जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना से जुडे़ मामले में कहा कि याचिकाकर्ता अपने बेटे-बहू से पूर्व में ही संबंध समाप्त कर उन्हें संपत्ति से बेदखल करने की आम सूचना जारी कर चुके हैं. ऐसे में उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना के मामले में दर्ज एफआईआर में दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह जांच में पूरा सहयोग करें. इसके अलावा अदालत ने पुत्रवधू को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश चंद्रेश जैन व अन्य की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता प्रवीण बलवदा और अधिवक्ता भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पुत्र वधू मीनल जैन ने अजमेर के मदनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा था कि उसका विवाह अक्षत जैन के साथ वर्ष 2015 में हुआ था. इसके बाद उसे उसके ससुराल पक्ष के लोग कम दहेज लाने का उलाहना देकर प्रताड़ित करते थे और दहेज में पचास लाख रुपए की मांग करते थे. वहीं उसके गर्भवती होने पर उसे अपने पीहर भेज दिया गया और डिलीवरी का सारा खर्चा भी पीहर पक्ष के लोगों ने उठाया.
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याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया है. याचिकाकर्ता ने सितंबर 2020 को ही अपने बेटे और पुत्र वधू मीनल से संबंध समाप्त कर उन्हें संपत्ति से बेदखल कर दिया था, जबकि मीनल ने 26 फरवरी, 2023 में एफआईआर दर्ज कराई है. इसके अलावा याचिकाकर्ता अपने बेटे और बहू से वर्ष 2019 से ही अलग रह रहे हैं. वहीं एफआईआर में याचिकाकर्ता की बेटी पर भी झूठे आरोप लगाए गए हैं. ऐसे में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.