जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग में वर्ष 2014 से काम कर रहे सीनियर डेमोंस्ट्रेटर को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश रणवीर सिंह राठौड़ की याचिका पर दिए.
याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र शाह ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2014 में राजस्थान मेडिकल सेवा नियम 1962 के तहत नियमित चयन प्रक्रिया से सीनियर डेमोंस्ट्रेटर के पद पर नियुक्त हुए थे. वहीं नेशनल मेडिकल कमीशन ने वर्ष 2022 में नियम बनाकर सीनियर डेमोंस्ट्रेटर का पदनाम बदल कर ट्यूटर कर दिया, लेकिन वर्ष 1962 के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया.
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याचिका में कहा गया कि बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट ने बैठक कर सीनियर डेमोंस्ट्रेटर के पद को नियमित अस्थाई बताते हुए इसकी अवधि छह माह के लिए बढ़ा दी. याचिका में बताया गया कि छह माह की अवधि के बाद याचिकाकर्ता को पद से हटाया जाएगा. जबकि वह नियमित नियुक्ति प्रक्रिया से इस पद पर चयनित हुआ था. ऐसे में नियुक्ति के करीब नौ साल बाद उसे सेवा से हटाना गलत है. मामले की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पद से हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है. साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है.