जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक और सवाई माधोपुर डीईओ से पूछा है कि याचिकाकर्ता शिक्षक की वरिष्ठता की गणना जब वर्ष 1998 से की गई है तो उसे पुरानी पेंशन योजना का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश हनुमान प्रसाद गुर्जर की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 1998 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में आवेदन किया था, लेकिन मामला शैक्षणिक योग्यता के चलते अदालत में अटक गया. हाईकोर्ट ने जुलाई 2006 में याचिकाकर्ता को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने को कहा. जिसकी पालना में विभाग ने बीस मई 2008 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति दे दी. इस पर याचिकाकर्ता ने अदालत में याचिका पेश कर वर्ष 1998 से वरिष्ठता और परिलाभ दिलाने की गुहार की.
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इस पर हाईकोर्ट ने दस सितंबर 2021 को विभाग को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन तय करने को कहा. ऐसे में विभाग ने सितंबर 2022 में याचिकाकर्ता को वर्ष 1998 से वरिष्ठता का लाभ दे दिया, लेकिन नियुक्ति पत्र का अंशदायी पेंशन योजना लागू कर दी. इसे याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. याचिका में कहा गया कि अंशदायी पेंशन योजना वर्ष 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही लागू है. विभाग ने याचिकाकर्ता की वरिष्ठता वर्ष 1998 से मानी है तो फिर उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए था. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.