जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्नातक के साथ विशेष शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा रखने वालों को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर बनाए रखने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने मामले में शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और धौलपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश प्रशांत कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को तृतीय श्रेणी विशेष शिक्षक भर्ती निकाली. भर्ती विज्ञापन में शर्त रखी गई कि अभ्यर्थी के पास विशेष शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा हो या वह विशेष शिक्षा में बीएड पास हो. याचिकाकर्ता विशेष शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा रखते हैं और वह एनसीईटी व भारतीय पुनर्वास परिषद के मापदंडों के अनुसार सभी पात्रता रखते हैं.
उन्हें मेरिट में आने के बाद चयनित कर धौलपुर जिले में नियुक्ति भी मिल गई. याचिका में कहा गया कि शिक्षा विभाग ने गत 28 दिसंबर को विशेष शिक्षा में बीएड नहीं होने का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटाने के संबंध में आदेश जारी कर दिया. इसके बाद धौलपुर डीईओ ने गत तीन जनवरी को उन्हें हटाने का नोटिस दे दिया. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि समान पात्रता रखने वाले अन्य अभ्यर्थियों को पूर्व में नियुक्ति दी जा चुकी है. इसके अलावा अन्य भर्तियों में भी याचिकाकर्ताओं को पात्र माना गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं को सेवा में बनाए रखने के आदेश दिए हैं.