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भर्तियां विवादित प्रश्न-उत्तरों में अटक जाती हैं, ऐसे RPSC को चलाने का क्या औचित्य : Rajasthan High Court

राजस्थान में भर्तियों को लेकर हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि भर्तियां विवादित प्रश्न-उत्तरों में अटक जाती हैं तो ऐसे आरपीएससी को चलाने का क्या औचित्य है. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
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Published : Mar 22, 2023, 8:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 के विवादित प्रश्नों से जुड़े मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आरपीएससी के कैसे विशेषज्ञ हैं, जिन्हें पता नहीं कि वे क्या ओपिनियन दे रहे हैं. इससे तो बेरोजगार युवाओं को परेशान किया जा रहा है. पहले तो भर्तियां होती नहीं हैं और होती हैं तो वे विवादित प्रश्न-उत्तरों में अटक जाती हैं. ऐसे में आरपीएससी चलाने का औचित्य क्या रह जाता है.

इसके साथ ही अदालत ने एएजी एसएस राघव से विषय वार बताने को कहा है कि भर्ती में कितने पद थे और कितने पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं. वहीं, आरपीएससी से पूछा है कि विशेषज्ञ कमेटियों के एक्सपर्ट की योग्यता व उनका ब्योरा किस कानून में गोपनीय रखा जाता है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश हेमराज रोदिया व अन्य की याचिकाओं पर दिए. इसके साथ ही अदालत ने 29 मार्च को आरपीएससी के अधिकारी को पेश होने को कहा है.

पढ़ें : Rajasthan High Court : झूठे तथ्य पेश कर चुनाव लड़ने पर मांगा जवाब...

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने कहा कि विषय विशेषज्ञों से ही प्रश्न-उत्तरों की जांच करवाई जानी चाहिए, लेकिन आरपीएससी कभी यह नहीं बताता कि उन्होंने किन एक्सपर्ट से मामले की जांच कराई है. इसलिए मामले की एक्सपर्ट कमेटियों के विशेषज्ञों की जानकारी भी बतानी चाहिए. भूगोल, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, राजनीति विज्ञान, हिंदी, इतिहास व चित्रकला विषय की इस भर्ती में आयोग को एक्सपर्ट कमेटी से विवादित प्रश्नों की जांच करवानी थी, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी उत्तर कुंजी में बदलाव नहीं किया गया. वहीं, आयोग की ओर से अधिवक्ता एमएफ बेग ने बताया कि आरपीएससी सचिव के ट्रेनिंग प्रोग्राम में मसूरी जाने के कारण वे पेश नहीं हुए हैं. इसके अलावा मामले का पुन: परीक्षण कराया जा रहा है. इस पर अदालत ने आरपीएससी और राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 के विवादित प्रश्नों से जुड़े मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आरपीएससी के कैसे विशेषज्ञ हैं, जिन्हें पता नहीं कि वे क्या ओपिनियन दे रहे हैं. इससे तो बेरोजगार युवाओं को परेशान किया जा रहा है. पहले तो भर्तियां होती नहीं हैं और होती हैं तो वे विवादित प्रश्न-उत्तरों में अटक जाती हैं. ऐसे में आरपीएससी चलाने का औचित्य क्या रह जाता है.

इसके साथ ही अदालत ने एएजी एसएस राघव से विषय वार बताने को कहा है कि भर्ती में कितने पद थे और कितने पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं. वहीं, आरपीएससी से पूछा है कि विशेषज्ञ कमेटियों के एक्सपर्ट की योग्यता व उनका ब्योरा किस कानून में गोपनीय रखा जाता है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश हेमराज रोदिया व अन्य की याचिकाओं पर दिए. इसके साथ ही अदालत ने 29 मार्च को आरपीएससी के अधिकारी को पेश होने को कहा है.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने कहा कि विषय विशेषज्ञों से ही प्रश्न-उत्तरों की जांच करवाई जानी चाहिए, लेकिन आरपीएससी कभी यह नहीं बताता कि उन्होंने किन एक्सपर्ट से मामले की जांच कराई है. इसलिए मामले की एक्सपर्ट कमेटियों के विशेषज्ञों की जानकारी भी बतानी चाहिए. भूगोल, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, राजनीति विज्ञान, हिंदी, इतिहास व चित्रकला विषय की इस भर्ती में आयोग को एक्सपर्ट कमेटी से विवादित प्रश्नों की जांच करवानी थी, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी उत्तर कुंजी में बदलाव नहीं किया गया. वहीं, आयोग की ओर से अधिवक्ता एमएफ बेग ने बताया कि आरपीएससी सचिव के ट्रेनिंग प्रोग्राम में मसूरी जाने के कारण वे पेश नहीं हुए हैं. इसके अलावा मामले का पुन: परीक्षण कराया जा रहा है. इस पर अदालत ने आरपीएससी और राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

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