जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडरों की शिकायतों के निस्तारण और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए बने कानून की पालना के लिए सभी जिलों में अलग से शिकायत निवारण तंत्र फोरम स्थापित करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने मुख्य सचिव को कहा कि इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को दिशा-निर्देश जारी कर आगामी 4 सितंबर तक अदालत में पालना रिपोर्ट पेश की जाए. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश चिंदरपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 2019 के कलेक्टर के समक्ष आवेदन करें और कलेक्टर मामले की जांच कर उसे दो माह में प्रमाणपत्र जारी करें. वहीं, इस प्रमाणपत्र को पेश करने पर विभाग उसके सेवा रिकॉर्ड में नाम और लिंग में संशोधन करे.
अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि याचिकाकर्ता सर्जरी के बाद पुरुष बन गया है और उसके दो संतान भी हैं. अब उसके लिए समाज में अपनी पहचान स्पष्ट करना मुश्किल हो रहा है. यदि उसके सेवा रिकॉर्ड में संशोधन नहीं किया गया तो उसकी पत्नी व बच्चों के लिए सेवा लाभ प्राप्त करना मुश्किल होगा. अदालत ने कहा कि 2019 के एक्ट में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को न केवल ट्रांसजेंडर के रूप में मान्यता प्राप्त करने का अधिकार है, बल्कि वह स्वयं अपने लिंग पहचान का भी अधिकार रखता है. प्रकरण में उसने पुरुष का विकल्प चुनकर सर्जरी कराई है. ऐसे में वह अपने सेवा रिकॉर्ड में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का हकदार है.
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याचिका में कहा गया कि उसका जन्म फीमेल में डर के साथ हुआ था. पूरी शिक्षा लेने के बाद वह साल 2013 में महिला वर्ग में पीटीआई बना. ऐसे में उसके सेवा रिकॉर्ड में भी महिला वर्ग ही अंकित है. वहीं, बाद में वह जेंडर आई डीटीडी डिसऑर्डर का शिकार हो गया और उसने 2014 से 2017 के बीच सर्जरी कराकर महिला से पुरुष बन गया. हार्मोन थेरेपी लेने के बाद डॉक्टर ने उसे प्रमाणपत्र भी दे दिया है. इसके बाद उसने अपना नाम भी चिंदरपाल कौर से बदलकर चिंदरपाल सिंह कर लिया.
उसने सितंबर 2018 में सेवा रिकॉर्ड में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था, लेकिन रिकॉर्ड में अब तक संशोधन नहीं हुआ है, इसलिए राज्य सरकार को इस संबंध में निर्देश दिए जाएं. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उसका चयन महिला वर्ग में हुआ था और उसकी ओर से दी गई जानकारी के आधार पर ही सेवा रिकॉर्ड तैयार हुआ है. अब सिविल कोर्ट के घोषणापत्र के बिना सेवा रिकॉर्ड में संशोधन नहीं हो सकता है.