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क्यों न गैस बॉटलिंग प्लांट को शहर से बाहर भेजा जाए- हाईकोर्ट

High Court has sought answers राजस्थान हाईकोर्ट ने घनी आबादी के बीच स्थित घरेलू गैस बॉटलिंग प्लांट को शहर से बाहर नहीं भेजने पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court,  High Court has sought answers
घनी आबादी के बीच स्थित घरेलू गैस बॉटलिंग प्लांट .
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 11, 2023, 9:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीतापुरा स्थित आईओसीएल के एलपीजी बॉटलिंग प्लांट सहित प्रदेश के अन्य इलाकों में घनी आबादी के बीच स्थित घरेलू गैस बॉटलिंग प्लांट व सप्लाई गोदामों को शहर से बाहर भेजने पर कार्रवाई नहीं करने पर केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब देने के लिए कहा है. खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, केंद्रीय ऑयल सेफ्टी निदेशालय , गेल इंडिया, आईओसीओ व जिला कलेक्टर सहित अन्य से 21 जनवरी तक यह बताने के लिए कहा है कि साल 2009 के आईओसीएल डिपो अग्निकांड के बावजूद भी इन प्लांट को शहर से बाहर क्यों नहीं भेजा?. जस्टिस अरुण भंसाली व आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश टांक की पीआईएल पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने बताया कि साल 2009 में आईओसीएल के फ्यूल ऑयल स्टोरेज प्लांट में लगी आग में 12 लोगों की मौत हुई थी. वहीं इन प्लांट के तीन किमी के दायरे में आने वाली फैक्ट्री व मकान-दुकान नष्ट हो गए थे. डिपो की आग एक हफ्ते धधकती रही और प्रशासन देखता रहा. राज्य सरकार की जांच कमेटी ने 2011 में रिपोर्ट पेश कर कहा था की आईओसीएल के सीतापुरा स्थित घरेलू गैस के बॉटलिंग प्लांट को जगतपुरा व सीतापुरा में आबादी विस्तार को देखते हुए शहर से बाहर भेजना चाहिए, लेकिन सरकार की जांच रिपोर्ट के बाद भी इन बॉटलिंग प्लांट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

पढ़ेंः केंद्रीय मंत्री मेघवाल के खिलाफ दर्ज FIR निरस्त करने से इनकार, आंशिक राहत देते हुए मामला एसीबी कोर्ट बीकानेर के पास पुन: सुनवाई के लिए भेजा

पीआईएल में कहा कि 1996 में यह बॉटलिंग प्लांट जब यहां बना था तब आबादी नहीं थी और इसका आवंटन जयपुर से 30 किमी की दूरी के आधार पर हुआ था. इस प्लांट में जामनगर लूणी गैस पाइप लाइन से एलपीजी उच्च दबाव पर सप्लाई होती है, जो रीको इंस्टीट्यूशनल एरिया के नीचे से आती है और इसके ऊपर ही महात्मा गांधी अस्पताल, पूर्णिमा कॉलेज, राजस्थान फार्मेसी कौंसिल सहित अनेकों शैक्षणिक संस्थान बन गए हैं. इसलिए जयपुर सहित प्रदेशभर में आबादी इलाके में चल रहे गैस बॉटलिंग प्लांट को शहर से बाहर भेजा जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीतापुरा स्थित आईओसीएल के एलपीजी बॉटलिंग प्लांट सहित प्रदेश के अन्य इलाकों में घनी आबादी के बीच स्थित घरेलू गैस बॉटलिंग प्लांट व सप्लाई गोदामों को शहर से बाहर भेजने पर कार्रवाई नहीं करने पर केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब देने के लिए कहा है. खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, केंद्रीय ऑयल सेफ्टी निदेशालय , गेल इंडिया, आईओसीओ व जिला कलेक्टर सहित अन्य से 21 जनवरी तक यह बताने के लिए कहा है कि साल 2009 के आईओसीएल डिपो अग्निकांड के बावजूद भी इन प्लांट को शहर से बाहर क्यों नहीं भेजा?. जस्टिस अरुण भंसाली व आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश टांक की पीआईएल पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने बताया कि साल 2009 में आईओसीएल के फ्यूल ऑयल स्टोरेज प्लांट में लगी आग में 12 लोगों की मौत हुई थी. वहीं इन प्लांट के तीन किमी के दायरे में आने वाली फैक्ट्री व मकान-दुकान नष्ट हो गए थे. डिपो की आग एक हफ्ते धधकती रही और प्रशासन देखता रहा. राज्य सरकार की जांच कमेटी ने 2011 में रिपोर्ट पेश कर कहा था की आईओसीएल के सीतापुरा स्थित घरेलू गैस के बॉटलिंग प्लांट को जगतपुरा व सीतापुरा में आबादी विस्तार को देखते हुए शहर से बाहर भेजना चाहिए, लेकिन सरकार की जांच रिपोर्ट के बाद भी इन बॉटलिंग प्लांट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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पीआईएल में कहा कि 1996 में यह बॉटलिंग प्लांट जब यहां बना था तब आबादी नहीं थी और इसका आवंटन जयपुर से 30 किमी की दूरी के आधार पर हुआ था. इस प्लांट में जामनगर लूणी गैस पाइप लाइन से एलपीजी उच्च दबाव पर सप्लाई होती है, जो रीको इंस्टीट्यूशनल एरिया के नीचे से आती है और इसके ऊपर ही महात्मा गांधी अस्पताल, पूर्णिमा कॉलेज, राजस्थान फार्मेसी कौंसिल सहित अनेकों शैक्षणिक संस्थान बन गए हैं. इसलिए जयपुर सहित प्रदेशभर में आबादी इलाके में चल रहे गैस बॉटलिंग प्लांट को शहर से बाहर भेजा जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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