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राजस्थान हाईकोर्ट ने सरपंच से की जा रही वसूली पर लगाई रोक, सरकार से मांगा जवाब

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Published : Jun 9, 2023, 8:11 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी की समरा (bans recovery from sarpanch ) ग्राम पंचायत के सरपंच को राहत देते हुए उससे की जा रही वसूली पर रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court bans recovery,  bans recovery from sarpanch
राजस्थान हाईकोर्ट.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी की समरा ग्राम पंचायत के सरपंच को राहत देते हुए उससे की जा रही पन्द्रह लाख रुपए की वसूली पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. जस्टिस आशुतोष कुमार की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश रामअवतार मीणा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पंचायत में पचास लाख 25 हजार 837 रुपए के काम स्वीकृत हुए थे. इसके तहत नरेगा में तीन एनिकट, सीसी और ग्रेवल रोड और पानी की लाइन सहित अन्य काम हुए थे. यह काम मौके पर मौजूद हैं. वहीं पंचायत समिति ने गत 26 मई को आदेश जारी कर 2 जनवरी, 2023 के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के पत्र का हवाला देते हुए जांच रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता से पन्द्रह लाख रुपए की रिकवरी निकाली दी.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : आधार कार्ड में पति के नाम से पहले सी/ओ लिखा होने से नियुक्ति नहीं देना गलत

वहीं मामले में पन्द्रह लाख रुपए ग्राम विकास अधिकारी, पन्द्रह लाख रुपए जेईएन और पांच लाख रुपए एईएन से वसूली निकाल दी. याचिका में कहा गया कि पंचायत की ओर से कराए गए कार्य मौके पर मौजूद हैं. वहीं काम करने वाली एजेंसी को भुगतान करने में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं है. एईएन और जेईएन की रिपोर्ट के आधार पर पंचायत समिति ही सीधे तौर पर भुगतान करती है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रकरण में जांच को लेकर उसके पास कोई जानकारी नहीं है और न ही उसके मामले में सुनवाई का मौका दिया गया. याचिकाकर्ता के खिलाफ राजनीतिक द्वेषता के चलते यह कार्रवाई की गई है. ऐसे में उसके खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी की समरा ग्राम पंचायत के सरपंच को राहत देते हुए उससे की जा रही पन्द्रह लाख रुपए की वसूली पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. जस्टिस आशुतोष कुमार की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश रामअवतार मीणा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पंचायत में पचास लाख 25 हजार 837 रुपए के काम स्वीकृत हुए थे. इसके तहत नरेगा में तीन एनिकट, सीसी और ग्रेवल रोड और पानी की लाइन सहित अन्य काम हुए थे. यह काम मौके पर मौजूद हैं. वहीं पंचायत समिति ने गत 26 मई को आदेश जारी कर 2 जनवरी, 2023 के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के पत्र का हवाला देते हुए जांच रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता से पन्द्रह लाख रुपए की रिकवरी निकाली दी.

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वहीं मामले में पन्द्रह लाख रुपए ग्राम विकास अधिकारी, पन्द्रह लाख रुपए जेईएन और पांच लाख रुपए एईएन से वसूली निकाल दी. याचिका में कहा गया कि पंचायत की ओर से कराए गए कार्य मौके पर मौजूद हैं. वहीं काम करने वाली एजेंसी को भुगतान करने में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं है. एईएन और जेईएन की रिपोर्ट के आधार पर पंचायत समिति ही सीधे तौर पर भुगतान करती है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रकरण में जांच को लेकर उसके पास कोई जानकारी नहीं है और न ही उसके मामले में सुनवाई का मौका दिया गया. याचिकाकर्ता के खिलाफ राजनीतिक द्वेषता के चलते यह कार्रवाई की गई है. ऐसे में उसके खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है.

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