जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के कल्याण से जुड़े मामले में न्याय मित्र की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. अदालत ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए राज्य सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.
न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. अदालत ने प्रदेश के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को कहा है कि वे जेल में मौतों के मामले में लंबित जांच को पूरा करें.
रिपोर्ट में न्याय मित्र प्रतीक कासलीवाल की ओर से अजमेर की सेंट्रल जेल, हाई सिक्योरिटी जेल, जोधपुर की सेंट्रल जेल और महिला जेल की निरीक्षण रिपोर्ट पेश की गई. साथ ही न्याय मित्र की ओर से कहा गया है कि अदालत की ओर से दिए कुछ दिशा-निर्देशों को तय समय में पूरा नहीं किया गया है.
वहीं जेलों में जैमर भी काम नहीं कर रहे हैं. यदि कम क्षमता का जैमर लगाया जाता है तो वह काम नहीं करता. यदि उच्च क्षमता का जैमर लगता है तो जेल परिसर के आसपास की आबादी को समस्या होती है. इसके अलावा जैमर लगाने की प्रक्रिया लंबित है कि जैमर लगने से पहले ही नई तकनीक आ जाती है.
न्याय मित्र की ओर से सुझाव दिया गया कि जेलों में प्रशिक्षित कुत्ते तैनात करने के साथ ही डोर मेटल डिटेक्टर, एचएचएमडी डिटेक्टर और बैगेज स्केनर आदि लगाए जाए. इसके अलावा जिलों में चालानी गार्डों के स्वीकृत पद भी साल 1965 के बाद नहीं बढ़ाए गए हैं. उनकी कमी के चलते कैदियों को समय पर पेशी पर नहीं भेजा जाता. न्याय मित्र की ओर से कहा गया की सात राज्यों में जेल परिसर के पास पेट्रोल पंप खोलकर कैदियों को रोजगार दिया गया है. प्रदेश में भी इस तरह की योजना अमल में लाई जा सकती है, जिससे कैदियों को न केवल रोजगार मिलेगा. बल्कि जेल प्रशासन के पास आय का साधन भी पैदा होगा.
उन्होंने कहा की बिस्सा कमेटी की सिफारिशों को भी अब तक लागू नहीं किया गया है. इसके अलावा जेल में हुई मौतों को लेकर 228 मामलों में न्यायिक जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि चालानी गार्डो की नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव लंबित है. आचार संहिता के चलते जेल नियम लागू नहीं हो पा रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को न्याय मित्र की रिपोर्ट पर अपना रुख स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं.