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Rajasthan High Court: सरोगेसी से बच्चा लेने वाली मां भी है मातृत्व अवकाश की हकदार

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरोगेसी से मां बनने पर मातृत्व अवकाश से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश देने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court,  mother who takes the child through surrogacy
सरोगेसी से बच्चा लेने वाली मां भी है मातृत्व अवकाश की हकदार.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2023, 9:36 PM IST

Updated : Nov 8, 2023, 11:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार प्राकृतिक मां, जैविक मां और सरोगेसी से बनी मां के बीच अंतर नहीं कर सकती है. इनके बीच अंतर करना मां के मातृत्व का अपमान करना है. किसी मां के साथ सिर्फ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि उसका बच्चा सरोगेसी के जरिए हुआ है और न ही ऐसे बच्चे को दूसरे की दया पर छोड़ा जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के 23 जून 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत सरोगेसी से बच्चा लेने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था.

अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश दिया जाए. अदालत ने कहा कि सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का यह उचित समय है. ऐसे में आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय व प्रमुख विधि सचिव को उचित कार्रवाई के लिए भेजी जाती है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश व्याख्याता चंदा केसवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा-क्यों ना केसरी सिंह को मिली आरपीएससी सदस्य की नियुक्ति कर दी जाए रद्द?

यह कहा अदालत नेः अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मातृत्व अवकाश प्रदान करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है. महिला बच्चे को जन्म देकर, गोद लेकर मां बन सकती है. वहीं, अब विज्ञान के विकास के साथ ही सरोगेसी भी एक विकल्प है. अदालत ने कहा कि मां वह है, जो बाकी सभी का स्थान ले सकती है, लेकिन मां की जगह कोई अन्य नहीं ले सकता. याचिका में कहा गया कि उसका वर्ष 2007 में विवाह हुआ था. इसके बाद सरोगेसी के जरिए 31 जनवरी 2020 को उसके जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया.

पढ़ेंः चिकित्सा अधिकारी भर्ती 2022: हम नहीं दे रहे निर्देश, मुख्यमंत्री के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए करें विचार-राजस्थान हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता ने 6 मार्च 2020 को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि राजस्थान सेवा नियम के तहत सरोगेसी से मां बनने पर अवकाश का प्रावधान नहीं है. याचिका में कहा गया कि कई दशकों पहले इस संबंध में नियम बनाते समय पति-पत्नी ऐसी प्रक्रिया नहीं अपनाते थे, लेकिन विज्ञान के विकास के बाद अब सरोगेसी भी वैकल्पिक तरीका है. ऐसे में इस पद्धति से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस संबंध में नियम नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता को अवकाश नहीं दिया गया था और ऐसे नियम के अभाव में याचिकाकर्ता को छूट नहीं दी जा सकती है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश का लाभ देते हुए आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय को भेजी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार प्राकृतिक मां, जैविक मां और सरोगेसी से बनी मां के बीच अंतर नहीं कर सकती है. इनके बीच अंतर करना मां के मातृत्व का अपमान करना है. किसी मां के साथ सिर्फ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि उसका बच्चा सरोगेसी के जरिए हुआ है और न ही ऐसे बच्चे को दूसरे की दया पर छोड़ा जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के 23 जून 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत सरोगेसी से बच्चा लेने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था.

अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश दिया जाए. अदालत ने कहा कि सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का यह उचित समय है. ऐसे में आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय व प्रमुख विधि सचिव को उचित कार्रवाई के लिए भेजी जाती है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश व्याख्याता चंदा केसवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

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यह कहा अदालत नेः अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मातृत्व अवकाश प्रदान करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है. महिला बच्चे को जन्म देकर, गोद लेकर मां बन सकती है. वहीं, अब विज्ञान के विकास के साथ ही सरोगेसी भी एक विकल्प है. अदालत ने कहा कि मां वह है, जो बाकी सभी का स्थान ले सकती है, लेकिन मां की जगह कोई अन्य नहीं ले सकता. याचिका में कहा गया कि उसका वर्ष 2007 में विवाह हुआ था. इसके बाद सरोगेसी के जरिए 31 जनवरी 2020 को उसके जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया.

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याचिकाकर्ता ने 6 मार्च 2020 को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि राजस्थान सेवा नियम के तहत सरोगेसी से मां बनने पर अवकाश का प्रावधान नहीं है. याचिका में कहा गया कि कई दशकों पहले इस संबंध में नियम बनाते समय पति-पत्नी ऐसी प्रक्रिया नहीं अपनाते थे, लेकिन विज्ञान के विकास के बाद अब सरोगेसी भी वैकल्पिक तरीका है. ऐसे में इस पद्धति से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस संबंध में नियम नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता को अवकाश नहीं दिया गया था और ऐसे नियम के अभाव में याचिकाकर्ता को छूट नहीं दी जा सकती है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश का लाभ देते हुए आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय को भेजी है.

Last Updated : Nov 8, 2023, 11:39 PM IST
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