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Rajasthan High Court: राज्य सरकार के जातिगत सर्वे के खिलाफ दायर पीआईएल निस्तारित

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में जातिगत सर्वे कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिका में उठाए गए बिंदु सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में हाईकोर्ट में सुनवाई का अर्थ नहीं है.

Rajasthan High Court
जातिगत सर्वे के खिलाफ दायर पीआईएल निस्तारित
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 30, 2023, 10:01 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में जातिगत सर्वे कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में उठाए गए बिंदु सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं ऐसे में हाईकोर्ट में फिलहाल इस पीआईएल पर सुनवाई करने का कोई अर्थ नहीं है.

जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने पिछले दिनों ही प्रदेश में जातिगत सर्वे कराए जाने का फैसला लिया है, लेकिन राज्य सरकार इस फैसले के आधार पर सर्वे नहीं कर रही, बल्कि जातिगत जनगणना करवाना चाह रही है. जबकि इसका अधिकार केन्द्र सरकार को है और ये संविधान की मूल आत्मा के भी खिलाफ है. याचिका में आरोप लगाया गया कि वर्तमान सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में जाति विशेष से चुनावी फायदा लेने के लिए जातिगत सर्वे करा रही है, इसलिए सर्वे के आदेश पर रोक लगाई जाए. जातिगत सर्वे के बाद इसके परिणाम जारी होने पर समाज के बीच में मतभेद और दूरियां पैदा होंगी.

पढ़ें:Rajasthan High Court : जातिगत सर्वे के खिलाफ जनहित याचिका पेश

ये है मामला: बता दें कि कैबिनेट ने गत दिनों इस संबंध में निर्णय लेकर प्रदेश में जातिगत सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया था. इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया था. इसके तहत आयोजना विभाग को नोडल एजेन्सी के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. आयोजना विभाग सर्वे के लिए प्रश्नावली तैयार करेगा और उसके आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों के जरिए जातिगत सर्वे का काम पूरा किया जाएगा. सर्वे में मिली सूचनाओं को डीओआईटी की ओर से ऑनलाइन फीड किया जाएगा. इसके लिए अलग से विशेष सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप भी बनाया जाएगा.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में जातिगत सर्वे कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में उठाए गए बिंदु सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं ऐसे में हाईकोर्ट में फिलहाल इस पीआईएल पर सुनवाई करने का कोई अर्थ नहीं है.

जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने पिछले दिनों ही प्रदेश में जातिगत सर्वे कराए जाने का फैसला लिया है, लेकिन राज्य सरकार इस फैसले के आधार पर सर्वे नहीं कर रही, बल्कि जातिगत जनगणना करवाना चाह रही है. जबकि इसका अधिकार केन्द्र सरकार को है और ये संविधान की मूल आत्मा के भी खिलाफ है. याचिका में आरोप लगाया गया कि वर्तमान सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में जाति विशेष से चुनावी फायदा लेने के लिए जातिगत सर्वे करा रही है, इसलिए सर्वे के आदेश पर रोक लगाई जाए. जातिगत सर्वे के बाद इसके परिणाम जारी होने पर समाज के बीच में मतभेद और दूरियां पैदा होंगी.

पढ़ें:Rajasthan High Court : जातिगत सर्वे के खिलाफ जनहित याचिका पेश

ये है मामला: बता दें कि कैबिनेट ने गत दिनों इस संबंध में निर्णय लेकर प्रदेश में जातिगत सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया था. इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया था. इसके तहत आयोजना विभाग को नोडल एजेन्सी के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. आयोजना विभाग सर्वे के लिए प्रश्नावली तैयार करेगा और उसके आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों के जरिए जातिगत सर्वे का काम पूरा किया जाएगा. सर्वे में मिली सूचनाओं को डीओआईटी की ओर से ऑनलाइन फीड किया जाएगा. इसके लिए अलग से विशेष सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप भी बनाया जाएगा.

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