाड़ा जिलों की फ्रेंचाइजी दूसरे लोगों को दी गई. याचिकाकर्ता ने टेक्निकल बिड निरस्त करने का कारण पूछा, लेकिन आयोजकों ने अब तक उसका कारण नहीं बताया. याचिका में आरोप लगाया गया कि टेंडर प्रक्रिया में मनमानी बरती गई और इसमें पारदर्शिता का भी अभाव था. ऐसे में टेंडर प्रक्रिया को निरस्त किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरसीए से जवाब तलब किया है.
आईपीएल की तर्ज पर आरपीएल : बता दें कि आरसीए की ओर से प्रदेश में आरपीएल का आयोजन किया जा रहा है. फिलहाल छह जिलों की टीमों को इसमें शामिल किया गया है, जिसमें चार कैटेगरी से खिलाड़ियों को नीलामी के जरिए शामिल किया जाएगा. वहीं, एक फ्रेंचाइजी को नीलामी में अधिकतम 60 लाख रुपए खर्च करने की सीमा तय की गई है.