जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष शिक्षक भर्ती-2022 में दिव्यांग अभ्यर्थियों को तय अनुपात में आरक्षण नहीं देने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक सहित राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड से पूछा है कि कानूनी प्रावधान होने के बावजूद दिव्यांगों को पदों से वंचित कैसे रखा जा रहा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश चन्द्रमणि और अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने सामान्य और विशेष शिक्षा के अध्यापकों के 21 हजार पदों के लिए 16 फरवरी, 2022 को भर्ती विज्ञापन जारी किया था. इसमें विशेष शिक्षक लेवल वन के 491 पदों के लिए भी आवेदन मांगे गए. याचिका में कहा गया कि राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2018 के तहत दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को भर्ती में चार फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाता है. ऐसे में इस भर्ती में 20 पद दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रखे जाने चाहिए थे. इसके बावजूद कर्मचारी चयन बोर्ड ने सिर्फ 5 पद ही दिव्यांगों के लिए आरक्षित रखे.
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याचिका में कहा गया कि दिव्यांगों के लिए 4 फीसदी पद आरक्षित रखने का विधिक प्रावधान होने के बावजूद बोर्ड ने कानून की उपेक्षा कर तय पदों के मुकाबले केवल एक चौथाई पद ही दिव्यांगों के लिए आरक्षित रखे. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2018 के तहत दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ दिया है. इसके तहत हर सरकारी भर्ती में दिव्यांगों के लिए 4 फीसदी पद आरक्षित रखने का प्रावधान है. पूर्व में दिव्यांगों के लिए 3 फीसदी पद सुरक्षित रखे जाते थे.