जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा है कि जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए करीब 900 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जांच एजेंसी ने अब तक क्या जांच की है?. अदालत ने केंद्र के एएसजी और राज्य सरकार के अधिवक्ता को इस संबध में दो सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि श्रीगणपति ट्यूबवेल और श्रीश्याम कृपा ट्यूबवेल कंपनी ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फर्जी पूर्णता प्रमाण पत्र पेश कर जल जीवन मिशन में करीब 900 करोड़ रुपए के टेंडर का भुगतान ले लिया. वहीं बाद में प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. इस पर इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी गई, लेकिन राज्य सरकार ने मामले में कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की.
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याचिकाकर्ता संस्था की ओर से पुलिस और एसीबी को कई बार लिखित में शिकायत कर कार्रवाई का आग्रह किया, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी अदालत में पेश हुए. अदालत के पूछने पर उन्होंने कहा कि यह बड़ा घोटाला है और इसमें राज्य सरकार के अफसर शामिल हो सकते हैं. प्रकरण में ईडी ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. इस पर अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार से प्रकरण में अब तक की गई जांच की जानकारी पेश करने को कहा है.