जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के लिए सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा. राजस्थान हाईकोर्ट में पहली बार गुर्जर आरक्षण से जुड़े केस पर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए सुनवाई की गई. सीजे एस रविन्द्र भट्ट और जस्टिस वीनित माथुर ने जोधपुर मुख्यपीठ के सीजे कोर्ट रूम में बैठकर केस की सुनवाई की. वहीं जयपुर पीठ के सीजे कोर्ट में राज्य के महाधिवक्ता एम एस सिंघवी और केस में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने पैरवी की.
अदालत ने महाधिवक्ता से मंगलवार को यह बताने को कहा है कि राज्य सरकार को 31 दिसंबर 2012 तक राज्य के सभी विभागों की संख्या उनके नाम और उनमें स्वीकृत पदों की संपूर्ण जानकारी पेश करने के आदेश दिये हैं.
दोनों न्यायाधीशों ने जोधपुर स्थित अदालत कक्ष से सुनवाई की, जबकि महाधिवक्ता एमएस सिंघवी और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जयपुर स्थित अदालत कक्ष में हाजिर होकर अपना पक्ष रखा.
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मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा कि हम एक नए अध्याय की शुरूआत कर रहे हैं और इस पहल से उम्मीद करता हुं कि इससे समय और धन दोनो की बचत के साथ साथ पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा.
याचिका में राज्य सरकार की ओर से इसी साल पिछड़ा वर्ग सेशोधन अधिनियम-201 9 के तहत गुर्जर सहित जातियों को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने को चुनौती दी गई है.याचिका में आरक्षण को अवैधानिक बताते हुएचुनौती दी गई है.
अदालत ने याचिकाकर्ता से जाट और यादव जातियों के नौकरियों में प्रतिनिधित्व की जानकारी भी ली. याचिकाकर्ता ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग को पांच प्रतिशत आरक्षण के लिए आधार बनाई गई रिपोर्ट आंखों में धूल झोंकने वाली है. इसमें पूरी जातियों का अध्ययन नहीं किया गया है. ऐसे में अधिक प्रतिनिधित्व वाली जातियों को आरक्षण से बाहर किया जाए.
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बता दे कि मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश विनीत माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश अरविन्द शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. मंगलवार को अदालत सुबह 9.30 बजे वीसी के जरिए ही सुनवाई करेगी.